मणिपुर हिंसा में अब तक 98 लोगों की मौत, उग्रवादियों ने सरेंडर किए 140 हथियार
पिछले करीब 1 महीने से मणिपुर में जारी हिंसा में अब तक 98 लोगों की मौत हुई है और 310 लोग घायल हुए हैं। इसके अलावा 4,000 से ज्यादा आगजनी की घटनाएं भी हुईं। गृह मंत्री अमित शाह की अपील के बाद उग्रवादियों ने अलग-अलग जगहों पर 140 हथियार सरेंडर किए हैं। बता दें कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने के संबंध में हाई कोर्ट के निर्देश के बाद से मणिपुर हिंसा की चपेट में है।
उग्रवादियों ने कौन-कौन से हथियार किए सरेंडर?
मणिपुर पुलिस ने बताया कि गृह मंत्री की अपील के बाद राज्य के विभिन्न स्थानों पर उग्रवादियों ने लूटे गए कई घातक हथियार सरेंडर किए हैं। इनमें AK-47, SLR 29, इंसास राइफल, M16 राइफल, 9 मिलीमीटर पिस्टल और अन्य हथियार शामिल हैं। बता दें कि गृह मंत्री ने राज्य के दौरे के दौरान लूटे गए हथियार वापस लौटाने की अपील की थी। ऐसा न करने पर उन्होंने सख्त कार्रवाई की बात कही थी।
आगजनी की घटनाओं में करोड़ों की संपत्ति खाक
राज्य में हिंसा के दौरान हुई 4,000 से ज्यादा आगजनी की घटनाओं में करोड़ों रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचने की आशंका है। राज्य में हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। सुरक्षा बलों के 10,000 से ज्यादा जवान राज्य में तैनात हैं।
5 जिलों से हटा कर्फ्यू, अन्य जगह दी गई ढील
मणिपुर के 5 जिलों से कर्फ्यू हटा दिया गया है। पश्चिम इंफाल, पूर्वी इंफाल और बिष्णुपुर में सुबह 5 से शाम 5 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई है। जिरिबाम में सुबह 8 से शाम 4 बजे, थोबल और काकिंग में सुबह 5 से दोपहर 12 बजे, चुराचांदपुर और चंदेल में सुबह 5 से दोपहर 3 बजे, कांगपोकपी में सुबह 6 से शाम 5 बजे और फेरजोल में सुबह 6 से शाम 6 बजे तक ढील दी गई है।
रिटायर जज की अध्यक्षता में पैनल करेगा हिंसा की जांच
बता दें कि मणिपुर के 4 दिवसीय दौरे के दौरान गृह मंत्री शाह ने कहा था कि मणिपुर हिंसा की जांच रिटायर जज की अध्यक्षता वाले पैनल से कराई जाएगी। राज्यपाल की अध्यक्षता में एक शांति समिति गठित करने का ऐलान भी किया गया था। इससे पहले उन्होंने हिंसा में जान गंवाने वाले मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया था। केंद्र सरकार और राज्य मिलकर परिजनों को 5-5 लाख रुपये देंगी।
मणिपुर में क्यों भड़की हिंसा?
दरअसल, मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने की याचिका पर विचार करने को कहा था। राज्य का कुकी समुदाय इसका विरोध कर रहा है। इसी के चलते कुकी समुदाय ने 3 मई को आदिवासी एकता मार्च का आयोजन किया था, जिसमें हजारों लोग एकत्रित हुए। इस मार्च के दौरान भीड़ बेकाबू हो गई और जगह-जगह हिंसा शुरू हो गई।