
भारत में अमेरिका से किया जा रहा सर्वाधिक धन प्रेषण, जानिए इसके पीछे का कारण
क्या है खबर?
विदेशों से भारत में आने वाले पैसे (धन प्रेषण) के स्रोत में बदलाव हुआ है।
एक समय भारत में सबसे ज्यादा पैसा खाड़ी देशों से आ रहा था, लेकिन अब यह पैसा अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम (UK) सहित अन्य विकसित देशों से आ रहा है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के धन प्रेषणों के नवीनतम सर्वेक्षण से पता चला है कि पिछले 4 वर्षों में विकसित देश भारत में पैसे भेजे जाने का शीर्ष स्रोत बनकर उभरे हैं।
प्रेषण
भारत विदेशों से हर साल भेजा जा रहा 10 लाख करोड़ से अधिक पैसा
धन प्रेषण उस नकदी या सामान को कहते हैं, जो विदेश में काम करने वाले लोग अपने मूल देश में अपने परिवारों का भरण-पोषण करने के लिए भेजते हैं।
भारत को पिछले कुछ वर्षों में लगातार सबसे अधिक धन प्रेषण प्राप्त हुआ है।
RBI के रिकॉर्ड के अनुसार, साल 2010-11 में भारत में 55.6 अरब डॉलर (लगभग 4.78 लाख करोड़ रुपये) भेजे गए थे, जो साल 2023-24 में बढ़कर 118.7 अरब डॉलर (लगभग 10.14 लाख करोड़ रुपये) पहुंच गया है।
सर्वाधिक
भारत में अमेरिका से भेजा गया सर्वाधिक पैसा
RBI के मासिक बुलेटिन के अनुसार, भारत में आने वाले धन का शीर्ष स्रोत अमेरिका था। 2020-21 में इसका हिस्सा 23.4 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 27.7 प्रतिशत हो गया।
2020-21 में भारत को भेजे जाने वाले धन में UK का योगदान 6.8 प्रतिशत रहा, जो वित्त वर्ष 2017 में मात्र 3 प्रतिशत था। हालांकि, 2023-24 में यह बढ़कर 10.8 प्रतिशत पर पहुंच गया।
इससे साफ है कि अमेरिका और UK भारत के धन प्रेषण का मुख्य स्रोत हैं।
बैंक
बैंकों के जरिए आए पैसे में अमेरिका और UK का 40 प्रतिशत योगदान
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में बैंकों के माध्यम से भारत आने वाले कुल धन में अमेरिका और ब्रिटेन का योगदान करीब 40 प्रतिशत था।
बड़ी बात यह है कि साल 2017-18 में यह आंकड़ा केवल 26 प्रतिशत था।
विकसित अर्थव्यवस्थाओं से भारत को प्राप्त होने वाले धन में वृद्धि हुई है, लेकिन जो देश पहले इसमें शीर्ष पर थे, वहां से आने वाला धन या तो उतना ही है या उसमें कमी आई है।
UAE
भारत में UAE से आ रहा कितना पैसा?
RBI की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), जो 2016-17 में 26.9 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ भारत के प्रेषण प्रवाह का शीर्ष स्रोत था, 2020-21 तक दूसरे स्थान पर आ गया।
इसका योगदान 2020-21 में 18 प्रतिशत से थोड़ा बढ़कर 2023-24 में 19.2 प्रतिशत हो गया।
सऊदी अरब में रहने वाले भारतीयों के धन का हिस्सा वित्त वर्ष 2017 में 11.6 प्रतिशत था और साल 2023-24 में करीब 50 प्रतिशत की गिरावट के साथ 6.7 प्रतिशत रह गया।
जानकारी
अन्य देशों की क्या है स्थिति?
भारत को कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर से भी अधिक धन प्राप्त हुआ। पिछले वित्त वर्ष में कुल प्रेषण में ऑस्ट्रेलिया का हिस्सा 2.3 प्रतिशत था, जबकि सिंगापुर का हिस्सा 2017 के 5.5 प्रतिशत से बढ़कर पिछले साल 6.6 प्रतिशत हो गया।
कारण
क्या है इस बदलाव के पीछे का कारण?
खाड़ी देशों से विकसित देशों की ओर भारत को भेजी जाने वाली धनराशि के स्रोत में बदलाव, कुशल भारतीय प्रवासियों के प्रवास पैटर्न में परिवर्तन को दर्शाता है।
RBI के शोधकर्ताओं ने मासिक बुलेटिन में प्रकाशित लेख में लिखा, '2023-24 के लिए भारत के प्रेषण पर सर्वेक्षण के छठे दौर के परिणाम खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों से उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के लिए प्रमुख स्रोत अर्थव्यवस्थाओं के रूप में भारत के प्रवासियों की बदलती गतिशीलता को उजागर करते हैं।'
काम
किस देश में क्या काम करते हैं भारतीय?
UAE में भारतीय प्रवासी कामगार मुख्य रूप से निर्माण, स्वास्थ्य सेवा, आतिथ्य और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में कम वेतन वाली नौकरियों में शामिल हैं।
अमेरिका में भारतीय ज्यादातर वित्त, चिकित्सा और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अच्छे वेतन वाली नौकरियां करते हैं।
RBI अधिकारियों ने बताया कि उच्च शिक्षा के लिए भारतीयों द्वारा कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया को प्राथमिकता देना ही इन देशों से धन प्रेषण में वृद्धि का एक कारक माना जा सकता है।
राज्य
विदेशों से किन राज्यों में आता है सर्वाधिक पैसा?
विदेशों से भारत में किए जाने वाले कुल धन प्रेषण का करीब 50 प्रतिशत हिस्सा महाराष्ट्र, केरल और तमिलनाडु में आता है।
महाराष्ट्र को 2023-24 में सबसे अधिक 20.5 प्रतिशत धन प्रेषण मिला था, जो 2020-21 के 35.2 प्रतिशत से कम है। इसी अवधि में केरल में का धन प्रेषण में हिस्सा 10 प्रतिशत से बढ़कर 19.7 प्रतिशत हो गया।
तमिलनाडु को 10.4, तेलंगाना को 8.1 प्रतिशत और कर्नाटक 7.7 प्रतिशत पैसा मिला है।
जानकारी
साल 2029 में 13.76 करोड़ हो सकता है भारत का धन प्रेषण
बुलेटिन के अनुसार, शिक्षा के लिए विदेश जाने वाले भारतीयों की सर्वाधिक संख्या महाराष्ट्र, तेलंगाना और पंजाब से है। अनुमान है कि साल 2029 में भारत में विदेशो से आने वाला पैसा 160 अरब डॉलर (13.76 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच जाएगा।