भारत के पिनाक रॉकेट लॉन्चर सिस्टम की बढ़ रही मांग, अब इस देश ने दिखाई दिलचस्पी?
भारत अब रक्षा उपकरणों को निर्यात करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। इसका कारण है कि हथियारों के सबसे बड़े निर्यातकों में शामिल फ्रांस ने भारत में निर्मित पिनाक मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम में दिलचस्पी दिखाई है। उससे पहले युद्ध ग्रस्त आर्मेनिया भी भारत को पिनाक का ऑर्डर दे चुका है। बता दें कि भारत लंबे समय से अपने पिनाक सिस्टम को अमेरिका में निर्मित हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (HIMARS) के बराबर बता रहा है।
पिनाक रॉकेट लॉन्चर सिस्टम का परीक्षण करेगा फ्रांस
फ्रांसीसी सेना के जनरल इंटरनेशनल अफेयर्स ब्रिगेडियर जनरल स्टीफन रिचौ ने द हिंदू से कहा, "भारत ने फरवरी में हमारे सेना प्रमुख को पिनाका भेंट किया था। यह बहुत दिलचस्प है। हम इस सिस्टम के तीन-चार सर्वश्रेष्ठ निर्यातकों का मुल्यांकन कर रहे हैं। हमारी विशेषज्ञों की टीम आने वाले सप्ताह में भारत जाकर पिनाक सिस्टम और गोला-बारूद का परीक्षण करेगी।" रिचौ पिछले सप्ताह दिल्ली में आयोजित 20वीं आर्मी स्टाफ वार्ता में शामिल होने के लिए भारत आए थे।
क्या है पिनाक रॉकेट लॉन्चर सिस्टम?
पिनाक रॉकेट लॉन्चर सिस्टम का नाम भगवान शिव के धनुष 'पिनाक' के नाम पर रखा गया है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की अहम शाखा पुणे स्थित आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (ARDE) द्वारा विकसित किया गया था। इस हथियार का विकास 80 के दशक के अंत में रूस द्वारा निर्मित मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम के विकल्प के रूप में शुरू हुआ था। यह रक्षा क्षेत्र में भारत की बड़ी सफलता है।
क्या है पिनाक रॉकेट लॉन्चर सिस्टम की खासियत?
पिनाक मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम केवल 44 सेकंड में 12 रॉकेट दाग सकता है, यानी हर 4 सेकेंड में एक रॉकेट। इसकी एक बैटरी में छह लॉन्च वाहन होते हैं। इसके लोडर सिस्टम, रडार और नेटवर्क आधारित सिस्टम और एक कमांड पोस्ट के साथ लिंक होते हैं। वर्तमान में इसके 2 संस्करण हैं। पहला मार्क I है, जिसकी रेंज 40 किलोमीटर है और दूसरा मार्क-II है, जिसकी रेंज 75 किलोमीटर है। इसकी रेंज 120-300 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना है।
कितनी है पिनाक रॉकेट लॉन्चर सिस्टम की गति?
पिनाक रॉकेट लॉन्चर सिस्टम में 214 मिलिमीटर के 12 रॉकेट होते हैं। पिनाक रॉकेट्स की गति ही इसे सबसे ज्यादा खतरनाक बनाती है। इसकी गति 5,757.70 किलोमीटर प्रतिघंटा है, यानी एक सेकेंड में 1.61 किलोमीटर की गति से हमला करता है। इसके पिछले साल इसके 24 परीक्षण किए गए थे। लॉन्चर की शूट-एंड-स्कूट क्षमता इसे काउंटर-बैटरी फायर से बचने में भी सक्षम बनाती है। इसे गतिशीलता प्रदान करने के लिए ट्रक पर लगाया जाता है।
भारतीय सेन ने करगिल युद्ध में किया था इसका इस्तेमाल
भारतीय सेना वर्तमान में 4 पिनाक रेजिमेंट का संचालन करती है, लेकिन अब 6 रिजमेंट और तैयार की जा रही है। इसका पहली बार इस्तेमाल 1999 के करगिल युद्ध में किया था। इसने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ अहम पड़ावों में भारत को सफलता दिलाई थी।
आर्मेनिया द्वारा पिनाक का उपयोग
पिनाक प्रणाली को पहले ही आर्मेनिया से ऑर्डर और अन्य देशों से रुचि के साथ निर्यात में सफलता मिल चुकी है। भारत 2,100 करोड़ रुपये के अनुबंध के तहत आर्मेनिया को पिनाक का निर्यात करता है। वह पिनाक का पहला आयातक है। भारत के आर्मेनिया को पिनाक निर्यात किए जाने के बाद अजरबैजान ने अपना विरोध दर्ज कराया था और भारत से अपने निर्णय पर पुनर्विचार का अनुरोध किया था। आर्मेनिया ने अजरबैजान के खिलाफ इसी का इस्तेमाल किया है।
अमेरिकी HIMARS से तुलना
HIMARS में एक मध्यम आकार का सामरिक ट्रक है, जिसमें 227 मिलीमीटर के 6 GPS-निर्देशित रॉकेट हैं। इसकी रेंज 69 किलोमीटर से ज़्यादा है। इसे गाइडेड मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (GMLRS) के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक रॉकेट में 200 पाउंड का उच्च विस्फोटक वारहेड होता है। GPS की मदद से प्रत्येक रॉकेट लक्ष्य बिंदु से 16 फीट के भीतर गिरता है। इसे लॉकहीड मार्टिन ने विकसित था। इसे पहली बार 1993 में सार्वजनिक किया गया था।
इन देशों में होता है HIMARS का निर्यात
HIMARS ने अपनी वैश्विक उपस्थिति का विस्तार किया है। अमेरिका इसे जॉर्डन, सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात सहित कई देशों में निर्यात करता है। इसी तरह, अब भारत पिनाक सिस्टम फ्रांस के अलावा इंडोनेशिया और दो अन्य दक्षिण अमेरिकी देशों ने भी रुचि दिखाई है।