विमान में पुरानी टेक्नोलॉजी के कारण अभिनंदन को वॉर रूम से नहीं मिले थे संदेश
क्या है खबर?
बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी लड़ाकू विमान F-16 को मार गिराने वाले भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान के मिग-21 बाइसन विमान में आधुनिक संचार उपकरण नहीं थे।
इस वजह से उन्हें वॉर रूम से आने वाले संदेश नहीं मिले और वो पाकिस्तानी सीमा में चले गए।
इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने उन्हें अपनी हिरासत में ले लिया और लगभग 60 घंटे बाद रिहा किया।
आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
खामी
जाम हो गए थे मिग-21 के संचार उपकरण
हिंदुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, अभिनंदन के विमान के संचार उपकरणों को दुश्मन सेना ने जाम कर दिया था।
अगर उनके विमान में एंटी-जैमिंग टेक्नोलॉजी होती तो उनके संचार उपकरण जाम नहीं होते और उन्हें वॉर रूम से भेजे गए सारे संदेश मिल जाते, जिन्हें सुनकर वो पाकिस्तानी सीमा में घुसने से पहले वापस लौट सकते थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, लंबे समय से पुराने विमानों में एंटी-जैमिंग टेक्नोलॉजी की मांग उठ रही है।
साहस
अभिनंदन ने मार गिराया था पाकिस्तानी लड़ाकू विमान
बालाकोट एयरस्ट्राइक से अगले दिन पाकिस्तानी विमानों ने भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश की थी।
विंग कमांडर अभिनंदन इनमें से एक पाकिस्तानी लड़ाकू विमान को मार गिराने की कोशिश में नियंत्रण रेखा से पार चले गए थे।
उन्होंने पाकिस्तान एयरफोर्स के F-16 जेट को मार गिराया था, लेकिन इस दौरान उनके मिग-21 बाइसन को भी नुकसान पहुंचा था।
उन्हें पैराशूट की मदद से पाकिस्तान में उतरना पड़ा। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने उन्हें हिरासत में ले लिया था।
लंबी मांग
2005 से बेहतर संचार तकनीक की मांग कर रही वायुसेना
यह पहली बार नहीं है जब भारतीय वायुसेना ने बेहतर और ज्यादा सुरक्षित कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी की मांग की है। वायुसेना ने सबसे पहले 2005 में इसकी मांग की थी।
एक सरकारी अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, "विंग कमांडर अभिनंदन पाकिस्तानी सीमा में नहीं जाते अगर उनके विमान में यह कमी नहीं होती।"
हालांकि, अभी तक वायुसेना की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है।
मांग
आधुनिक तकनीक की मांग कर रही वायुसेना
एक दशक से ज्यादा समय से पहले वायुसेना ने डाटा लिंक जैसी कम्यूनिकेशन सुविधा की बात कही थी।
डाटा लिंक में विमान से जुड़ी सारी जरूरी सूचनाएं कमांडर तक पहुंच जाती है। इसमें हर लड़ाकू विमान में मौजूद हथियार और ईंधन की मात्रा की जानकारी मिलती है।
एक पायलट ने बताया कि इसकी मदद से कमांडर को पता होता है कि किस विमान को वापस बुलाना है और कौन दुश्मन का पीछा करेगा।
तकनीक
मानकों पर खरा नहीं उतरी स्वदेशी तकनीक
रिपोर्ट के मुताबिक, 2008-2012 के बीच वायुसेना ने नई टेक्नोलॉजी की टेस्टिंग की और सरकार को अपनी सिफारिशें भेजी।
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट (DRDO) और भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड (BEL) ने भारत में ही कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी को डिजाइन करने और विकसित करने का काम लिया।
हालांकि, इन्होंने अपनी टेक्नोलॉजी वायुसेना को दिखाई, लेकिन यह उसके मानकों पर खरा नहीं उतरी।
एक अधिकारी ने बताया कि इस टेक्नोलॉजी के लिए विमान में बड़े बदलावों की जरूरत थी।