क्या है स्वदेशी लाइट युद्धक टैंक 'जोरावर' की खासियत, जिसे LAC पर किया जाएगा तैनात?
क्या है खबर?
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) ने मिलकर 20 महीने से भी कम समय में स्वदेशी लाइट युद्धक टैंक 'जोरावर' का निर्माण कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
अधिकारियों ने गत शनिवार (6 जुलाई) को इसका अनावरण भी कर दिया है।
सरकार ने इसे भारत-चीन सीमा यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात करने की योजना बनाई है।
ऐसे में आइए इस टैंक की प्रमुख खासियतों पर एक नजर डालते हैं।
विकसित
भारतीय सेना के 'प्रोजेक्ट जोरावर' के तहत विकसित किया गया है टैंक
इस टैंक को भारतीय सेना के 'प्रोजेक्ट जोरावर' के तहत विकसित किया गया है।
सेना ने हवाई-परिवहन योग्य इस 25 टन वजनी टैंक को LAC पर तैनात करने की योजना बनाई है। वहां ऐसे 354 टैंक तैनात होंगे।
ऐसे में DRDO और L&T ने इसे 20 महीने से पहले ही तैयार कर लिया। इसका नाम जनरल जोरावर सिंह के नाम पर रखा गया है। वह जम्मू-कश्मीर के महाराजा गुलाब सिंह के अधीन एक सैन्य कमांडर थे।
जानकारी
सेना को चरणबद्ध तरीके से उपलब्ध कराए जाएंगे टैंक
परीक्षण पूरा होने के बाद सेना को 'जोरावर' टैंक की आपूर्ति चरणबद्ध तरीके से की जाएगी। शुरुआत में सेना को 59 टैंक दिए जाएंगे। इसके बाद कुल 295 टैंक उपलब्ध कराए जाएंगे। इस तरह कुल 354 टैंक दिए जाएंगे।
परीक्षण
गुजरात के हाजिरा में हुआ पहला परीक्षण
DRDO प्रमुख समीर कामत ने बताया कि इस टैंक का गुजरात के हाजिरा स्थित रेगिस्तान में परीक्षण किया जा चुका है। अब इसे लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में परीक्षण किया जाएगा। वहां अत्यधिक ठंड़ में इसकी क्षमता परखी जाएगी। इसमें एक से डेढ साल का समय लगेगा।
उन्होंने उम्मीद जताई है कि भारतीय सेना को पहला टैंक 2027 तक मिल जाएगा।
बता दें, सरकार ने मार्च, 2022 में हल्के टैंकों के स्वदेशी डिजाइन और विकास को मंजूरी दी थी।
दावा
L&T ने किया 'जोरावर' के 30 डिग्री से अधिक झुकाव को संभालने का दावा
अनावरण के दौरान 'जोरावर' टैंक 20 डिग्री के झुकाव को आसानी से पार करने में कामयाब रहा था।
हालांकि, L&T का दावा है कि यह 30 डिग्री से अधिक का झुकाव भी संभाल सकता है। यह टैंक पुराने भारी वजन वाले टी-72 और टी-90 टैंकों की तुलना में अधिक आसानी से खड़ी पहाड़ियों और नदियों को पार करने में सक्षम होगा।
इसके चलते इस टैंक को पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील जैसे इलाकों में तैनात किया जा सकेगा।
खासियत
क्या है 'जोरावर' टैंक की खासियत?
25 टन वजनी और 750 हॉर्स पावर के दमदार इंजन से चलने वाले 'जोरावर' टैंक की मारक क्षमता भी काफी तीव्र है।
इसमें 105 मिमी से अधिक कैलिबर की गन लगी है, जिससे एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल दागी जा सकती हैं।
इसी तरह इसमें ड्रोन के साथ ही बैटल मैनेजमेंट सिस्टम भी लगाया गया है। यह उन मुश्किल पहाड़ी इलाकों में भी ऑपरेशन कर सकता है, जहां दूसरे बड़े टैंक नहीं पहुंच सकते हैं।
अन्य
और क्या है 'जोरावर' टैंक की खूबियां?
यह टैंक दृश्यता बढ़ाने के लिए मानव रहित हवाई वाहन (UAV) से लैस होगा। इसमें मौजूद एक सक्रिय सुरक्षा प्रणाली इसे एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों से बचाएगी।
इसी तरह टैंक में एक मल्टी-रेंजिंग सेंसर (MRS) के साथ-साथ एक BEL रिमोट वेपन स्टेशन (RWS), सफ्रान पासेओ ऑप्टिक्स और 2 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) भी हैं।
इसमें एक लाइट वेट राइफल (LWR), ऐड-ऑन मॉड्यूलर कवच ब्लॉक और कम्पोजिट रबर ट्रैक्स (CRT) के साथ निगरानी के लिए अतिरिक्त कैमरे भी हैं।
तुलना
चीन के ZTQ-15 टैंक को टक्कर देगा 'जोरावर'
DRDO के एक अधिकारी ने बताया कि 'जोरावर' चीन ZTQ-15 या टाइप 15 टैंक को टक्कर देगा।
चीन ने पूरी LAC पर इन्हीं टैंक को तैनात कर रखा है। यह टैंक 33 टन वजनी है और आसानी से उंचाई वाली जगह पर चढ़ जाते हैं। ये टैंक 1,000 हॉर्स पॉवर की क्षमता वाले है, जिनमें 105 मिमी कैलिबर की गन लगी है।
भारत का 'जोरावर' मारक क्षमता और सामरिक क्षमताओं में टाइप-15 से मेल खाता है।
बयान
टैंक का विकास है एक विश्व रिकॉर्ड
L&T के जेडी पाटिल ने कहा कि 'जोरावर' टैंक को अप्रैल 2022 में अनुबंध मिलने के बाद केवल 19 महीने में तैयार कर लिया गया है। यह एक विश्व रिकॉर्ड है।
उन्होंने कहा, "DRDO के साथ यह साझेदारी ताकत के तालमेल के माध्यम से स्वदेशी रूप से जटिल प्रणालियों/प्लेटफार्मों के विकास के लिए आगे का रास्ता प्रदान करता है। बड़ी बात यह है कि आने वाले समय में इस टैंक को और भी तेजी से तैयार किया जा सकता है।"