गेब्रियल अटाल बने फ्रांस के सबसे युवा और पहले समलैंगिक प्रधानमंत्री, जानें कौन हैं वो
क्या है खबर?
34 वर्षीय गेब्रियल अटाल फ्रांस के अगले प्रधानमंत्री होंगे। वह देश के इतिहास के सबसे युवा प्रधानमंत्री हैं। इसके अलावा वह फ्रांस के पहले समलैंगिक प्रधानमंत्री भी हैं।
अटाल एलिजाबेथ बोर्न के इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री बने हैं। वह शुरू से ही इस रेस में आगे चल रहे थे और वो राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की भी पहली पसंद थे।
अटाल अभी तक फ्रांस सरकार में शिक्षा मंत्री की जिम्मेदार संभाल रहे थे।
चुनाव
राष्ट्रपति मैक्रों ने यूरोपीय चुनाव से पहले अपनी टीम में किया फेरबदल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रपति मैक्रों साल के अंत में होने वाले यूरोपीय चुनावों से पहले अपनी शीर्ष टीम में फेरबदल कर रहे हैं।
सोमवार को राष्ट्रपति मैक्रों ने पूर्व प्रधानमंत्री बोर्न का इस्तीफा स्वीकार करते हुए अटाल को प्रधानमंत्री नियुक्त किया।
बोर्न ने आप्रवासी कानून पर राजनीतिक तनाव बढ़ने की वजह से इस्तीफा दिया था। बोर्न को मई, 2022 में प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था और वह देश की दूसरी महिला प्रधानमंत्री थीं।
कौन है अटाल?
कौन हैं गेब्रियल अटाल?
मार्च, 1989 में जन्मे अटाल करीब 2 साल तक फ्रांस सरकार के प्रवक्ता रहे हैं। उन्हें पहली बार 32 साल की उम्र में सरकार में शिक्षा और युवा मामलों के मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
उनके पिता वकील और फिल्म निर्माता थे, जबकि मां एक फिल्म प्रोडक्शन कंपनी में काम करती थीं। वह घोषित तौर पर समलैंगिक हैं और स्टीफन सेजॉर्ने के साथ सिविल यूनियन में हैं।
सिविल यूनियन फ्रांस में समैंलिकता जोड़ों के लिए कानूनी व्यवस्था है।
परिचय
बेहद जल्दी सफलता की सीढ़ियां चढ़े हैं अटाल
अटाल ने फ्रांस की राजनीति में बेहद तेजी से सफलता की सीढ़ियां चढ़ी हैं। लगभग एक दशक पहले तक वह स्वास्थ्य मंत्रालय में महज एक सलाहकार थे।
इसके बाद वो 2017 में चुनाव लड़कर पहली बार सांसद बने। अगले ही साल 2018 में उन्हें शिक्षा मंत्रालय में जूनियर मंत्री बनाया गया। वो इस सरकार में सबसे युवा मंत्री थे।
इसके बाद वह कुछ समय के लिए बजट मंत्री बने और फिर जुलाई, 2023 में शिक्षा मंत्री बन गए।
चुनाव
राष्ट्रपति मैक्रों के करीबी और पसंदीदा नेता हैं अटाल
फ्रांस के नवनियुक्त प्रधानमंत्री अटाल को राष्ट्रपति मैक्रों का करीबी माना जाता है।
हाल ही में अटाल ने बतौर शिक्षा मंत्री तब सुर्खियां बटोरी थीं जब उन्होंने सरकारी स्कूलों में मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले अबाया पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी।
अटाल राष्ट्रपति मैक्रों के साथ मिलकर धुर दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन और उनके युवा सहयोगी जॉर्डन बार्डेला का मुकाबला कर रहे हैं।
वे फ्रांसीसी राजनीति में पारंपरिक दक्षिणपंथ-वामपंथ बंटवारे को खत्म करना चाहते हैं।
चुनौतियां
अटाल के सामने क्या चुनौतियां?
प्रधानमंत्री बनने के बाद अटाल के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं।
उन्हें धुर दक्षिणपंथ की बढ़ती लोकप्रियता का मुकाबलना करना होगा, जिसके जून में होने वाले चुनाव में जीतने की संभावना है, जिससे नेशनल असेंबली में मैक्रों के पास बहुमत नहीं रहेगा।
इसके अलावा उन्हें अपनी ही पार्टी के दिग्गज चेहरों से भी निपटना होगा। उनके सामने केवल बातें बनाने वाले नेता की अपनी छवि को बदलना भी एक चुनौती होगा।
क्या है गणित
मैक्रों ने प्रधानमंत्री में बदलाव क्यों किया?
विश्लेषकों का मानना है कि 2022 चुनाव में अपने दूसरे कार्यकाल के लिए धुर दक्षिणपंथियों को हराने वाले मैक्रों को अलोकप्रिय पेंशन सुधारों और विवादित आप्रवासी कानून के कारण संसदीय चुनाव में लोगों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, पेरिस में ओलंपिक खेलों और यूरोपीय संसद के चुनावों से पहले धुर दक्षिणपंथी नेताओं के हाथों हार के खतरे को देखते हुए मैक्रों ने अपनी टीम में बदलाव किया है।