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भड़काऊ बयान: भाजपा नेताओं पर FIR दर्ज करने की मांग पर सुनवाई को तैयार सुप्रीम कोर्ट

भड़काऊ बयान: भाजपा नेताओं पर FIR दर्ज करने की मांग पर सुनवाई को तैयार सुप्रीम कोर्ट

Mar 02, 2020
01:08 pm

क्या है खबर?

सुप्रीम कोर्ट भड़काऊ बयान देने के मामले में नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज करने की याचिका सुनने को तैयार हो गई है। सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की थी। सोमवार को मंदर के वकील कोलिन गोंजाल्विस की दलीलें सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने कहा, "अखबारों में हमें जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। हम पर बहुत दबाव है, लेकिन हम ऐसी चीजों को होने से नहीं रोक सकते।"

याचिका

हाई कोर्ट में भी लंबित है मामला

भाजपा नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा पर भड़काऊ बयान देने का आरोप है। हर्ष मंदर ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उनके खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश देने की मांग की थी। हाई कोर्ट में इस पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने अपना जवाब दाखिल करने के समय की मांग की, जिसके बाद उसे 13 अप्रैल तक का समय दिया गया है। इसी सिलसिले में मंदर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।

दलील

दंगे भड़काने वाले नेताओं पर तुरंत दर्ज हो FIR- गोंजाल्विंस

मंदर के वकील गोंजाल्विस ने इस याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी। गोंजाल्विंस ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने यह जानते हुए भी सुनवाई आगे कर दी कि राजधानी में हुई हिंसा के कारण लोगों की जानें जा रही हैं। उन्होंने कहा दी कि रोजाना लगभग 10 लोग मर रहे थे। कल रात भी 6-7 लोगों की मौत हुई है। कुछ लोग दंगों को भड़का रहे हैं इसलिए उनके खिलाफ तुरंत FIR दर्ज होनी चाहिए।

सुनवाई

कोर्ट की भी अपनी सीमाएं हैं- CJI बोबड़े

सुनवाई के दौरान जस्टिस बोबड़े ने कहा कि वो चाहते हैं शांति बनी रहे। उन्होंने कहा कि लोग यह सोचकर सुप्रीम कोर्ट आते हैं कि वो दंगे रोक सकती है, लेकिन इसकी भी अपनी सीमाएं हैं। उन्होंने कहा, "लोग सोचते हैं कोर्ट की भूमिका दंगे होने के बाद शुरू होती है।" कोर्ट ने सुनवाई के लिए 4 मार्च का दिन तय करते हुए कहा कि हाई कोर्ट भी इस मामले की सुनवाई कर रही है।

सुनवाई

दोबारा 1984 होते हुए नहीं देख सकते- दिल्ली हाई कोर्ट

हर्ष मंदर ने सबसे पहले दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच ने कहा था कि वे दिल्ली में 1984 जैसी घटना दोबारा नहीं होने दे सकते। 26 फरवरी को हुई सुनवाई में बेंच ने कपिल मिश्रा के भड़काऊ बयानों वाला वीडियो चलाकर सॉलिस्टर जनरल को दिखाया था। कोर्ट ने इस दौरान दिल्ली पुलिस से FIR दर्ज करने का विचार करने को कहा था।

जानकारी

26 फरवरी की रात को हुआ जस्टिस मुरलीधर का तबादला

26 फरवरी को दिन में हुई सुनवाई के दौरान सख्त रवैया अपनाने वाले जस्टिस एस मुरलीधर का उसी दिन रात तबादला हो गया। हालांकि, उनकी तबादला पहले से तय था। इसके बावजूद इसके समय को लेकर कई सवाल उठे थे।

सुनवाई

27 फरवरी को फिर हुई सुनवाई

27 फरवरी को दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी हरशंकर की बेंच ने इस मामले पर अगली सुनवाई की थी। इस दौरान दिल्ली पुलिस के वकील सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि याचिकाकर्ता केवल कुछ बयानों को चुनकर कार्रवाई की मांग नहीं कर सकता। मेहता ने इस सिलसिले में और समय की मांग करते हुए कहा था कि पहले दिल्ली में हालात सामान्य करने पर ध्यान देने की जरूरत है।