भाजपा के तीन और कांग्रेस के एक सांसद ने तैयार किए बेरोजगारी भत्ते पर अपने-अपने बिल
देश में बेरोजगारी की बढ़ती समस्या के बीच चार सांसदों ने इस पर अलग-अलग प्राइवेट मेंबर बिल तैयार किए हैं। इनमें बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही गई है। इनमें से तीन सांसद, अशोक महादेवराव नेते, रमेश बिधूड़ी और उन्मेश भाईसाहेब पाटिल, भाजपा से हैं जबकि चौथे सांसद सु थिरुनवुकरसर कांग्रेस से आते हैं। इन चारों के बिल को संसद से मंजूरी मिल पाएगी, इसकी संभावना बेहद कम है।
क्या होता है प्राइवेट मेंबर बिल?
जब कोई भी सांसद अपने स्तर पर संसद में कोई बिल पेश करता है तो इसे प्राइवेट मेंबर बिल कहा जाता है। इसे सरकार की ओर से पेश नहीं किया जाता। संसद में आखिरी प्राइवेट मेंबर बिल 1970 में पारित हुआ था।
चारों बिल में क्या-क्या प्रावधान?
नेते के बेरोजगारी भत्ता बिल, 2019 में सभी बेरोजगारों को भत्ते का प्रावधान किया गया है। वहीं बिधूड़ी के बेरोजगार पोस्ट-ग्रुजेएट्स वित्तीय सहायता बिल, 2019 में केवल पोस्ट-ग्रेजुएशन कर चुके बेरोजगारों को भत्ते का प्रावधान है। पाटिल के बेरोजगार युवा (भत्ता और रोजगार के अवसर) बिल, 2019 में रोजगार के अवसर पैदा करने और बेरोजगारों को भत्ता देने की बात कही गई है। थिरुनवुकरसर के बेरोजगारी भत्ता बिल में बेरोजगार युवाओं को भत्ते का प्रावधान है।
लोकसभा स्थगित होने के कारण पेश नहीं हो पाए बिल
इन चारों सांसदों ने अपने-अपने बिल को लोकसभा में पेश करने के लिए नोटिस दिया था और इन्हें शुक्रवार को पेश भी किया जाना था। लेकिन हंगामे के कारण लोकसभा को स्थगित कर दिया गया और ये बिल पेश नहीं हो सके।
नेते बोले- गलत रास्ते पर जा रहे हैं बेरोजगार शिक्षित युवा
अपने बिल के बारे में 'इंडियन एक्सप्रेस' से बात करते हुए नेते ने कहा, "जो शिक्षित हैं और उन्हें पक्का रोजगार नहीं मिला है, जो भटक रहे हैं और गलत रास्ते पर जा रहे हैं, ऐसे शिक्षित बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलने तक 3,000 रुपये प्रति महीने का भत्ता देना चाहिए।" उन्होंने कहा कि सरकार मेक इन इंडिया और अन्य विकास योजनाओं से रोजगार पैदा करने की कोशिश कर रही है लेकिन बड़ी संख्या में लोग अभी भी बेरोजगार हैं।
बिधूड़ी बोले- बेरोजगारों को मिले भत्ता ताकि परिवार पर बोझ न बनें
वहीं पिछले साल दिसंबर में अपने बिल पर बात करते हुए दक्षिण दिल्ली से भाजपा सांसद बिधूड़ी ने कहा था, "बेरोजगारी पिछले 30-40 साल से है और बेरोजगार युवाओं को हर महीने 25,00 से 3,000 रुपये मिलने चाहिए ताकि वे अपने परिवार पर बोझ न बनें।" बिधूड़ी ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी इसी नाम से ऐसा ही एक बिल पेश किया था, लेकिन इसे संसद की मंजूरी नहीं मिल सकी थी।
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में पेश हुए थे बेरोजगारी भत्ते पर तीन बिल
गौरतलब है कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी तीन सांसदों ने बेरोजगारी पर प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए थे। बिधूड़ी के अलावा भाजपा के निशिकांत दुबे और कांग्रेस के राजीव सातव ने लोकसभा में बेरोजगारी भत्ते को लेकर बिल पेश किए थे।
राकेश सिन्हा ने भी राज्यसभा में पेश किया प्राइवेट मेंबर बिल
शुक्रवार को भाजपा सांसद राकेश सिन्हा ने भी राज्यसभा में एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया। टर्मिनेटेड एम्प्लॉयीज (वेलफेयर) बिल नाम के इस बिल में नौकरी से निकाले जाने पर कर्मचारियों को कम से कम नौ महीने का वेतन और मेडिकल सुविधाएं देने का प्रावधान किया गया है। बिल में कहा गया है कि अभी ऐसा कोई कानून नहीं है जो कंपनियों को ऐसे कर्मचारियों को समय पर सुविधा देने के लिए बाध्य करे।
बेरोजगारी के मुद्दे पर घिरी हुई है मोदी सरकार
बता दें कि बेरोजगारी के मुद्दे पर मोदी सरकार बुरी तरह से घिरी हुई है और विपक्ष अक्सर इसे लेकर उस पर हमला करता रहता है। दिसंबर, 2019 में देश की बेरोजगारी दर 7.7 प्रतिशत रही थी। भाजपा शासित त्रिपुरा, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है। त्रिपुरा में बेरोजगारी दर 28.6 प्रतिशत जबकि हरियाणा में 27.6 प्रतिशत है। सबसे कम बेरोजगारी वाले कर्नाटक और असम में भी भाजपा की सरकार है।