दिल्ली दंगे: कई पीड़ितों के जल गए दस्तावेज, मुआवजे की प्रक्रिया में आ रहीं दिक्कतें
क्या है खबर?
उत्तर-पूर्व दिल्ली में पिछले हफ्ते हुए दंगों में दस्तावेज चलने के कारण पीड़ितों को मुआवजा देने की प्रक्रिया में अधिकारियों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
अधिकारियों के अनुसार, कई पीड़ितों के वोटर पहचान पत्र, आधार कार्ड और बिजली बिल आदि दस्तावेज आदि आग में जल गए और इससे उनकी पहचान की पुष्टि करने में दिक्कत आ रही है।
अधिकारियों ने समीक्षा बैठक करके कोई हल निकालने की बात कही है।
पृष्ठभूमि
लगातार तीन दिन चले थे दंगे
उत्तर-पूर्व दिल्ली के कई इलाकों में 24 से 26 फरवरी तक लगातार तीन दिन दंगे हुए थे। इन दंगों में अब तक 46 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि लगभग 400 घायल हुए हैं। मरने वालों में दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतनलाल भी शामिल हैं।
इस दौरान संपत्ति का भी भारी नुकसान हुआ और दंगाइयों ने घरों, दुकानों और वाहनों समेत जो भी आगे आया, उसमें आग लगा दी। एक पेट्रोल पंप को भी आग लगाई गई थी।
मुआवजा
दिल्ली सरकार ने किया था पीड़ितों को मुआवजे का ऐलान
गुरुवार को दिल्ली सरकार ने दंगे में मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया था।
वहीं जिन मकानों को जला दिया गया है उन्हें पांच लाख रुपये दिए जाएंगे जिसमें से एक लाख रुपये किरायेदारों के बीच बांटे जाएंगे और चार लाख रुपये मकान मालिक को दिए जाएंगे।
जिन मकानों को अच्छा-खासा नुकसान हुआ है, उन्हें 2.5 लाख रुपये मुआवजा (दो लाख रुपये मकान मालिक और 50,000 रुपये किराएदार) मिलेगा।
जानकारी
हर पीड़ित परिवार को तत्काल मिलेंगे 25,000 रुपये
इसी तरह जिन मकानों को थोड़ा-बहुत नुकसान हुआ है उन्हें 15,000 रुपये दिए जाएंगे। बिना इंश्योरेंस वाली व्यावसायिक इमारतों को पांच लाख रुपये दिए जाएंगे। इस दौरान केजरीवाल ने कहा था कि हर परिवार जिसकी संपत्ति को नुकसान हुआ, उसे 25,000 रुपये तत्काल दिए जाएंगे।
सहायता केंद्र
मुआवजे के लिए जिला मुख्यालय में बनाया सहायता केंद्र
दिल्ली सरकार ने इसके लिए 18 सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट को नियुक्त किया है जो अपनी टीम के साथ संपत्ति को हुए नुकसान का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
मुआवजा के लिए नंद नगरी स्थित जिला मुख्यालय में एक सहायता केंद्र बनाया हुआ है जहां अधिकारी तत्काल मुआवजा देने के लिए दस्तावेज देख रहे हैं।
रविवार दोपहर दो बजे तक उन्हें पीड़ितों के 72 आवेदन मिल चुके हैं, जबकि पूरी दिल्ली में 100 से अधिक आवेदन मिले हैं।
दस्तावेज
कई पीड़ितों के पास नहीं दस्तावेज
अधिकारियों के अनुसार, शुरूआत में उनके पास जो पीड़ित आए उनके पास कुछ दस्तावेज, वोटर पहचान पत्र, आधार कार्ड, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और बिजली बिल आदि थे।
इसके अलावा अधिकारियों ने उन दस्तावेजों को भी स्वीकार कर लिया जो आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त दस्तावेज थे लेकिन उनमें पीड़ित की पहचान हो सकती थी। लेकिन इसके बाद बड़ी संख्या में ऐसे लोग आए जिनके दस्तावेज या तो हिंसा में जल गए या क्षतिग्रस्त हो गए।
बयान
"मृतकों और घायलों की पहचान आसान"
एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया, "मृतकों के परिजनों और अस्पताल में चोटों से उबर रहे घायलों की पहचान की पुष्टि करना आसान होगा। कोई भी दस्तावेज न होने की सूरत में मेडिकल रिपोर्ट जैसे अस्पताल के दस्तावेजों, पुलिस की डाटा एंट्री और डिस्चार्ज स्लिप से काम हो जाएगा। चुनौती उन आवेदकों की पुष्टि करने की है जिन्हें आग के हवाले कर दिए गए अपने घरों और दुकानों को छोड़कर भागना पड़ा।"
तरकीब फेल
बिजली के मीटर से पहचान की तरकीब भी नहीं आई काम
अधिकारियों के अनुसार, शनिवार शाम को दस्तावेजों की कमी के समाधान के तौर पर क्षतिग्रस्त मकानों में बिजली का मीटर चेक करने का फैसला लिया गया क्योंकि हर एक मीटर का एक नंबर (CA नंबर) होता है जिससे उन लोगों की पहचान की जा सकती है जो उस मकान में रहते थे और जिनके नाम पर मीटर था।
हालांकि उनकी ये तरकीब भी काम नहीं आई और ज्यादातर मकानों में मीटर जले हुए मिले।
जानकारी
समाधान निकालने के लिए समीक्षा बैठक करेंगी जिलाधिकारी
अब प्रशासन ने एक समीक्षा बैठक करके इस समस्या का हल निकालने का फैसला किया है। उत्तर-पूर्व दिल्ली की जिलाधिकारी शशि कौशल समाधान तक पहुंचने के लिए सभी अधिकारियों के साथ एक बैठक करेंगी। उन्होंने कहा कि राहत और मुआवजा उनकी प्राथमिकता हैं।
मुआवजा
अभी तक 69 आवेदकों को दी गई शुरूआती मदद
हालांकि, इन सभी समस्याओं के बावजूद कई पीड़ितों को मुआवजा दिया जा चुका है।
रविवार रात को मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, अभी तक 69 आवेदकों को 25,000 रुपये की शुरूआती मदद दी जा चुकी है। इन सभी 69 लोगों ने शनिवार को आवेदन किया था और रविवार को उनके दास्तावेजों की पुष्टि की गई। दस्तावेजों की पुष्टि के बाद पीड़ितों को मुआवजा दिया गया।