सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से संबंधित याचिकाओं को संवैधानिक पीठ को भेजा
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग से संबंधित सभी याचिकाओं को 5 जजों वाली संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया। बतौर रिपोर्ट्स, संवैधानिक पीठ 18 अप्रैल से मामले पर सुनवाई करेगी और इसकी लाइव स्ट्रीमिंग भी की जाएगी। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में देश की विभिन्न हाई कोर्ट्स में लंबित सभी याचिकाओं को अपने पास ट्रांसफर किया था और आज सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने सोमवार को समलैंगिक विवाह के मामले पर सुनवाई की। उन्होंने कहा कि याचिकाएं उन अधिकारों से संबंधित मुद्दों को उठाती हैं, जिनकी प्रकृति संवैधानिक है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मुद्दों के समाधान के लिए संविधान के अनुच्छेद 145(3) के तहत मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों वाली संवैधानिक पीठ द्वारा की जानी चाहिए।
क्या कहता है अनुच्छेद 145 (3)?
संविधान के अनुच्छेद 145 (3) के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में किसी महत्वपूर्ण प्रश्न से जुड़े किसी भी मामले को सुलझाने के लिए संवैधानिक पीठ द्वारा सुनवाई की जाएगी और इस पीठ में बैठने वाले जजों की न्यूनतम संख्या 5 होनी चाहिए।
केंद्र सरकार ने किया है समलैंगिक विवाह का विरोध
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाओं का विरोध किया है। सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि ऐसी शादियों की तुलना भारतीय परंपरा में पति-पत्नी से पैदा हुए बच्चों की अवधारणा से नहीं की जा सकती। केंद्र ने आगे कहा था कि शादी को समाज में संस्था का दर्जा प्राप्त है, जिसका अपना सार्वजनिक महत्व होता है और केंद्र केवल महिला-पुरुष की शादी को मान्यता देने की इच्छुक है।
समलैंगिक जोड़ों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट कई समलैंगिक जोड़ों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इनमें से एक याचिका हैदराबाद के रहने वाले सुप्रियो चक्रवर्ती और अभय डांग ने दायर की है। अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि वो पिछले 10 साल से रिलेशन में हैं और हाल ही में उन्होंने अपने परिजनों की मौजूदगी में शादी की थी। उन्होंने कहा कि अब वो चाहते हैं कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत उनकी शादी को मान्यता दी जाए।
समलैंगिक संबंधों पर मौजूदा कानून क्या कहता है?
कुछ साल पहले तक भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत देश में समलैंगिक संबंध अपराध की श्रेणी में आते थे, लेकिन 6 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए समलैंगिकता को अपराध करार देने वाले धारा 377 के प्रावधानों को निरस्त कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने अपने फैसले में समलैंगिक विवाह का कोई जिक्र नहीं किया था, जिसके कारण अभी तक इनकी स्थिति अधर में लटकी हुई है।
किन देशों में समलैंगिक विवाह को मिल चुकी है मान्यता?
बतौर रिपोर्ट्स, फिलहाल दुनियाभर के 32 देशों में समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता मिली हुई है। इनमें अर्जेंटीना, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, डेनमार्क, फिनलैंड, मैक्सिको, पुर्तगाल, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, नॉर्वे और ब्रिटेन जैसे देश शामिल हैं।