पारिवारिक पेंशन के लिए रिटायर्ड मृत रेलवे कर्मचारी के बेटे ने बदलवाया लिंग, रेलवे हैरान
सुप्रीम कोर्ट के समलैंगिकता को वैद्य करने के फ़ैसले के बाद कई छुपे हुए समलैंगिक सामने आए और अपना लिंग भी परिवर्तित करवाया है। कौन जानता था कि यह लिंग परिवर्तन रेलवे के गले की हड्डी बन सकता है। हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने रेलवे को हैरानी में डाल दिया है। दरअसल, पारिवारिक पेंशन के लिए एक रिटायर्ड मृत रेलवे कर्मचारी का बेटा अपना लिंग परिवर्तित करवाकर अब लड़की बन चुका है।
2017 में हुई थी रिटायर्ड पिता की मृत्यु
ख़बरों के अनुसार, रेलवे के केंद्र सरकार को 32 साल के एक लड़के (लिंग परिवर्तन के बाद महिला) का पत्र भेजा है। जिसमें महिला अब रेलवे से पारिवारिक पेंशन की माँग कर रही है। उसके पिता रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी थे, जिनकी 2017 में मृत्यु हो गई थी। बता दें कि रेलवे ऐसे परिवारों को पारिवारिक पेंशन देता है, जो उस कर्मचारी पर आश्रित हों। अब यह मामला रेलवे के लिए एक बड़ी परेशानी बनकर सामने आया है।
कौन कर सकता है पारिवारिक पेंशन के लिए दावा?
अगर किसी रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी का कोई बेटा न हो केवल बेटियाँ हों और उनकी शादी न हुई हो या बेटे की उम्र 25 साल से कम हो, तो वह पिता की मृत्यु के बाद पारिवारिक पेंशन के लिए दावा कर सकता है।
महिला ने भेजा था दक्षिणी रेलवे को पत्र
मामला 2018 में चेन्नई स्थित दक्षिण रेलवे के ऑफ़िस में पत्र आने के बाद जन्मा। उसके बाद से रेलवे इस मामले में किसी नतीजे पर नहीं पहुँच पाया है। अंत में रेलवे ने यह पत्र केंद्रीय कार्मिक, पेंशन और लोक शिकायत मंत्रालय और केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को भेज दिया। इंडियन एक्सप्रेस ने रेलवे के अधिकारियों के हवाले से बताया कि जिस परिवार में 25 साल से ज़्यादा उम्र का बेटा हो, वह इस पेंशन के योग्य नहीं है।
अविवाहित बेटी या तलाकशुदा बेटी के लिए नहीं है निश्चित कानून
रेलवे के अधिकारियों ने आगे बताया कि अविवाहित बेटी या तलाकशुदा बेटी को लेकर कोई निश्चित कानून नहीं है। बता दें कि सरकारी कर्मचारियों की मृत्यु के बाद उनकी विधवा पत्नियों को पेंशन देने का रिवाज काफ़ी समय से चला आ रहा है।
रेलवे के 160 सालों के इतिहास में देखा गया पहली बार ऐसा मामला
अब लड़की बन चुके लड़के ने अपनी याचिका में दावा किया है कि जब उसके पिता जीवित थे, तभी से वह महिला की तरह रह रहा है और वह अविवाहित भी है। इस हिसाब से वह पारिवारिक पेंशन का हकदार है। इस पूरे मामले पर दक्षिणी संभाग के वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी का कहना है कि रेलवे के 160 सालों के इतिहास में इस तरह का मामला नहीं देखा गया है। यह पहली बार है, जब ऐसा पत्र मिला है।
बच्चों के ट्रांसजेंडर होने की स्थिति से जुड़ें नियम हैं अस्पष्ट
मंडल कार्मिक अधिकारी का कहना है कि सरकार की नीतियाँ ऐसे मामलों के लिए अस्पष्ट हैं। वहीं, इस मामले पर केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि लड़के के दस्तावेज़ों के अनुसार, 2009 में उसे तमिलनाडु ट्रांसजेंडर वेलफेयर एसोसिएशन से एक सर्टिफ़िकेट मिला हुआ है। इस आधार पर उसे ट्रांसजेंडर की श्रेणी में रखा जा सकता है, लेकिन समस्या का समाधान संभव नहीं है, क्योंकि कर्मचारी के बच्चों के ट्रांसजेंडर होने की स्थिति से जुड़े नियम अस्पष्ट हैं।
अपने पार्टनर के साथ रखती है महिला
इंडियन एक्सप्रेस ने जब महिला बने लड़के से संपर्क किया तो, उन्होंने फोन नहीं उठाया। वहीं, रेलवे अधिकारियों का दावा है कि वह अपने पार्टनर के साथ रहती है। एक साल पुराने मामले में रेलवे अभी किसी निर्णय पर नहीं पहुँचा है।
भारत सरकार की पारिवारिक पेंशन को लेकर हैं कई नियम-कानून
रेलवे के एक अधिकारी के अनुसार, इस पत्र पर जोनल स्तर पर और दिल्ली के मंत्रालय में भी चर्चा हो चुकी है। अब केंद्र सरकार ही इस मामले को देख रही है। जानकारी के अनुसार, भारत सरकार की पारिवारिक पेंशन को लेकर कई नियम-कानून हैं। इनमें 'पेंशन अधिनियम, 1871', 'केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972' और 'केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन आयोग के नियम, 1981)' के अलावा भी कई नियम-कानून हैं।