सतलज-यमुना लिंक नहर विवाद: सुप्रीम कोर्ट की पंजाब सरकार को फटकार, जानें क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब की सरकारों के बीच दशकों से चल रहे सतलज यमुना लिंक (SYL) नहर विवाद में पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने पंजाब सरकार से उसे सख्त कार्रवाई करने के लिए मजबूर न करने की बात कही। कोर्ट ने जल्द से जल्द इस मामले का समाधान ढूंढने और इसे राजनीतिक प्रभाव से दूर रखने को कहा। कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार से मौजूदा हालत की रिपोर्ट भी मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति एसके कौल की अगुवाई वाली पीठ ने पंजाब सरकार से कोर्ट की मर्यादा को स्वीकार करने को कहा। कोर्ट ने कहा, "हम इसमें नहीं पड़ सकते। इसका समाधान ढूंढे। हमें परेशानी खड़े करने वाले आदेश देने को मजबूर न करें।" उसने केंद्र सरकार से पूछा कि वो इसपर क्या कर रही है और उसे आवंटित भूमि पर रिपोर्ट बनाने का निर्देश दिया। इस पीठ में न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया भी शामिल थे।
केंद्र सरकार को हल निकालने की पहल करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा, "हम पंजाब के हिस्से में नहर के निर्माण को लेकर चिंतित हैं। हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार नहर के लिए आवंटित पंजाब की भूमि का सर्वेक्षण करे। पंजाब ने कितना निर्माण किया है, इसका आंकलन करना होगा। केंद्र इस मामले का हल निकालने के लिए पहल करे।" अब इस ममले पर अगली सुनवाई जनवरी, 2024 में होगी। कोर्ट ने पहले भी दोनों राज्यों को सौहार्दपूर्ण तरीके से विवाद को निपटाने को कहा था।
अमित शाह से मिले भगवंत मान
इस सुनवाई से पहले पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले और कहा कि राज्य के पास बांटने के लिए पानी नहीं है। मान ने SYL परियोजना की बजाय यमुना सतलज लिंक (YSL) पर जोर दिया। मान ने कहा कि सतलज पहले ही सूख चुकी है और समय की मांग है कि गंगा और यमुना से सतलज के माध्यम से पंजाब तक पानी खींचा जाए और जल विवाद का एकमात्र समाधान यमुना का जल है।
सतलज यमुना लिंक विवाद क्या है?
सतलज यमुना लिंक का विवाद दशकों पुराना है। 1981 में पंजाब और हरियाणा सतलज को यमुना से जोड़ने वाली इस नहर की योजना पर सहमत हुए थे। 1982 में इस लिंक का निर्माण कार्य शुरू हुआ, जोकि 1991 तक पूरा होना था। हरियाणा ने 1996 में इसका काम पूरा कर लिया, लेकिन शुरुआती चरण के बाद ही पंजाब ने ये कहते हुए काम दिया कि सतलज में यमुना को देने के लिए पर्याप्त पानी नहीं है।