केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, पूर्वोत्तर में लागू विशेष प्रावधानों से नहीं लगाएंगे हाथ
सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं को लेकर सुनवाई जारी है। सुनवाई के दौरान बुधवार को केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसका पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में लागू विशेष प्रावधानों में हस्तक्षेप करने का कोई इरादा नहीं है। दरअसल, वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष तिवारी ने आशंका जताई थी कि जिस तरह जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म किया गया, उसी तरह पूर्वोत्तर राज्यों में भी ऐसा किया जा सकता है।
केंद्र सरकार ने क्या कहा?
केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान कहा, "हमें अनुच्छेद 370 जैसे अस्थायी प्रावधान और पूर्वोतर भारत के राज्यों पर लागू होने वाले विशेष प्रावधानों के बीच अंतर को समझना चाहिए। केंद्र सरकार का इन विशेष प्रावधानों में छेड़छाड़ करने का कोई इरादा नहीं है।" उन्होंने आगे कहा, "प्रावधानों में हस्तक्षेप करने के गंभीर परिणाम होंगे। इनको लेकर कोई आशंका नहीं है और आशंका पैदा करने की कोई आवश्यकता नहीं है।"
सुप्रीम कोर्ट ने क्या टिप्पणी की?
भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "तर्क दिया गया है कि जम्मू-कश्मीर पर लागू संविधान के भाग 21 में निहित प्रावधानों के अलावा पूर्वोत्तर भारत के लिए अन्य विशेष प्रावधान भी हैं। SG ने साफ किया है कि केंद्र सरकार का इनमें हस्तक्षेप करने का कोई इरादा नहीं है।" उन्होंने आगे कहा, "अनुच्छेद 371 और सुनवाई किए जा रहे मामले के बीच में कोई समानता नहीं है। SG का बयान सभी आशंकाओं को दूर करता है।"
पूर्वोत्तर राज्यों को अनुच्छेद 371 के तहत मिला है विशेष दर्जा
भारत के संविधान के भाग 21 में कुछ राज्यों को विशेष दर्जा दिया गया है। इस भाग में अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 371 शामिल हैं। केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाते हुए जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर उसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया था। अनुच्छेद 371 के विभिन्न खंडों में पूर्वोतर राज्यों, मणिपुर, असम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मिजोरम और नागालैंड, और भारत के 5 अन्य राज्यों के लिए विशेष प्रावधानों का जिक्र है।
न्यूजबाइट्स प्लस
अनुच्छेद 371 की धारा 371(क) के तहत नागालैंड को विशेष अधिकार मिले हुए हैं और नागा समुदाय की पारंपरिक प्रथाओं और शासकीय, नागरिक और आपराधिक न्याय संबंधी नियमों को संसद राज्य विधानसभा की मंजूरी के बिना नहीं बदल सकती। इन नियमों के कारण तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य की तरह नागालैंड में भी कोई बाहरी व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सकता है। इसी प्रकार अनुच्छेद 371 (ख) के तहत असम विधानसभा में आदिवासी अधिकारों पर विशेष समिति गठित करने का प्रावधान है।