2021-22 में भाजपा को मिला 614 करोड़ का चंदा, कांग्रेस से 6 गुना अधिक
भाजपा को वर्ष 2021-22 के दौरान 614.53 करोड़ रुपये चंदे के रूप में मिले थे। यह धनराशि कांग्रेस को मिले चंदे से करीब छह गुना ज्यादा है। चुनाव आयोग के अनुसार, कांग्रेस को इस अवधि के दौरान 95.46 करोड़ रुपये का चंदा मिला था। वहीं, भाजपा को 2020-21 में 477.5 करोड़ रुपये, जबकि कांग्रेस को 74.5 करोड़ रुपये चंदे के तौर पर मिले थे। गौरतलब है कि भाजपा पिछले आठ वर्षों से देश में सरकार चला रही है।
भाजपा को मिले चंदे में सबसे बड़ा हिस्सा इलेक्टोरल ट्रस्ट का
द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, भाजपा द्वारा घोषित किए गए 614.5 करोड़ रुपये के चंदे में से 56 प्रतिशत से अधिक धनराशि पार्टी को इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए मिली है। भारती एयरटेल ग्रुप, GMR ग्रुप, DLF ग्रुप, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) जैसे बड़े समूहों ने 336.5 करोड़ रुपये पार्टी को इलेक्टोरल ट्रस्ट के रूप में दिए। वहीं, 10 करोड़ से अधिक का चंदा एबी जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए मिला था।
देश की सात राष्ट्रीय पार्टियों को मिला 778.7 करोड़ रुपये का चंदा
चुनाव आयोग के मुताबिक, देश की सात राष्ट्रीय पार्टियों को 2021-22 में कुल 778.7 करोड़ रुपये का चंदा मिला। इनमें भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), CPI-M और बसपा शामिल हैं। गौरतलब है कि बसपा और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) ने 2021-22 के लिए अभी अपना ब्योरा दाखिल नहीं किया है। वहीं, 2020-21 में CPI समेत इन आठ पार्टियों को कुल 592 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त हुआ था।
TMC को मिला 43 लाख रुपये का चंदा
आंकड़ों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) को 2021-22 के दौरान 43 लाख रुपये का चंदा प्राप्त हुआ। वहीं, केरल की सत्ता पर काबिज कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्क्सवादी (CPI-M) को चंदे के रूप में 10.05 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। गौरतलब है कि TMC और CPI-M को 2020-21 में क्रमशः 42.5 लाख रुपये और 12.8 करोड़ रुपये का चंदा मिला था। बता दें कि पश्चिम बंगाल और केरल में 2021 में विधानसभा चुनाव हुए थे।
AAP को भी मिला बड़ा चंदा
दिल्ली और पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) को पिछले वित्त वर्ष में 44.54 करोड़ रुपये का चंदा मिला था। गौरतलब है कि AAP को दिल्ली और पंजाब के अलावा गोवा में भी क्षेत्रीय पार्टी के तौर पर मान्यता मिली हुई है।
पार्टियों को देनी होती है जानकारी
भारत की राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों ने हाल ही में अपने द्वारा प्राप्त किए गए चंदे की रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंपी थी, जिनके दस्तावेजों को मंगलवार को सार्वजनिक कर दिया गया। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के मुताबिक, राजनीतिक पार्टियों को लोगों या संस्थाओं से प्राप्त 20,000 रुपये से ज्यादा के चंदे से जुड़ी जानकारी चुनाव आयोग को हर साल देनी होती है। इस चंदे में इलेक्टोरल ट्रस्ट की भी बड़ी हिस्सेदारी होती है।