
बंगाल पंचायत चुनाव: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय बलों की तैनाती के खिलाफ दायर याचिका खारिज की
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान केंद्रीय बलों की तैनाती के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। राज्य चुनाव आयोग और बंगाल सरकार ने ये याचिका दाखिल की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के राज्य चुनाव आयोग (SEC) को फटकार लगाते हुए कहा कि कोई भी चुनाव आयोजित करवाना हिंसा का लाइसेंस नहीं हो सकता है।
कोर्ट ने कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाना राज्य चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है।
फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया हाई कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस मनोज मिश्रा की अवकाश पीठ ने सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हाई कोर्ट के आदेश में किसी भी तरह की हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के लिए केंद्रीय बलों को तैनात किया जा सकता है। राज्य में एक दिन में 75,000 से अधिक सीटों पर चुनाव हो रहा है और इस लिहाज से फैसला ठीक है।"
फैसला
बंगाल में पहले कई मौकों पर हो चुकी है हिंसा- सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार पहले भी कई मौकों पर केंद्रीय बलों की मांग कर चुकी है, जिसका मतलब है कि राज्य सरकार खुद मानती है कि उसके पास पुलिसकर्मियों की कमी है।
उन्होंने कहा, "हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में हुईं हिंसा की पिछली घटनाओं को ध्यान में रखते हुए यह फैसला दिया है। अगर हिंसा के कारण लोग नामांकन नहीं करवा पा रहे हैं तो निष्पक्ष चुनाव करवाए जाने के कोई मायने नहीं हैं।"
आदेश
हाई कोर्ट ने क्या आदेश दिया था?
कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टीएस शिवगणनम और न्यायाधीश उदय कुमार की खंडपीठ ने 15 जून को राज्य चुनाव आयोग को 48 घंटे के अंदर केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए केंद्र सरकार को एक अनुरोध भेजने का निर्देश दिया था।
हाई कोर्ट ने कहा था कि 13 जून के उसके आदेश के बावजूद पंचायत चुनाव के दौरान संवेदनशील इलाकों की पहचान करने और केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है।
खुशी
सुवेंदु अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जताई खुशी
पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई है।
उन्होंने ट्वीट किया, 'सुप्रीम कोर्ट ने स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए राज्य चुनाव आयोग की याचिका को खारिज कर दिया है और कलकत्ता हाई कोर्ट के सभी निर्देशों को बरकरार रखा है।'
उन्होंने लिखा, 'पश्चिम बंगाल सरकार के साथ मिलीभगत कर राज्य चुनाव आयोग लोकतंत्र और चुनाव का मजाक उड़वाना चाहता था।'
हिंसा
हिंसा की घटनाओं में हुई है कई लोगों की मौत
पश्चिम बंगाल के कई जिलों में हिंसक घटनाएं हुई हैं, जिनमें करीब 7 लोगों की मौत हुई है। मालदा में शनिवार को तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी।
इससे पहले मुर्शिदाबाद के खरग्राम में कांग्रेस नेता फूलचंद शेख की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
इससे पहले 15 जून को नामांकन के आखिरी दिन बीरभूम जिले के अहमदपुर में खंड विकास अधिकारी (BDO) के कार्यालय पर कथित तौर पर देसी बम फेंके गए थे।
हिंसा
बंगाल में पिछले पंचायत चुनाव में भी हुई थी हिंसा
बता दें कि 2018 में हुए पंचायत चुनाव में तृणमूल कांग्रेस(TMC) ने करीब 34 प्रतिशत सीटों पर निर्विरोध जीत हासिल की थी।
हालांकि, इस दौरान भी बड़े स्तर पर हिंसा हुई थी। इस दौरान बम फेंकने, बूथ कैप्चर करने से लेकर बैलेट बॉक्स जलाने की घटनाएं हुई थीं। आंकड़ों के मुताबिक, हिंसक घटनाओं में 13 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 50 से ज्यादा घायल हुए थे।
विपक्षी पार्टियों ने इसका आरोप TMC पर लगाया था।