सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे पर रोक लगाने से इनकार किया
सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में जारी वैज्ञानिक सर्वे पर रोक लगाने से मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा सर्वे का कार्य खुदाई के बिना पूरा किया जाए और इसमें ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। मुस्लिम पक्ष ने सर्वे पर रोक लगाने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पादरीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई की। मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा, "सॉलिसिटर जनरल ने ASI की तरफ से स्पष्ट किया है कि सर्वे के दौरान परिसर में खुदाई नहीं की जाएगी और न ही ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा तो ऐसे में मामले में हस्तक्षेप करने की कोई वजह नहीं है।"
मुस्लिम पक्ष ने क्या दलील दी थी?
मुस्लिम पक्ष ने ASI के सर्वे का विरोध करते हुए दलील दी थी कि यह इतिहास के घावों को फिर से हरा कर देगा। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति के वकील हुजैफा अहमदी ने कहा, "इतिहास ने हमें कुछ सिखाया है। दिसंबर, 1992 में जो हुआ, वह हर कदम पर संदेह और अविश्वास पैदा करता है। सर्वे का इरादा यह जानने का है कि 500 साल पहले क्या हुआ था। यह अतीत के घावों को फिर से खोल देगा।"
ASI ने आज से शुरू किया है सर्वे
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे की मंजूरी दी थी, जिसके बाद ASI की टीम ने आज सुबह सर्वे का कार्य शुरू कर दिया था। गौरतलब है कि इससे पहले 24 जुलाई को भी सर्वे का कार्य शुरू हुआ था, लेकिन मुस्लिम पक्ष तब भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था और सर्वे पर बीच में ही रोक लग गई थी।
क्या है ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का मामला?
पिछले साल 5 हिंदू महिलाओं ने वाराणसी की जिला कोर्ट में ज्ञानवापी परिसर में मां शृंगार गौरी की सालभर पूजा करने की इजाजत मांगी थी। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर कराए वीडियो सर्वे में वजूखाने में शिवलिंग जैसी संरचना मिली थी। शिवलिंग जैसी संरचना मिलने के बाद हिंदू पक्ष ने मस्जिद के परिसर के वैज्ञानिक सर्वे की मांग की, जिसकी 21 जुलाई को वाराणसी जिला कोर्ट ने मंजूरी दे दी।