वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद का वीडियो सर्वे पूरा हुआ, कल कोर्ट में पेश की जाएगी रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का वीडियो सर्वे पूरा हो गया है। कल तक लगभग 65 प्रतिशत सर्वे पूरा हो गया था और आज सुबह बाकी सर्वे को निपटा दिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सर्वे की रिपोर्ट कल कोर्ट में पेश की जाएगी। हिंदू पक्ष के वकील ने मस्जिद में स्थित कुएं में शिवलिंग मिलने का दावा किया है, हालांकि इस दावे की सच्चाई कल ही स्पष्ट हो पाएगी।
वाराणसी कोर्ट के आदेश पर किया गया है मस्जिद का वीडियो सर्वे
दिल्ली की पांच महिलाओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए वाराणसी की एक कोर्ट ने 9 अप्रैल को ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर का निरीक्षण और वीडियोग्राफी करने का आदेश दिया था। 6 मई को ये सर्वे शुरू किया गया, लेकिन अगले ही दिन वीडियोग्राफी और मस्जिद में प्रवेश को लेकर मस्जिद समिति के विरोध के कारण इसे बंद करना पड़ा। 12 मई को मामले में फिर से सुनवाई हुई और कोर्ट ने वीडियो सर्वे जारी रखने का आदेश जारी किया।
याचिका में क्या मांगें की गई थीं?
दिल्ली की पांच महिलाओं ने वाराणसी कोर्ट में दायर अपनी याचिका मांग की थी कि मस्जिद परिसर में मौजूद मां शृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, आदि विशेश्वर, नंदीजी और अन्य देवी-देवताओं के दर्शन, पूजा और भोग की इजाजत साल भर मिलनी चाहिए। अभी साल में केवल एक बार दर्शन की इजाजत है। उन्होंने मस्जिद के परिसर में मौजूद कुएं में शिवलिंग होने का दावा भी किया और मूर्तियों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए सर्वे की मांग की।
ओवैसी ने किया सर्वे का विरोध
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस सर्वे का विरोध किया थाी। समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कोर्ट का आदेश पूजा स्थल अधिनियम, 1991 और बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का खुला उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार को इन लोगों के खिलाफ तत्काल FIR दर्ज करनी चाहिए। ओवैसी ने ये भी कहा कि वो एक बाबरी मस्जिद खो चुके हैं और एक और मस्जिद नहीं खोना चाहते।
क्या है ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर का सदियों पुराना विवाद?
हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद को मुगल शहंशाह औरंगजेब के निर्देश पर बनाया गया था और इसके लिए काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को तोड़ा गया था। उनका कहना है कि मस्जिद मंदिर की जमीन पर बनी हुई है। दूसरी तरह मस्जिद समिति का कहना है कि मंदिर का मस्जिद से कोई संबंध नहीं है और ये अलग जमीन पर बनी हुई है। पिछले तीन दशक में ये विवाद कई बार सुर्खियों में रह चुका है।