
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित केस में कब क्या हुआ?
क्या है खबर?
वाराणसी की जिला कोर्ट आज ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित केस में अहम फैसला सुनाएगी। आज इस बात पर फैसला आना है कि मस्जिद में पूजा करने की अनुमति मांगने वाली पांच महिलाओं की याचिका सुनवाई करने योग्य है या नहीं।
मस्जिद का संचालन करने वाली समिति ने इस याचिका का विरोध किया है और इसे उपासना स्थल अधिनियम, 1991 के खिलाफ बताया है।
आइए जानते हैं कि इस पूरे कोर्ट केस में कब क्या हुआ।
शुरूआत
पांच महिलाओं की याचिका से हुई केस की शुरूआत
मामले की शुरूआत अगस्त, 2021 में वाराणसी कोर्ट में दाखिल की गई पांच महिलाओं की याचिका के साथ हुई।
उन्होंने मस्जिद परिसर में मौजूद मां शृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और अन्य देवी-देवताओं के दर्शन, पूजा और भोग की इजाजत सालभर के लिए मांगी। अभी साल में केवल एक बार दर्शन की इजाजत है।
उन्होंने मस्जिद में मौजूद तालाब में शिवलिंग होने का दावा भी किया और मूर्तियों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए सर्वे की मांग की।
सर्वे
सर्वे पर वाराणसी कोर्ट ने क्या फैसला दिया?
9 अप्रैल, 2022 को इस याचिका पर फैसला सुनाते हुए रवि कुमार दिवाकर की वाराणसी सिविल कोर्ट (सीनियर डिविजन) ने एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार को मस्जिद परिसर का सर्वे और वीडियोग्राफी करने का आदेश दिया।
मस्जिद समिति ने इसके खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की जिसने इसे खारिज कर दिया।
कोर्ट के आदेश पर 6 मई को सर्वे शुरू किया गया, लेकिन अगले ही दिन मस्जिद समिति के विरोध के कारण इसे बंद करना पड़ा।
फिर से सुनवाई
कोर्ट के आदेश के बाद पूरा किया गया सर्वे
मस्जिद समिति के विरोध के बाद मामला एक बार फिर से वाराणसी कोर्ट में पहुंचा। 12 मई को हुई सुनवाई में कोर्ट ने वीडियो सर्वे जारी रखने का आदेश जारी किया। उसने 17 मई तक सर्वे पूरा करने का निर्दश दिया।
इस बीच सर्वे को रोकने के लिए मस्जिद समिति ने 13 मई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। सुप्रीम कोर्ट याचिका पर सुनवाई के लिए तो तैयार हो गया, लेकिन उसने सर्वे पर रोक नहीं लगाई।
सर्वे का नतीजा
सर्वे में क्या सामने आया?
मस्जिद का वीडियो सर्वे 16 मई को पूरा हो गया। सर्वे करने वाली टीम के प्रमुख रहे पूर्व एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार ने अपनी रिपोर्ट में मस्जिद में शेषनाग की आकृति, हिंदू देवी-देवताओं की आकृतियां, त्रिशूल, डमरू और कमल के अवशेष मिलने का दावा किया।
वहीं हिंदू पक्ष के एक वकील ने दावा किया कि मस्जिद स्थित तालाब (वजूखाने) को खाली करने पर इसमें शिवलिंग मिली।
उसकी याचिका पर कोर्ट ने तालाब को सील कर दिया।
ट्रांसफर
सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी जिला कोर्ट को ट्रांसफर किया केस
मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए 20 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दखल देने और वाराणसी कोर्ट के आदेशों को अवैध घोषित करने से इनकार कर दिया।
मामले पर खुद सुनवाई करने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद से संबंधित सभी मामलों को सिविल कोर्ट से जिला कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिला जज को 25 साल का अनुभव है और वो मामले पर सुनवाई करने के काबिल हैं।
जानकारी
वाराणसी कोर्ट में 26 मई को शुरू हुई सुनवाई, अगस्त में पूरी हुई
वाराणसी जिला कोर्ट में 26 मई को पहली सुनवाई हुई और पहले मस्जिद समिति को अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया। इसके बाद हिंदू पक्ष ने अपनी दलीलें रखीं। दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने 24 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद
न्यूजबाइट्स प्लस
ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित विवाद सदियों पुराना है।
हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद को मुगल शहंशाह औरंगजेब के निर्देश पर बनाया गया था और इसके लिए काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को तोड़ा गया था। उनका कहना है कि मस्जिद मंदिर की जमीन पर बनी हुई है।
दूसरी तरह मस्जिद समिति का कहना है कि मंदिर का मस्जिद से कोई संबंध नहीं है और ये अलग जमीन पर बनी हुई है।