ताजमहल को 'तेजो महालय' बताने के दावे की शुरुआत कैसे हुई?
क्या है खबर?
पिछले कुछ दिनों से आगरा स्थित ताजमहल चर्चा में है। दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी कि ताजमहल में बंद रहने वाले 22 कमरों का ताला खुलवाया जाए ताकि यह पता लगाया जा सके कि यहां मूर्तियां या शिलालेख तो नहीं रखे हैं।
इससे पहले भी कई बार ताजमहल को 'तेजो महालय' बताने वाले दावा किए जाते रहे हैं।
आइये जानते हैं कि इन दावों की शुरुआत कैसे और कहां से हुई।
हालिया दावा
भाजपा सांसद ने किया ताजमहल से जुड़ा बड़ा दावा
याचिका खारिज होने से एक दिन पहले जयपुर के शाही घराने की सदस्य और भाजपा सांसद दिया कुमारी ने कहा था कि जिस जमीन पर ताजमहल बना है, पहले उस जमीन पर जयपुर शाही घराने का महल हुआ करता था, जिस पर शाहजहां ने कब्जा कर लिया था।
उन्होंने कहा कि उनके पास ये दावा साबित करने के लिए दस्तावेज भी मौजूद हैं। अगर कोर्ट आदेश देता है तो दस्तावेज पेश कर दिए जाएंगे।
विवाद
कई बार ताजमहल को बताया जा चुका है हिंदू मंदिर
पिछले कई सालों से कई लोगों ने यह दावा दोहराया और इसे हवा दी है कि ताजमहल असल में एक हिंदू मंदिर है।
2017 में भाजपा के तत्कालीन राज्यसभा सांसद विनय कटियार ने कहा था कि ताजमहल असल में भगवान शिव का मंदिर है। इसका नाम 'तेजो महालय' होता था और हिंदू शासक ने इसका निर्माण करवाया था।
हालिया दिनों में सोशल मीडिया पर इस दावे को खूब हवा देकर शेयर किया जा रहा है।
क्या आप जानते हैं?
कैसे हुई 'तेजो महालय' वाले दावे की शुरुआत?
इतिहासकार पीएन ओक ने 1989 में आई अपनी एक किताब में दावा किया था कि ताजमहल असल में 'तेजो महालय' है। इसे लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की थी, जिसे 2000 में खारिज कर दिया गया था।
जानकारी
कई ऐतिहासिक धरोहरों को हिंदुओं से जुड़ी बता चुके हैं ओक
इंस्टीट्यूट फॉर रिसाइटिंग इंडियन हिस्ट्री के संस्थापक और इतिहासकार पीएन ओक का मानना था कि जिन धरोहरों को मुस्लिम शासकों की बताया जा रहा है, वो असल में हिंदुओं ने बनवाई थी।
1976 में उन्होंने 'लखनऊज इमामबाड़ा आर हिंदू प्लेसेज' और बाद में 'दिल्लीज रेड फोर्ड इज हिंदू लालकोट' नाम से किताबें लिखी थीं।
ताजमहल को लेकर इन दावों की शुरुआत उनकी 1989 में आई 'ताजमहल: द ट्रू स्टोरी' से हुई थी।
जानकारी
ताजमहल को लेकर ओक ने क्या दावा किया?
अपनी इस किताब में ओक ने लिखा कि जिस ताजमहल को शाहजहां का बनवाया कहा जाता है, वह भगवान शिव का मंदिर था, जिसका निर्माण राजा परमरदी देव ने संभवत: चौथी सदी में करवाया था
उनके मुताबिक, ताजमहल न सिर्फ मुगलों के भारत आने से सदियों पहले बन गया था बल्कि शोध से यह पता चला है कि 'तेजो महालय' ही उच्चारण की गड़बड़ियों के चलते ताजमहल बन गया। शाहजहां ने इस पर कब्जा कर इसे मकबरा बना दिया।
दावा
मोहम्मद गौरी के आक्रमण में नष्ट हुआ 'तेजो महालय'- ओक
ओक ने अपनी किताब में लिखा है कि 12वीं सदी में मोहम्मद गौरी ने भारत पर आक्रमण के दौरान 'तेजो महालय' को नष्ट किया गया था। बाद में 16वीं सदी के मध्य में हुमायूं की हार के बाद यह जयपुर शाही परिवार के पास चला गया और आमेर के राजा जय सिंह की देखरेख में आ गया।
अपने इस दावे को लेकर ओक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उनकी याचिका खारिज हो गई थी।
ताजमहल
ओक ने भी की थी बंद कमरे खोलने की मांग
ओक ने भी ताजमहल के बंद कमरों को खोलने की मांग की थी। उन्होंने लिखा था, 'मुझे ऐसा लगता है कि उन बंद कमरों में कुछ महत्वपूर्ण सबूत छिपे हुए हैं। उनमें संस्कृत शिलालेख, हिंदू मूर्तियां, शास्त्र, सिक्के और शाहजहां के आने से पहले का इतिहास हो सकता है।'
हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर की गई याचिका में भी ओक की बातों को दोहराया गया था।
2015 में भी आगरा कोर्ट में ऐसी याचिका दायर हुई थी।
ताजमहल
जमीन को लेकर क्या कहते हैं इतिहासकार?
ओक के इस दावे के पीछे बाकी इतिहासकार कोई ऐतिहासिक आधार नहीं मानते।
हालांकि, कुछ इतिहासकारों का कहना है कि जिस जमीन पर ताजमहल बना है, वह जयपुर के शाही परिवार के नियंत्रण में थी। यमुना नदी से लेकर आगरा के किले तक की जमीन राजा जयसिंह के अधीन थी। अकबर ने यह जमीन लेकर इसका इस्तेमाल किया।
यह भी बताया जाता है कि इस जमीन के बदले शाहजहां ने जय सिंह को पर्याप्त मुआवजा दिया था।
सवाल
क्या हमेशा बंद रहते हैं ताजमहल के कमरे?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एक अधिकारी ने कहा कि पहली बात तो ताजमहल में कमरे नहीं कोठरियां (सेल्स) हैं और ये हमेशा बंद नहीं रहतीं। हाल ही में इन्हें सरंक्षण के काम के लिए खोला गया था।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आज तक के रिकॉर्ड्स देखें तो ऐसे कोई सबूत नहीं हैं कि इन कोठरियों में मूर्तियां थीं।
अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा कारणों से आम लोगों को इन कोठरियों तक नहीं जाने दिया जाता है।