लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग, सोनम वांगचुक ने किया अनशन का ऐलान
लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग तेज हो गई है। सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने एक वीडियो जारी केंद्र सरकार से इसे लागू करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की दृष्टि से लद्दाख बेहद महत्वपूर्ण है और केंद्र शासित प्रदेश घोषित होने के तीन साल बाद आज लद्दाख की हालत 'ऑल इज नॉट वेल' है। वांगचुक 26 जनवरी से माइनस 40 डिग्री तापमान के बीच अनशन पर बैठने जा रहे हैं।
सोनम वांगचुक ने सरकार से क्या कहा?
खारदुगला पास पर बनाए वीडियो में वांगचुक ने कहा, "यहां के लोगों को विश्वास था कि सरकार उन्हें संरक्षण देगी और सरकार ने शुरू-शुरू में यह आश्वासन भी दिया। गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय या फिर जनजातीय मंत्रालय, हर जगह से खबरें आईं कि लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल किया जाएगा, लेकिन महीने बीत जाने के बाद भी इस बारे में कोई बातचीत नहीं हुई।" बता दें कि वांगचुक को लेकर बॉलीवुड सुपरहिट फिल्म 'थ्री इडियट्स' बनाई गई थी।
भाजपा ने किया था लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा- वांगचुक
वांगचुक ने कहा कि भाजपा ने 2020 लद्दाख हिल काउंसिल चुनाव के लिए जारी घोषणापत्र में छठी अनुसूची लागू करने का वादा किया था। उन्होंने कहा, "भाजपा सरकार ने खुद वादा किया। लोगों से एक बार नहीं, दो बार कि हम आपको छठी अनुसूची देंगे। आप हमें चुनाव जीतने का अवसर दीजिए। वो लद्दाख ने दिया, बल्कि मैंने खुद अपना वोट भाजपा को दिया... अब लद्दाख के नेताओं को कहा गया कि छठी अनुसूची पर आप बात न करें।"
2019 में केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने किया था वादा- वांगचुक
वांगचुक ने कहा कि संविधान की छठी अनुसूची में उल्लेख है कि अगर किसी इलाके की आबादी में 50 फीसदी जनजाति हो तो उसे अनुसूची 6 में शामिल किया जाएगा, लेकिन लद्दाख में जनजाति 95 फीसदी है, फिर भी उसे अब तक अनुसूची में शामिल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि साल 2019 में केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने उन्हें पत्र लिखकर भरोसा दिलाया था कि लद्दाख की विरासत को संरक्षित करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
जल सकंट से जूझ रहे लद्दाख के सैकड़ों गांव- वांगचुक
वांगचुक ने कहा, "लद्दाख के कई गांव जल संकट से जूझ रहे हैं। यहां के लोग पानी की कमी की वजह से गांव छोड़ने को मजबूर हैं। अब आप सोचिए अगर यहां सैकड़ों उद्योग लगें, माइनिंग हो तो उसकी धूल और धुएं से हमारे ग्लेशियर तो जल्द ही खत्म हो जाएंगे।" उन्होंने कहा कि लद्दाख और हिमालय के संरक्षण में ही भारत की सुरक्षा है और 26 जनवरी से वह पांच दिवसीय अनशन शुरू करने जा रहे हैं।
क्यों उठी लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग?
साल 2019 में अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग करके केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था, लेकिन 2019 से लद्दाख का प्रशासन नौकरशाहों के हाथों में ही रहा। ऐसे में जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर लद्दाख में भी अधिवास नियमों में बदलाव की आशंका बनी हुई है। लद्दाख के लोग यहां की विशेष संस्कृति और भूमि अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए इसे छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।
संंविधान की छठी अनुसूची क्या है?
1949 में संविधान सभा की ओर से पारित छठी अनुसूची स्वायत्त क्षेत्रीय परिषद और स्वायत्त जिला परिषदों के माध्यम से आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा का प्रावधान करती है। यह विशेष प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 244 (2) और अनुच्छेद 275 (1) के तहत किया गया है। राज्यपाल को स्वायत्त जिलों को गठित करने और पुनर्गठित करने का अधिकार है। लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करना मुश्किल है क्योंकि संविधान में स्पष्ट है कि छठी अनुसूची पूर्वोत्तर के लिए है।