दिल्ली के रामलीला मैदान में जुटे 50,000 किसान, सरकार को दी आंदोलन की चेतावनी
क्या है खबर?
राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के भारतीय किसान संघ (BKS) के बैनर तले सात राज्यों के लगभग 50,000 किसानों ने 'किसान गर्जना' रैली की।
इस रैली के माध्यम से केंद्र सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेते वक्त किए गए वादों को याद दिलाया गया।
BKS ने रैली में चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो किसान एक बार फिर बड़ा आंदोलन करेंगे।
मांग
क्या हैं किसानों की मांगें?
सभी कृषि फसलों पर किसानों को लाभदायक मूल्य मिलना चाहिए।
कृषि उपज पर GST नहीं लगना चाहिए।
किसान सम्मान निधि के तहत दी जाने वाली वित्तीय राहत को बढ़ाया जाना चाहिए।
आनुवंशिक रूप से संशोधित (Genetically Modified) सरसों के बीज को मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए।
निर्यात और आयात नीति किसानों के हित में होनी चाहिए।
किसानों के ट्रैक्टरों पर व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत 15 साल का नियम लागू नहीं होना चाहिए।
सलाह
केंद्र सरकार को अतीत से सीखना चाहिए- कांग्रेस
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि किसानों ने एक बार फिर राजधानी दिल्ली में एक और बड़े आंदोलन की तैयारी कर ली है।
उन्होंने कहा, "अतीत से सीखो या उस भूल को दोहराकर बर्बाद हो जाओ।"
उन्होंने कहा कि किसानों की मांगों और मुद्दों पर भारत सरकार को ध्यान देना चाहिए, नहीं तो उसे फिर किसानों के विरोध का सामना करना पड़ेगा।
एडवाइजरी
रैली के कारण दिल्ली पुलिस ट्रैफिक ने जारी की थी एडवाइजरी
किसानों की गर्जना रैली को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने ट्रैफिक एडवाजरी जारी की थी। इसके तहत महाराजा रणजीत सिंह मार्ग, मीरदर्द चौक, मिंटो रोड, अजमेरी गेट, चमन लाल मार्ग, दिल्ली गेट, जेएलएन मार्ग, कमला मार्केट से हमदर्द चौक, भवभूति मार्ग और पहाड़गंज चौक को डायवर्जन प्वाइंट बनाया गया था।
इसके अलावा पुलिस ने नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली और निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के साथ-साथ आनंद विहार ISBT जाने वाले यात्रियों को गंतव्य के लिए जल्द निकलने की सलाह दी थी।
चेतावनी
BKS ने सरकार को दी चेतावनी
BKS की कार्यसमिति के सदस्य नाना आखरे ने कहा कि आज अपनी कृषि उपज का उचित मूल्य नहीं मिलने की वजह से किसान बहुत निराश हैं और आत्महत्या कर रहे हैं।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर समय से उनकी मागें को नहीं मानी गईं तो केंद्र की भाजपा सरकार को एक बार फिर किसानों के गुस्से का सामना करना पड़ेगा और सरकार नए आंदोलन के लिए तैयार रहे।
किसान आंदोलन
पहले क्यों हुआ था किसान आंदोलन?
2020 में केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानून लेकर आई थी जिनमें प्राइवेट मंडिया बनाने और अनुबंध खेती को अनुमति देने समेत कई बड़े प्रावधान किए गए थे।
इन कानूनों का विरोध करते हुए हजारों किसानों ने 26 नवंबर, 2020 से लगभग एक साल तक दिल्ली की सीमाओं पर बड़ा आंदोलन किया था।
उनके विरोध के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर, 2021 को तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया था।