जजों की नियुक्ति के लिए देश में नई व्यवस्था की जरूरत- रिजिजू
जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार पिछले कुछ समय से आमने-सामने है। अब केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने लंबित पड़े मामलों को जजों की नियुक्ति से जोड़ते हुए कहा है कि यह मामला तब तक नहीं सुलझ सकता, जब तक नियुक्ति के लिए नई व्यवस्था नहीं आ जाती। इससे पहले रिजिजू ने बताया था कि देश की अदालतों में पांच करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं। आइये पूरी खबर जानते हैं।
नई व्यवस्था आने तक उठते रहेंगे जजों की नियुक्ति पर सवाल- रिजिजू
रिजिजू ने कहा कि अगर आप संविधान के प्रावधानों को देखेंगे तो पाएंगे कि जजों की नियुक्ति कोर्ट से परामर्श के बाद केंद्र सरकार का अधिकार था। 1993 के बाद यह बदल गया। उन्होंने आगे कहा, "हम अदालतों में लंबित मामलों को सुलझाने के लिए मदद कर रहे हैं, लेकिन जब तक हम नियुक्तियों के लिए नई व्यवस्था तैयार नहीं कर लेते, तब तक जजों की नियुक्तियों पर सवाल उठते रहेंगे।"
लोगों और सदन की भावना नहीं दर्शाता कॉलेजियम सिस्टम- रिजिजू
नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन (NJAC) बिल, 2014 का जिक्र करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि संसद ने सर्वसम्मति से इस विधेयक को पारित किया था, लेकिन इसे 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। मौजूदा कॉलेजियम सिस्टम सदन और जनता की भावना को नहीं दर्शाता है। NJAC को खारिज करने वाली संवैधानिक बेंच में शामिल जज भी सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि संसद से पारित विधेयक को खारिज करना ठीक नहीं था।
अदालतों की छुट्टियों पर कही यह बात
लोकसभा में बोलते हुए रिजिजू ने कहा कि भारत के लोगों में यह भावना है कि अदालतें लंबी छुट्टियां लेती हैं, जो न्याय पाने के इच्छुक लोगों के लिए सुविधाजनक नहीं है और इस संदेश को न्यायपालिका तक पहुंचाने का उनका दायित्व है। उन्होंने बताया कि 2019, 2020 और 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने क्रमश: 224, 217 और 202 दिन काम किया है। इसी तरह हाई कोर्ट्स में भी साल में औसतन 210 दिन काम होता है।
देश में लंबित हैं 4.90 करोड़ मामले
कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला के पूछे एक सवाल के जवाब में कानून मंत्री ने कहा कि देश में लगभग 4.90 करोड़ मामले लंबित हैं। इसके पीछे कई कारण हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण जजों की नियुक्ति और खाली पड़े स्वीकृत पद हैं। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट्स, जिला और दूसरी अदालतों में जजों के स्वीकृत पद 25,011 हैं, लेकिन 12 दिसंबर, 2022 तक इनमें से 19,192 पदों पर ही जज कार्यरत थे।
सुप्रीम कोर्ट में करीब 70,000 मामले लंबित
कानून मंत्री ने अपने जवाब में कहा कि 1 मई, 2014 से लेकर 5 दिसंबर, 2022 तक सुप्रीम कोर्ट में 46 जज नियुक्ति किए गए हैं। वहीं लंबित मामलों की बात करें तो सुप्रीम कोर्ट के सामने अभी 69,598 और अलग-अलग हाई कोर्ट्स के सामने 59.56 लाख मामले लंबित हैं। उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने लंबित केस मामले कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन जजों की नियुक्ति में सरकार की भूमिका बहुत कम है।