राजनाथ ने सीमा सड़क संगठन की 27 परियोजनाओं का किया उद्घाटन, डोकलाम तक सड़क का निर्माण
लद्दाख में चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा बनाई गई 27 परियोजनाओं का वर्चुअल उद्घाटन किया। इन 27 परियोजनाओं में 24 पुल और तीन सड़कें शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर परियोजनाएं भारत-तिब्बत सीमा के करीब हैं। उद्घाटन कार्यक्रम में राजनाथ सिंह ने बताया कि इन 27 परियोजनाओं का निर्माण 2,245 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है।
वर्तमान परिदृश्य में टकराव की संभावना से नहीं किया जा सकता इनकार- राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने कहा कि आज के अनिश्चित माहौल में किसी भी तरह के टकराव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है और ऐसी स्थितियां इन क्षेत्रों के विकास के लिए और भी अधिक प्रेरित करती हैं। उन्होंने कहा, "पिछले छह-सात सालों में दूरदराज के क्षेत्रों में सड़क, सुरंग और अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण में BRO ने अभूतपूर्व प्रगति की है। सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा रहा है।"
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बनाए गए सबसे ज्यादा पुल
BRO ने ताजा परियोजनाओं में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सबसे ज्यादा पुल बनाए हैं। इंडिया टुडे की खबर के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में नौ, लद्दाख में पांच, हिमाचल प्रदेश में पांच, उत्तराखंड में तीन और अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में एक-एक पुल बनाए गए हैं। राजनाथ ने कहा कि इन परियोजनाओं से सीमावर्ती इलाकों में कनेक्टिविटी बेहतर होगी और यह परियोजनाएं BRO की रिकॉर्ड बुक में कई नए रिकॉर्ड जोड़ देंगी।
19,000 फीट की ऊंचाई पर उमलिंग ला दर्रे पर बनी सड़क
परियोजना के तहत बनी एक 55 किलोमीटर लंबी सड़क 19,300 फीट की ऊंचाई पर उमलिंग ला दर्रे से होते हुए चिसुमले को डेमचौक से जोड़ती है और लेह से डेमचौक तक जाने के लिए वैकल्पिक रास्ता प्रदान करती है। राजनाथ ने कहा कि यह सड़क सशस्त्र बलों की तेज आवाजाही, पर्यटन में बढ़त और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करेगी। इस सड़क के नाम दुनिया की सबसे ऊंची गाड़ी चलाने योग्य सड़क होने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी है।
संवेदनशील क्षेत्र डोकलाम के लिए बनाई गई वैकल्पिक सड़क
भारत-चीन सीमा के करीब स्थित 33 किलोमीटर लंबी महत्वपूर्ण फ्लैग हिल-डोकला सड़क को गाड़ी चलाने योग्य बनाया गया है। इस सड़क के बनने से भारतीय सैनिकों को डोकलाम पठार के पास डोकला क्षेत्र तक पहुंचने में कम समय लगेगा। यह सड़क 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और डबल लेन है। इस सड़क में क्लास-70 पुल है जो 70 टन तक का वजन उठा सकता है। इस पुल से टैंकों की आवाजाही भी हो सकती है।
चीन से टकराव की आशंका के बीच मजबूत किया जा रहा है बुनियादी ढांचा
चीन ने सीमा के नजदीक स्थित अपने क्षेत्रों में काफी बुनियादी ढांचा विकसित कर लिया है। ऐसे में भारत ने भी चीन के साथ पिछले साल मई में शुरू हुए गतिरोध को देखते हुए, हाल के वर्षों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के करीब सड़कों और पुलों समेत अन्य बुनियादी ढांचों की निर्माण प्रक्रिया को तेज कर दिया है। जिससे जरूरत पड़ने पर कम समय में सैन्य साजो-सामान सीमावर्ती क्षेत्रों तक पहुंचाया जा सके।
क्या है सीमा सड़क संगठन?
सीमा सड़क संगठन एक सड़क निर्माण एजेंसी है जो देश के रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करती है। यह संगठन भारत के पूर्वी और पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क, पल और सुरंग आदि के निर्माण और उनके रखरखाव का कार्य करता है, जिससे सीमा पर देश की सुरक्षा कर रही सेना तक सैन्य साजो-सामान और हथियारों की आवाजाही आसानी से हो सके। इस संगठन पर 53,000 किलोमीटर लंबी सड़कों की जिम्मेदारी है।