सिग्नल की विफलता और तेज रफ्तार, पश्चिम बंगाल ट्रेन हादसे के पीछे क्या रहे कारण?
पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में सोमवार को एक मालगाड़ी के सियालदाह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मारने के मामले में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। प्रारम्भिक जांच में सामने आया है कि दुर्घटना मालगाड़ी के निर्धारित गति से तेज से दौड़ने और स्वचालित सिग्नल की विफलता के कारण हुई है। बता दें, इस हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक यात्री घायल हो गए। आइए हादसे के प्रारम्भिक कारण जानते हैं।
CRS ने शुरू की हादसे की जांच
इस हादसे की रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) ने जांच शुरू कर दी है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि CRS रिपोर्ट के बाद ही हादसे के वास्तविक कारण सामने आ सकेंगे। इधर, सेंट्रल रेलवे बोर्ड की CEO जया वर्मा सिन्हा ने बताया है कि मानवीय गलती और तकनीकी गड़बड़ी दोनों कारण हो सकते हैं। यह दुर्घटना पिछले साल जून में हुए बालासोर ट्रेन हादसे के बाद सबसे बड़ी दुर्घटना है। उस हादसे में 296 लोगों की मौत हुई थी।
सिग्नल की विफलता और अत्यधिक गति रही हादसे का प्रमुख कारण
रेलवे की प्रारम्भिक जांच में सामने आया है कि इस हादसे के पीछे स्वचालित सिग्नल की विफलता और मालगाड़ी की अत्यधिक गति प्रमुख कारण रहे हैं। रेलवे को सिग्नल की विफलता की जानकारी थी और यही कारण था कि सभी लोको पायलटों को एक चेतावनी नोट (T/A 912) जारी किया गया था। इसमें चालकों को कुछ शर्तों के साथ रेड सिग्नल क्रॉस करने की अनुमति होती है। हालांकि, मालगाड़ी के चालक ने नियमों का पालन नहीं किया, जिससे हादसा हुआ।
T/A 912 में क्या होती है चेतावनी?
रेलवे के नियमानुसार, T/A 912 में लोको पायलट को सभी खराब सिग्नल पर एक मिनट रुकना होता है और 10 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से आगे बढ़ना होता है। इसके अतिरिक्त, यदि पिछली ट्रेन ने सिग्नल क्लियर नहीं किया है तो पर्याप्त रुकने की दूरी सुनिश्चित करने के लिए उन्हें पिछली ट्रेन से 150 मीटर का अंतर बनाए रखना होता है। हालांकि, इस हादसे में मालगाड़ी चालक ने इन शर्तों का उल्लंघन करने की बात सामने आई है।
सरकार ने किया मुआवजे का ऐलान
इस गंभीर रेल हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मृतकों के परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) से 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है। इसी तरह गंभीर रूप से घायलों को 2.50-2.50 लाख और मामूली घायलों को 50,000-50,000 रुपये देने की घोषणा की है। हादसे में जान गंवाने वालों में मालगाड़ी का लोको पायलट, गार्ड सहित कंचनजंगा एक्सप्रेस के 7 यात्री शामिल हैं। ट्रेन में कुल 1,300 यात्री सवार थे।
दुर्घटना के बाद ट्रेन सेवाएं बाधित
दुर्घटना के कारण अप और डाउन दोनों लाइनें अवरुद्ध हो गई हैं, जिससे क्षेत्र में ट्रेनों की आवाजाही रुक गई और उत्तर बंगाल और पूर्वोत्तर भारत से लंबी दूरी की सेवाएं प्रभावित हुई हैं। प्रारंभिक जांच में मानवीय भूल सामने आई है, लेकिन एक रेलवे अधिकारी का कहना है कि हादसे के पीछे तकनीकी विफलताएं भी हो सकती हैं। ऐसे व्यक्ति को दोषी ठहराना बहुत आसान है जो मर चुका है और अपना बचाव नहीं कर सकता है।