लखीमपुर खीरी हिंसा: जांच की निगरानी के लिए हाई कोर्ट के पूर्व जज नियुक्त
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच की निगरानी के लिए हरियाणा और पंजाब हाई कोर्ट के रिटायर जज राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया है।
मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि जस्टिस जैन आयोग जांच की निष्पक्षता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करेगा। जस्टिस जैन के तहत विशेष जांच टीम (SIT) जांच करेगी और चार्जशीट दायर होने के बाद मामले को सूचीबद्ध किया जाएगा।
पृष्ठभूमि
लखीमपुर खीरी हिंसा में हुई थी आठ लोगों की मौत
लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के दौरे के समय हिंसा हुई थी, जिसमें चार आंदोलनकारी किसानों समेत कुल आठ लोगों की मौत हुई।
मिश्रा कार्यक्रम के लिए लखीमपुर खीरी स्थित अपने पैतृक गांव पहुंचे थे। आरोप है कि लौटते वक्त मिश्रा के बेटे आशीष ने किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी, जिसमें चार किसान मारे गए।
बाद में भीड़ ने दो भाजपा कार्यकर्ताओं और ड्राइवर को पीट-पीट कर मार दिया। एक पत्रकार भी मारा गया है।
जांच
SIT का पुनर्गठन किया गया
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मामले की जांच कर रही SIT का पुनर्गठन किया है। अब इसमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एसबी शिरोडकर, दीपिंदर सिंह और पद्मजा चौहान को शामिल किया गया है।
गौरतलब है कि सोमवार को कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से SIT को बदलने का आदेश देते हुए कहा था कि अभी SIT में ज्यादातर अधिकारी लखीमपुर से ही हैं। सरकार ऐसे IPS अधिकारियों का नाम दें जो उत्तर प्रदेश से हों, लेकिन लखीमपुर से न हों।
जानकारी
कौन हैं जस्टिस आरके जैन?
जस्टिस राकेश कुमार जैन ने मई, 1982 में बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा में एक वकील के रूप में नामांकन किया था।
उन्होंने हिसार की जिला अदालत में अपनी कानूनी प्रैक्टिस शुरू की। उन्हें 5 दिसंबर, 2007 को उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में जज के रूप में पदोन्नत किया गया और 30 सितंबर, 2020 को वो रिटायर हुए।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान ही उनको नियुक्त करने का संकेत दे दिया था।
जानकारी
उत्तर प्रदेश सरकार ने भी गठित किया है न्यायिक आयोग
उत्तर प्रदेश सरकार ने लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच के लिए पिछले महीने एक न्यायिक आयोग का गठन किया था। हिंसा के बाद इसका ऐलान किया गया था।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज प्रदीप कुमार श्रीवास्तव के नेतृत्व में यह एक सदस्यीय आयोग गठित किया गया है, जो दो महीनों में अपनी रिपोर्ट देगा।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू करने से पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की थी।