पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन करेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को पेगासस जासूसी मामले में अहम सुनवाई हुई। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का निर्णय किया है। इस मामले में विस्तृत आदेश अगले सप्ताह पारित किए जाएंगे। कोर्ट ने कहा कि कुछ विशेषज्ञों ने निजी कारणों से समिति में शामिल होने पर असमर्थता जताई है। इस कारण इसमें विलंब हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर को अपना अंतरिम आदेश सुरक्षित रखा था।
क्या है पेगासस जासूसी मामला?
जुलाई में सामने आई रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इजरायली कंपनी NSO ग्रुप के स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर कई देशों के पत्रकारों, नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और चर्चित हस्तियों की फोन के जरिये जासूसी की गई या इसकी कोशिश की गई। इन लोगों में राहुल गांधी और प्रशांत किशोर समेत विपक्ष के कई नेता, मोदी सरकार के दो मंत्री, कई संवैधानिक अधिकारी और पत्रकार, अनिल अंबानी और CBI के पूर्व प्रमुख आलोक वर्मा समेत कई नाम शामिल थे।
मामले की जांच के लिए इन लोगों ने दायर की थी याचिका
इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार, माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) सांसद जॉन ब्रिटस और वकील एमएल शर्मा आदि ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामले में लगे आरोपों की जांच कराने की मांग की थी। इसके अलावा पत्रकारों के संगठन एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी दो दिन पहले मामले में याचिका दायर की थी। इन याचिकाओं में किसी मौजूदा या पूर्व जज की अध्यक्षता में SIT जांच की मांग की गई थी।
विपक्ष ने की थी न्यायिक और निष्पक्ष जांच की मांग
इसके अलावा विपक्षी राजनीतिक पार्टियां भी पेगासस मामले में न्यायिक और निष्पक्ष जांच की मांग करती आ रही हैं। राहुल गांधी ने तो मामले में गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा भी मांगा था। अपनी इन मांगों को लेकर विपक्ष ने संसद के मानसून सत्र में जमकर हंगामा किया था और इसके चलते पूरे सत्र में कुछ खास नहीं हो पाया था। हालांकि इस दौरान कुछ सांसदों ने मार्यादा तोड़ते हुए मेज पर चढ़कर नारेबाजी की थी।
सरकार ने खारिज किए विपक्षी नेताओं और पत्रकारों के आरोप
इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि केंद्र सरकार ने पेगासस स्पाईवेयर के जरिए विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और अन्य लोगों की जासूसी करने के आरोपों को खारिज किया है। इसमें लिखा है कि सरकार इन आरोपों को स्पष्ट रूप से खारिज करती है और ये आरोप अनुमानों, निराधार मीडिया रिपोर्ट्स और अधूरी सामग्री पर आधारित हैं। उस दौरान सरकार ने मामले की जांच के लिए समिति बनाने की बात कही थी।
केंद्र सरकार ने किया था हलफनामा दाखिल करने से इनकार
बता दें मामले में 13 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा था कि वह केवल यह जानना चाहता है कि क्या केंद्र ने नागरिकों पर कथित तौर पर जासूसी करने के लिए अवैध तरीकों से पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं। वहीं, केंद्र ने जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए हलफनामा दायर करने से इनकार कर दिया था।
मामले में गठित की जाएगी विशेषज्ञों की समिति- सुप्रीम कोर्ट
इस मामले में गुरुवार को सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमन्ना ने कहा कि कोर्ट ने पेगासस जासूसी माामले की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का फैसला किया है। इस संबंध में अगले सप्ताह आदेश जारी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कुछ विशेषज्ञों ने निजी कारणों से समिति का हिस्सा बन पाने में अक्षमता जाहिर की, जिसके चलते आदेश जारी करने में देरी हुई। हालांकि, अब इस संबध में जल्द ही ठोस आदेश जारी किया जाएगा।