#NewsBytesExplainer: DERC के अध्यक्ष की नियुक्ति पर छिड़ा विवाद क्या है और यह पद क्यों अहम?
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) विनय कुमार सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मिलकर दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (DERC) के अध्यक्ष का नाम तय करने के लिए कहा है। DERC के अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर LG और दिल्ली सरकार के बीच पिछले कुछ महीनों से तकरार छिड़ी हुई है, जो केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के बाद और बढ़ गई। आइए समझते हैं कि यह पूरा मामला क्या है।
कैसे हुई मामले की शुरुआत?
दिल्ली में बिजली की दरें तय करने वाले DERC के अध्यक्ष का पद इस साल 9 जनवरी से खाली है। दिल्ली सरकार ने DERC के तत्कालीन अध्यक्ष शबीहुल हसनैन का कार्यकाल पूरा होने के बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज राजीव कुमार श्रीवास्तव को नया अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव LG के पास भेजा था। हालांकि, कई महीनों तक नियुक्ति नहीं होने के बाद दिल्ली सरकार ने अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी।
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए 2 सप्ताह के अंदर DERC के अध्यक्ष की नियुक्ति करने का आदेश दिया था। भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा था कि LG को दिल्ली की चुनी हुई सरकार की सलाह पर काम करना चाहिए। हालांकि, इसी दिन केंद्र सरकार ने दिल्ली के अधिकारियों के तबादले और पोस्टिंग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश जारी कर दिया।
अध्यादेश जारी होने के बाद क्या हुआ?
LG विनय कुमार सक्सेना ने अध्यादेश जारी होने के एक महीने बाद 21 जून को इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस उमेश कुमार को DERC का अध्यक्ष नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की। LG कार्यालय ने कहा कि यह नियुक्ति विद्युत अधिनियम की धारा 84(2) और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 की धारा 45(B) के तहत की गई है। दिल्ली सरकार ने इस फैसले का विरोध किया और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दोबारा याचिका दाखिल की।
LG द्वारा नियुक्त DERC अध्यक्ष पर क्या विवाद हुआ?
LG ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को 4 जुलाई को DERC के नवनियुक्त अध्यक्ष को शपथ दिलवाने का निर्देश दिया, हालांकि केजरीवाल या उनके किसी मंत्री ने नए अध्यक्ष को शपथ नहीं दिलाई और वे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान उसे बड़ी राहत देते हुए DERC अध्यक्ष के शपथ ग्रहण पर रोक लगा दी और केंद्र सरकार के साथ-साथ LG कार्यालय को नोटिस जारी किया।
DERC के अध्यक्ष के पद की क्या अहमियत है?
दिल्ली सरकार के तहत काम करने वाले DERC का मुख्य कार्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बिजली की दरों को तय करना है। इसके अलावा DERC बिजली कंपनियों से बिजली की खरीद और खरीद प्रक्रिया को विनियमित करने में भी बड़ी भूमिका अदा करता है। DERC का अध्यक्ष दिल्ली सरकार को उसकी विद्युत नीति को तैयार करने में सहायता और सलाह भी प्रदान करता है। इनमें बिजली के उत्पादन, वितरण और आपूर्ति से संबंधित मामले शामिल हैं।
मुफ्त बिजली है DERC की अहम योजना
दिल्ली में लोगों को मुफ्त बिजली देने की योजना DERC की अहम योजनाओं में से एक है। दिल्ली सरकार की इस योजना से दिल्ली के करोड़ों लोगों को फायदा मिला है, जिसके बाद अन्य राज्यों में भी इस तरह की योजनाएं शुरू की गई हैं।
AAP का केंद्र पर क्या आरोप है?
आम आदमी पार्टी (AAP) का आरोप है कि केंद्र सरकार अपनी पसंद के व्यक्ति को DERC का अध्यक्ष नियुक्त करना चाहती है, जिससे दिल्ली में मिल रही मुफ्त बिजली और सस्ती दरों में दखल दी जा सके। यह AAP की फ्लैगशिप योजना है। पार्टी ने नियुक्ति करने के पीछे LG की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा था कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी करते हुए बार-बार चुनी हुई सरकार के कामकाज में दखल दे रहे हैं।