#NewsBytesExplainer: भारतीय सिनेमा की विदेश में शूट हुई पहली फिल्म थी 'संगम', जानिए क्या थीं चुनौतियां
अब भले ही लगभग हर दूसरी फिल्म की शूटिंग विदेश में होती हो, लेकिन पहले न तो ऐसा करना आसान था और ना ही फिल्मों का बजट इतना होता था। भारतीय सिनेमा के शोमैन राज कपूर की 1964 में आई 'संगम' पहली ऐसी फिल्म थी, जिसने भारतीय फिल्मों के लिए विदेश में शूटिंग के दरवाजे खाेले थे। राज ने भारतीय सिनेमा को देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में पहचान दिलाई। आइए जानते हैं 'संगम' विदेश में कैसे शूट हुई।
यूरोप के खूबसूरत नजारे हुए थे कैमरे में कैद
आजकल हर फिल्म में कोई न कोई सीन विदेश का होता ही है, लेकिन एक जमाना था, जब कम बजट की वजह से निर्माता-निर्देशक भारत के अंदर ही फिल्म बनाना पसंद करते थे। 'संगम' देश की पहली फिल्म थी, जिसे विदेश में शूट किया गया था। इस फिल्म में राज अभिनेत्री वैजयंती माला से शादी करने के बाद हनीमून पर यूरोप जाते हैं। असल में इन सभी दृश्यों की शूटिंग यूरोप की कई खूबसूरत जगहों पर की गई थी।
इस शर्त पर मिली विदेश में शूट करने की अनुमति
पहले इस फिल्म को विदेश में शूट करने का कोई इरादा नहीं था, लेकिन 'संगम' को भव्य रूप देने के लिए राज अपनी नायिका वैजयंती के साथ पेरिस, वेनिस, रोम, लंदन, जेनेवा आदि में शूटिंग करना चाहते थे। दिक्कत यह थी कि उस समय विदेशी मुद्रा से संबंधित कानून बिल्कुल अलग थे। लिहाजा भारत सरकार ने विदेश में शूटिंग की अनुमति इस शर्त पर दी कि जितनी विदेशी मुद्रा खर्च होगी, उससे 4 गुना विदेशी मुद्रा फिल्म को कमानी होगी।
श्रीचंद परमानंद हिंदुजा ने की मदद
शर्त सुनकर राज बहुत परेशान हो गए। विदेश में बसे भारतीय लोगों से संपर्क किया गया। जब यह बात हिंदुजा समूह और चैरिटेबल फाउंडेशन के अध्यक्ष श्रीचंद परमानंद हिंदुजा तक पहुंची तो वह मदद के लिए आगे आए। उन्होंने 'संगम' के ओवरसीज राइट्स 1 लाख ब्रिटिश पाउंड में खरीद लिए। इसके बाद राज को वहां शूटिंग करने के लिए मंजूरी मिल गई। इसके चलते हिंदुजा को लंदन में संगम लिमिटेड के नाम से एक नई कंपनी भी खोलनी पड़ी थी।
न्यूजबाइट्स प्लस
श्रीचंद ब्रिटेन में भारत का झंडा बुलंद करने वाले दिग्गज कारोबारी थे। उन्होंने लंबे वक्त तक हिंदुजा समूह की कमान संभाली। इस साल मई में 87 की उम्र में उनका निधन हो गया। ब्रिटेन की नागरिकता लेने के बाद वह लंदन में ही रहते थे।
चल पड़ा विदेश में शूटिंग करने का चलन
60 के दशक के बाद बॉलीवुड में फिल्मों को विदेश में शूट करना का सिलसिला शुरू हो गया। 'संगम' के बाद निर्माताओं का ध्यान स्विट्जरलैंड की हसीन वादियों पर गया। तब से अब तक स्विट्जरलैंड बॉलीवुड की पहली पसंद बना हुआ है। 'संगम' के ब्लॉकबस्टर होने के बाद 1967 में शर्मिला टैगोर की फिल्म 'एन इवनिंग इन पेरिस' को भी पेरिस में शूट किया गया। फिर 'लव इन टोक्यो' से लेकर 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' भी स्विटजरलैंड में शूट हुईं।।
'राज कपूर प्रोडक्शन' की पहली रंगीन फिल्म थी 'संगम'
इस फिल्म से जुड़ीं कई खास बातें हैं। यह राज के होम प्रोडक्शन की पहली रंगीन फिल्म थी। इससे पहले आईं उनकी सभी फिल्में ब्लैक एंड व्हाइट थीं। 'संगम' से ही राज के रंगीन सिनेमा की शुरुआत हुई थी। पहले राज की इस फिल्म का नाम 'घरौंदा' था, लेकिन बाद में उन्होंने इस फिल्म को रंगीन में 'संगम' नाम से बनाने का ऐलान किया। महबूब खान की फिल्म 'अंदाज' की सफलता से प्रेरित होकर राज ने 'संगम' बनाई थी।
भारतीय सिनेमा की पहली 2 इंटरवल वाली और सबसे लंबी फिल्म
यूरोप की शूटिंग भव्य रही। तब भारत के लोगों के लिए विदेश देख लेना ही बहुत बड़ी बात होती थी। वहां घूमना केवल रईसों का काम था। आम आदमी केवल कल्पना कर सकता था, लेकिन विदेश के सदाबहार शहरों को शूट करने के कारण फिल्म की लंबाई इतनी ज्यादा हो गई कि 'संगम' पहली फिल्म बन गई, जिसमें दो मध्यांतर यानी इंटरवल रखने पड़ गए। 'संगम' देश की पहली सबसे लंबी फिल्म भी बनी, जो करीब 4 घंटे की है।
बाद में 1 इंटरवल की बनी फिल्म
राज ने 'संगम' को काफी एडिट किया और इसे 1 इंटरवल का बना दिया। लोगों को इसका संपादित वर्जन भी पसंद आया। 'तेरे मन की गंगा' से दोस्त दोस्त न रहा' तक फिल्म की कहानी के साथ इसके गाने भी दिलों में ताजा हैं।
'मुगल-ए-आजम' के बाद सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली दूसरी फिल्म
26 जून 1964 को मुंबई में अप्सरा सिनेमा का उद्घाटन 'संगम' के प्रीमियर से ही हुआ। 2 इंटरवल होने से इस फिल्म के बस 3 शो चलते थे, लेकिन इस दौरान भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरू हो गया। मुंबई में बिजली गुल होने लगी और फिर 'संगम' केवल 2 शो में दिखाई जाने लगी। इसके बावजूद फिल्म की सफलता कुछ ऐसी रही कि यह 60 के दशक में ऐतिहासिक फिल्म 'मुगल-ए-आजम' के बाद सबसे ज्यादा लाभ देने वाली फिल्म बनकर उभरी।
दिल खाेलकर लगाया पैसा
राज और वैजयंती के बीच रोमांटिक सीन वेनिस, पेरिस और स्विट्जरलैंड में फिल्माए गए थे। फिल्म के पूरे कैबिन क्रू को इन जगहों पर ले जाने में राज को पानी की तरह पैसा बहाना पड़ा, लेकिन फिल्म की सफलता ने उनका सारा मलाल धो डाला।
राज ने ठुकराया दिलीप कुमार का प्रस्ताव
इससे जुड़ा एक किस्सा ये है कि राज ने इसमें गोपाल वर्मा की भूमिका के लिए दिलीप कुमार से संपर्क किया था। दिलीप ने हां तो कर दी, लेकिन वह चाहते थे कि उनका किरदार पहले लीड हीरो की भूमिका के मुकाबले और सशक्त हो और उन्हें स्क्रिप्ट में बदलाव करने का अधिकार मिले। बतौर निर्माता-निर्देशक राज को ये मंजूर नहीं था। राज जद्दोजहद में थे कि किसी ने उन्हें राजेंद्र कुमार का नाम सुझाया और वह राजी हो गए।