#NewsBytesExplainer: क्या उद्धव ठाकरे के खेमे में वापस जा सकते हैं एकनाथ शिंदे गुट के विधायक?
क्या है खबर?
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के बागी नेता अजित पवार और अन्य विधायकों के महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के भीतर बेचैनी का माहौल है।
बतौर रिपोर्ट्स, NCP के बागी विधायकों को मंत्री पद मिलने के बाद शिवसेना के विधायक नाखुश बताए जा रहे हैं और उद्धव ठाकरे के संपर्क में हैं।
अटकलें लगाई जा रही हैं शिंदे गुट के कुछ विधायक वापस उद्धव गुट में शामिल हो सकते हैं।
अटकल
क्यों नाराज हैं शिंदे गुट के विधायक?
शिंदे गुट के कई नेता NCP के बागी गुट के सरकार का हिस्सा बनने से नाराज हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि शिंदे ने शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा का हवाला देते हुए उद्धव के खिलाफ बगावत की थी।
उन्होंने आरोप लगाया था कि उद्धव अपने पिता की राह से भटक गए हैं और बालासाहेब कभी भी NCP के साथ सरकार नहीं बनाते।
अब शिंदे खुद NCP के साथ सरकार में हैं, जिससे विधायक नाखुश हैं।
नाराजगी
नाराजगी के और क्या कारण हैं?
शिवसेना के विधायकों के बीच मंत्रिमंडल में जगह कम होने को लेकर भी नाराजगी है।
पार्टी सांसद गजानन कीर्तिकर ने समाचार एजेंसी PTI को बताया कि NCP के सरकार में शामिल होने के बाद भाजपा और शिवसेना से मंत्री बनने की गुंजाइश कम हो गई है।
अजित पवार और NCP के 8 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है और उनके लिए कैबिनेट में जगह खाली करनी होगी। आशंका है कि ये जगहें शिवसेना को खाली करनी पड़ेंगी।
अटकल
क्या मुख्यमंत्री पद से हटाए जा सकते हैं शिंदे?
शिंदे गुट के कई विधायकों को संशय है कि यदि सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिवसेना के बागी विधायकों को अयोग्य करार दिया जाता है तो शिंदे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है।
उनका मानना है कि ऐसी स्थिति में सरकार को गिरने से बचाने के लिए ही भाजपा ने NCP के बागी विधायकों के साथ समझौता किया है। उन्हें डर है कि भाजपा अगले साल होने वाले चुनाव से पहले शिंदे को मुख्यमंत्री पद से हटा देगी।
बयान
शिंदे के बयान से भी विधायक नाराज
NCP के बागी विधायकों के शपथ ग्रहण के बाद दिए गए शिंदे के बयान के कारण भी विधायक नाराज हैं।
शिंदे ने कहा था, "अब हमारे पास एक मुख्यमंत्री और 2 उपमुख्यमंत्री हैं। डबल इंजन सरकार अब ट्रिपल इंजन बन गई है। मैं अजित पवार और उनके नेताओं का स्वागत करता हूं।"
शिंदे का ऐसे खुले दिल से पवार का स्वागत करना शिवसेना विधायकों को खटक रहा है क्योंकि पहले शिंदे ने कहा था कि NCP से गठबंधन नहीं होगा।
अटकलें
क्या उद्धव के पास वापस जा सकते हैं शिंदे गुट के विधायक?
कई पत्रकारों ने कहा है कि शिंदे गुट के विधायक वापस उद्धव ठाकरे के पास जा सकते हैं और उनके संपर्क में बने हुए हैं। विधायकों का आरोप है कि भाजपा ने उनका इस्तेमाल कर उन्हें दरकिनार कर दिया है।
यह अटकलें शिंदे सरकार में मंत्री शंभुराज देसाई के एक बयान के बाद और जोर पकड़ रही हैं। उन्होंने कहा था कि अगर उद्धव गुट उनके साथ संपर्क करता है तो वे भी एक सकारात्मक तरीके से उसकी प्रतिक्रिया देंगे।
बैठक
शिंदे का मामले पर क्या कहना है?
पूरे घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री शिंदे ने बुधवार को अपने आवास पर शिवसेना के विधायकों, मंत्रियों और सांसदों की बैठक बुलाई। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार पर उनका पूरा नियंत्रण है और अगले साल राज्य में चुनाव होने के बाद भी वह मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
शिंदे ने इस्तीफा देने की खबरों को भी खारिज करते हुए कहा कि उनकी सरकार में NCP का शामिल होना सिर्फ एक राजनीतिक समायोजन है और यह शरद पवार या उद्धव ठाकरे के बिना है।
बयान
पूरे घटनाक्रम पर भाजपा का क्या रुख है?
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, भाजपा का कहना है कि अजित गुट को साथ लाने के बाद उसकी शिंदे को मुख्यमंत्री पद से हटाने की कोई योजना नहीं है।
बतौर रिपोर्ट्स, भाजपा अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव से पहले शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजित की तिकड़ी को एक साथ लाकर कांग्रेस, उद्धव सेना और NCP (शरद पवार) के महा विकास अघाड़ी (MVA) को कमजोर करना चाहती है, ताकि वह ज्यादा से ज्यादा सीटें जीत सके।
मामला
अजित पवार की बगावत का मामला क्या है?
NCP अध्यक्ष शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने उनके खिलाफ बगावत करते हुए भाजपा से हाथ मिला लिया है। वह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली भाजपा-शिवसेना की सरकार में शामिल हो गए थे, जिसके बाद उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया था।
उनके साथ NCP के 12 अन्य विधायक भी आए थे, जिनमें से 8 को मंत्री बनाया गया है। अजित ने NCP के 40 विधायकों का उन्हें समर्थन होने की बात कही है।