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बाबा रामदेव ने दिया कानूनी नोटिस का जवाब, कहा- पूरी तरह से है गलत
योग गुरु बाबा रामदेव।

बाबा रामदेव ने दिया कानूनी नोटिस का जवाब, कहा- पूरी तरह से है गलत

Jun 08, 2021
08:13 pm

क्या है खबर?

एलोपैथी को 'बकवास विज्ञान' बताने को लेकर विवादों में फंसे योग गुरु बाबा रामदेव ने मंगलवार को फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) की ओर से भेजे गए कानूनी नोटिस का जवाब दिया है। इसमें उन्होंने नोटिस को पूरी तरह से गलत और अधूरी जानकारी के आधार पर जारी किया जाना बताया है। इतना ही नहीं उन्होंने FAIMA को अपने नोटिस को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की सलाह भी दी है।

प्रकरण

रामदेव ने एलोपैथी को करार दिया था 'बकवास विज्ञान'

21 मई को सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में रामदेव ने कहा था कि एलोपैथी 'बकवास विज्ञान' है और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) द्वारा अनुमोदित रेमेडिसिवीर और फेविफ्लू जैसी दवाइयां कोरोना मरीजों के उपचार में पूरी तरह विफल रही है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि लाखों मरीजों की मौत ऑक्सीजन की जगह एलोपैथिक दवाइयों से हुई है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद भी 1,000 डॉक्टरों की मौत हो गई।

आपत्ति

IMA की आपत्ति के बाद रामदेव ने वापस लिया था बयान

वीडियो में रामदेव द्वारा एलोपैथी पर दिए गए बयान पर IMA ने कड़ी आपत्ति जताते हुए उनके खिलाफ मामला दर्ज कराने की चेतावनी दी थी। इसी तरह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने भी नाराजगी जताते हुए उन्हें माफी मांगने के लिए कहा था। 23 मई को रामदेव ने ट्वीट कर अपने बयान पर खेद जताया और उसे वापस लेने की बात कही थी। हालांकि, इसके बाद उन्होंने IMA को खुला पत्र लिखकर एलोपैथी से जुड़े 25 सवालों पूछे थे।

जानकारी

FAIMA ने भेजा था रामदेव को कानूनी नोटिस

इस प्रकरण में FAIMA ने भी नाराजगी जताते हुए रामदेव को कानूनी नोटिस भेजा था। इसमें कहा गया था कि उनके बयानों से चिकित्सकों की भावनाएं आहत हुई है। इसी तरह उन्होंने आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ भ्रम फैलाने का भी प्रयास किया है।

जवाब

रामदेव ने FAIMA को दी नोटिस वापस लेने की सलाह

FAIMA के नोटिस का जवाब देते हुए रामदेव ने लिखा, "आपके द्वारा जारी किया गया नोटिस पूरी तरह गलत और बिना तथ्यों पर आधारित है। इसी तरह इसे एक घंटे के वीडियो के एक अंश के आधार पर जारी किया गया है। इसलिए आपको सलाह दी जाती है कि आप अपना नोटिस तुरंत वापस ले लें।" उन्होंने आगे कहा, "मेरे बयानों को मुद्दे से बाहर घसीटा जा रहा है। मैंने केवल प्रयोगात्मक चिकित्सा के अधिक उपयोग पर सवाल उठाया था।"

जानकारी

चिकित्सा विशेषज्ञों ने भी जताई है प्रयोगात्मक चिकित्सा पर चिंता- रामदेव

रामदेव ने नोटिस के जवाब में कहा कई चिकित्सा विशेषज्ञों ने भी प्रायोगिक चिकित्सा के अत्यधिक उपयोग पर चिंता व्यक्त की है। उसके बाद कई को उपचार प्रोटोकॉल से हटा दिया गया था। चिकित्सा के किसी भी अनुशासन के खिलाफ उनकी कोई दुर्भावना नहीं है।

प्रतिक्रिया

रामदेव के खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए लेंगे सलाह- दत्ता

FAIMA के महासचिव सुवरंकर दत्ता ने कहा, "हम अपनी अगली कार्रवाई का फैसला करने के लिए IMA और अन्य डॉक्टर संघों के साथ मिलकर काम करेंगे। डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा और स्व-घोषित आध्यात्मिक नेताओं द्वारा आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ व्यवस्थित गलत सूचना अभियानों को रोकने सहित प्रमुख मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए हम इस सप्ताह सभी प्रमुख संघों की एक राष्ट्रव्यापी बैठक शुरू करेंगे।" इसके बाद ही कोई निर्णय किया जाएगा।

FIR

IMA पटना ने रामदेव के खिलाफ दर्ज कराई FIR

इधर, मामले में IMA पटना ने पत्रकारनगर थाने में रामदेव के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। इसमें मानद राज्य सचिव डॉ सुनील कुमार ने आरोप लगाया कि कोरोना की लहर में रामदेव ने आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और पद्धती के प्रति आम लोगों के मन में भ्रम पैदा करने के साथ अविश्वास बढ़ाने का काम किया है। इससे डॉक्टरों की भवनाएं आहत हुईं हैं। उनके बयान के कारण काफी संख्या में लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत भी हुई है।

परिवाद

DMA ने हाई कोर्ट में दायर किया था परिवाद

मामले में दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (DMA) ने भी पिछले महीने रामदेव के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में परिवाद दायर किया था। इस पर 3 जून को सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने रामदेव को समन जारी करते हुए उन्हें भडकाऊ बयानों से बचने की नसीहत दी थी। उस दौरान कोर्ट ने DMA से भी कहा था कि वह अदालत का समय बर्बाद करने के बजाय महामारी का इलाज खोजने पर समय बिताएं। नियमों के उल्लंघन पर सरकार कार्रवाई करेंगी।

नोटिस

IMA सहित विभिन्न संगठनों ने रामदेव को जारी किए नोटिस

इससे पहले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन रामदेव को कानूनी नोटिस थमा चुके हैं। अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ ने भी उन्हें कानूनी नोटिस भेजकर उनके बयानों पर विरोध जताया था। इसी तरह IMA उत्तराखंड ने उन्हें 1,000 करोड़ रुपये की मानहानी का नोटिस भेजा था। इतना ही नहीं उनके खिलाफ देश के अलग अलग हिस्सों में FIR भी दर्ज कराई गई हैं। इससे उनकी परेशानी बढ़ती जा रही है।