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    जम्मू-कश्मीर: 2019 से बंद कमरे में पड़ी हैं मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायतों से संबंधित फाइलें

    जम्मू-कश्मीर: 2019 से बंद कमरे में पड़ी हैं मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायतों से संबंधित फाइलें
    लेखन प्रमोद कुमार
    Feb 14, 2022, 04:48 pm 1 मिनट में पढ़ें
    जम्मू-कश्मीर: 2019 से बंद कमरे में पड़ी हैं मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायतों से संबंधित फाइलें
    जम्मू-कश्मीर: 2019 से बंद कमरे में पड़ी हैं मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायतों की फाइलें

    जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों की फाइलें अगस्त, 2019 से बंद कमरे में धूल फांक रही हैं। अगस्त, 2019 से पहले राज्य के मानवाधिकार आयोग के पास ये शिकायतें आती थीं, लेकिन केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद आयोग बंद हो चुका है और अब इन फाइलों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। सूचना के अधिकार (RTI) के तहत पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह जानकारी सामने आई है।

    आयोग में लंबित शिकायतों की मांगी गई थी जानकारी

    RTI कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने 31 अक्टूबर, 2019 तक जम्मू-कश्मीर के मानवाधिकार आयोग के सामने लंबित शिकायतों की जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन ने पहले कहा कि उनके पास मानवाधिकार आयोग से जुड़े रिकॉर्ड की कोई जानकारी नहीं है। इसके खिलाफ अपील करने पर प्रशासन ने बताया कि राज्य के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन के बाद जम्मू और कश्मीर मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1997 रद्द हो गया है।

    बंद कमरे में रखी हैं सारी फाइलें

    प्रशासन ने बताया कि कानून के रद्द होते ही सामान्य प्रशासन विभाग ने मानवाधिकार आयोग को भंग कर दिया और इसके सभी रिकॉर्ड्स को श्रीनगर के पुराने विधानसभा परिसर में स्थित आयोग के कार्यालय के एक कमरे में ताला लगाकर रखा हुआ है। आयोग के रिकॉर्ड्स औपचारिक तौर पर विधि विभाग को नहीं सौंपे गए थे। इसलिए उनकी जानकारी नहीं दी जा सकती। आयोग के अधिकारियों को दूसरे विभागों में तैनात किया जा चुका है।

    राज्य के विभाजन के साथ ही बंद हो गए आयोग

    गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के साथ ही यहां केंद्रीय कानून लागू हो गए थे और राज्य मानवाधिकार और राज्य सूचना आयोग जैसे स्वायत्त निकाय भंग हो गए थे।

    2019 में समाप्त किया गया अनुच्छेद 370

    केंद्र सरकार ने अगस्त, 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करते हुए राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था। सरकार ने जम्मू-कश्मीर को अलग और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया है। चुनाव से पूर्व यह भाजपा के बड़े वादों में से एक था और मई, 2019 में दूसरी बार सत्ता संभालने के कुछ ही महीने बाद मोदी सरकार ने यह वादा पूरा किया।

    न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)

    अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के तहत केंद्र सरकार को राज्य में रक्षा, विदेश नीति और संचार मामलों को छोड़कर किसी भी अन्य मामले में कानून बनाने के लिए राज्य सरकार की अनुमति की जरूरत होती थी। साथ ही इस अनुच्छेद के कारण राष्ट्रपति राज्य में आर्थिक आपातकाल घोषित नहीं कर सकते थे। अनुच्छेद के तहत राज्य का अपना अलग झंडा था और यहां विधानसभा का कार्यकाल छह साल का होता था, जबकि देश में यह पांच साल का होता है।

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