सरकार कृषि कानूनों के प्रावधानों पर कभी भी बात करने को है तैयार- नरेंद्र सिंह तोमर
नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को छह महीने से अधिक समय हो गया है, लेकिन इसका अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है। सरकार से 11 चरण की बैठक के बाद से मामले में अभी तक कोई बात अगे नहीं बढ़ी है। इसी बीच अब केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि सरकार कृषि कानूनों के प्रावधानों पर आधी रात में किसानों से वार्ता के लिए तैयार है।
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल सितंबर में तीन कानून लाई थी। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
मांगों के लिए कई तरह के विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं किसान
बता दें कि किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर कई तरह के विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। इसके तहत 8 दिसंबर, 2020 को भारत बंद, 26 जनवरी को टै्रक्टर परेड, 6 फरवरी को चार घंटे चक्का जाम, 18 फरवरी को रेल रोको आंदोलन, 26 मार्च को फिर से भारत बंद सहित कई विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। इस दौरान लोगों को तो परेशानी झेलनी पड़ी, लेकिन सरकार के साथ उनकी बात नहीं बन सकी है।
किसान संगठनों की सरकार के साथ विफल रही सभी 11 वार्ताएं
इस मामले में सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की वार्ताएं भी हुई है, लेकिन किसानों के कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहने के कारण कोई सामाधान नहीं निकला। खास बात यह रही कि सरकार ने किसानों को कानूनों को 18 महीने तक लागू नहीं करने का भी प्रस्ताव दिया था, लेकिन किसानों ने 22 जनवरी को आखिरी वार्ता में कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग करते हुए उसे खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर लगाई रोक
इस बीच किसानों ने मामले में सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया था। इस पर शीर्ष अदालत ने अगले आदेश तक तीनों कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। उसके बाद से ही किसान कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं।
कृषि मंत्री तोमर ने किसानों को फिर दिया वार्ता का प्रस्ताव
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार कृषि मंत्री तोमर ने शुक्रवार को कृषि कानूनों पर सरकार का रुख साफ करते हुए कहा कि सरकार नए कृषि कानूनों से संबंधित प्रावधानों पर किसी भी किसान संगठन से और कभी भी बात करने को तैयार है। उन्होंने कहा, "कोई कमी नहीं है, सरकार वार्ता करने को तैयार हैं। रिपील (निरस्त करने) को छोड़कर कोई भी किसान संगठन आधी रात को बात करने आता है तो वह उनका स्वागत करेंगे।"
नीति आयोग के सदस्य ने दिया अहम सुझाव
मामले में नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने भी अहम सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि किसानों को सरकार के साथ बातचीत फिर से शुरू करनी चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण है कि उन्हें कृषि कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग से हटकर उनकी खामियों को स्पष्ट रूप से बताने के बारे में कुछ संकेत देने चाहिए। इसके बाद सरकार उन खामियों को दूर करेगी और जब किसान उससे संतुष्ट हो जाएंगे तो उन्हें लागू किया जाएगा।