संसदीय समिति के समक्ष पेश हुए टि्वटर प्रतिनिधि, कहा- करते हैं खुद की पॉलिसी का पालन
केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए नए IT नियमों को लेकर सरकार और माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर के बीच घमासान चल रहा है। इसको लेकर टि्वटर को सरकार की कार्रवाई का भी सामना करना पड़ा है। इसी बीच ट्विटर इंडिया के प्रतिनिधि शुक्रवार को सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति के समक्ष पेश हुए। इस दौरान समिति के सवालों पर प्रतिनिधियों ने कहा कि वह खुद की पॉलिसी का पालन करते हैं।
क्या है नई गाइडलाइंस का पूरा मामला?
केंद्र सरकार ने इस साल 25 फरवरी को नए IT नियम जारी किए थे। इनमें कंपनियों को भारत में अपने अधिकारी और ऑफिस का पता, शिकायत सुनने वाले अधिकारी की नियुक्ति, शिकायत समाधान, आपत्तिजनक कंटेट की निगरानी, सबसे पहले मैसेज भेजने वाले की जानकारी देना, शिकायत रिपोर्ट और आपत्तिजनक सामग्री हटाने जैसे नियम शामिल थे। सभी कंपनियों को इन नियमों को लागू करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया था।
सरकार ने टि्वटर से वापस लिया मध्यस्थ का दर्जा और कानूनी सुरक्षा
टि्वटर द्वारा नए IT नियमों की पालना नहीं करने पर केंद्र ने उसे 26 मई को पहला और 5 जून को आखिरी नोटिस भेजकर नियमों की पालना के लिए कहा था। इसके बाद टि्वटर द्वारा नियमों की पालना नहीं करने पर बुधवार को सरकार ने उससे सोशल मीडिया मध्यस्थ का दर्जा और कानूनी कार्रवाई से सुरक्षा का अधिकार को वापस ले लिया है। ऐसे में अब ट्विटर को यूजर्स के कंटेट के होस्टिंग प्लेटफॉर्म की जगह एक पब्लिशर माना जाएगा।
संसदीय समिति ने पिछले सप्ताह टि्वटर इंडिया के अधिकारियों को किया था तलब
बता दें कि सांसद शशि थरुर की अध्यक्षता वाली इस संसदीय स्थायी समिति ने पिछले सप्ताह इस मंच के दुरुपयोग और नागरिकों के अधिकारों के संरक्षण से संबंधित विषयों पर ट्विटर अधिकारियों को तलब किया था। समिति ने उन्हें शुक्रवार को शाम 4 बजे समिति की होने वाली बैठक में उपस्थित होने को कहा गया था। इस पर ट्विटर इंडिया के लोक नीति प्रबंधक शगुफ्ता कामरान और विधिक परामर्शदाता आयुषी कपूर ने समिति के समक्ष अपनी बात रखी है।
संसदीय समिति ने टि्वटर प्रतिनिधियों से पूछे सख्त सवाल
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार संसदीय समिति की इस बैठक में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारी भी मौजूद थे। इस दौरान समिति के सदस्यों ने ट्विटर इंडिया के प्रतिनिधियों से पूछा कि क्या कंपनी देश में लागू नियम और कानूनों का पालन करती है? इसके जवाब में ट्विटर के प्रतिनिधियों ने कहा, "हम अपनी पॉलिसी को फॉलो करते हैं।" इस पर समिति सदस्यों ने कहा कि देश का कानून "सर्वोच्च" है और कंपनी को इनका पालन करना होगा।
समिति ने टि्वटर इंडिया से मांगा लिखित में जवाब
बैठक के दौरान समिति के सदस्यों ने टि्वटर प्रतिनिधियों से कहा कि कंपनी की पॉलिसी से बड़ा देश का कानून है। ऐसे में अधिकारी लिखित में जवाब दें कि देश के कानून का उल्लंघन करने पर क्यों ना उनके खिलाफ जुर्माना लगाया जाए? इसी तरह यह भी बताने को कहा कि उनकी ट्विटर इंडिया में नियुक्ति किस आधार पर की और महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेने के मामले में कंपनी ने उन्हें कितने कार्यकारी अधिकार दिए हैं।
टि्वटर प्रवक्ता ने की बात रखने का मौका देने की सराहना
इस मामले में ट्विटर के प्रवक्ता ने कहा, "हमें संसदीय स्थाई समिति के सामने अपनी बात रखना का मौका मिला है और हम इसकी सराहना करते हैं। हम भविष्य में भारत सरकार के साथ मिलकर काम करते रहेंगे।" उन्होंने आगे कहा, "हम यहां नागरिकों को सुरक्षा देने और पार्दशिता बनाए रखने तथा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर बनाए गए जरुरी नियमों का पालन करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।"