लॉकडाउन के बीच करनाल से दिल्ली रवाना हुए किसान, 26 मई को बनाएंगे 'काला दिवस'
राज्य में लॉकडाउन के बीच हरियाणा के करनाल से हजारों किसान दिल्ली के सिंधु बॉर्डर के लिए रवाना हो गए हैं। उनकी योजना दिल्ली पहुंच कर 26 मार्च को 'काला दिवस' के रूप में मनाने की है। इस दिन कृषि कानूनों के खिलाफ उनके आंदोलन को छह महीने हो रहे हैं। इसके अलावा पंजाब से भी हजारों किसान दिल्ली बॉर्डर के लिए रवाना हुए हैं और वे अन्य किसानों के साथ मिलकर काला दिवस बनाएंगे।
गुरनाम सिंह चढूनी की अगुवाई में रवाना हुए किसान
करनाल से भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता गुरनाम सिंह चढूनी की अगुवाई में किसानों ने सैकड़ों वाहनों में सवार होकर बस्तदा टोल प्लाजा से दिल्ली की तरफ कूच किया। चढूनी ने कहा कि वे दिल्ली बॉर्डर पहुंचने के बाद वहां एक हफ्ते तक लंगर सेवा देंगे। उन्होंने कहा कि किसान करनाल से इसलिए रवाना हुए हैं ताकि दिल्ली के विभिन्न जिलों में आंदोलन का अच्छी तरह से प्रतिनिधित्व किया जा सके।
किसान नहीं सरकार फैला रही कोरोना- चढूनी
महामारी के बीच किसान आंदोलन को जारी रखने के विनाशकारी प्रभाव होने के आरोपों पर पलटवार करते हुए चढूनी ने कहा कि किसान नहीं बल्कि सरकार कोरोना फैला रही है। उन्होंने कहा, "सरकार केवल अपनी अयोग्यता छिपाने के लिए किसानों पर आरोप लगा रही है। उसके पास कोई एंबुलेंस, बेड और अस्पताल नहीं हैं। हमारी खुद की मजबूरियां हैं, लेकिन सरकार ऐसे कार्यक्रम क्यों कर रही है जहां भीड़ इकट्ठा होती है?"
बातचीत करने के लिए तैयार हैं किसान- चढूनी
चढूनी ने किसानों का पक्ष दोहराते हुए कहा कि वे सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं। उनसे पहले शुक्रवार को ही लगभग 40 किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बातचीत शुरू करने की मांग की थी।
26 नवंबर से दिल्ली बॉर्डर पर चल रहा है आंदोलन
बता दें कि किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली बॉर्डर पर केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। महामारी की दूसरी लहर के कारण आंदोलन पर असर पड़ा है और प्रदर्शनकारियों की संख्या कम हुई है, हालांकि इसके बावजूद आंदोलन किसी न किसी रूप में जारी है। हरियाणा के कई जिलों में आंदोलन फिर से उठने लगा है और हिसार में कल किसानों पर FIR के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन होगा।
क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।