प्रधानमंत्री की अपील पर वार्ता के लिए तैयार हुए किसान, तारीख निर्धारित करने को कहा
क्या है खबर?
कृषि कानूनों को निरस्त कराने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान सरकार के साथ अगले दौर की वार्ता के लिए तैयार हो गए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से वार्ता की तारीख निर्धारित करने को कहा है।
किसान नेताओं ने यह सहमति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सोमवार को राज्यसभा में किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील करने तथा बातचीत के जरिए मुद्दों को हल करने की कहने के बाद दी है।
जानकारी
किसान आंदोलन की यह है मौजूदा स्थिति
सरकार और किसानों के बीच अब तक 11 दौर की वार्ता में कोई समाधान नहीं निकल सका है। 22 जनवरी की आखिरी वार्ता में सरकार ने 18 महीनों के लिए कानूनों को निलंबित करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन किसान निरस्त कराने पर अड़े हैं।
अपील
प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों से की थी आंदोलन खत्म करने की अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में कहा कि कृषि कानून जरूरी हैं और इन्हें लागू करने का यह सही समय है।
उन्होंने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की और कहा कि आंदोलनकारियों को समझाते हुए देश को आगे ले जाना होगा। आंदोलन करना किसानों का अधिकार है, लेकिन वहां बुजुर्ग बैठे हुए हैं, अच्छी बात नहीं है।
उन्होंने कहा, "हम मिलकर बात करेंगे और मैं आज फिर सदन से सभी किसान नेताओं को वार्ता का निमंत्रण देता हूं।"
आश्वासन
प्रधानमंत्री ने दिया MSP जारी रखने का आश्वासन
प्रधानमंत्री ने किसानों को आश्वासन दिया कि MSP था, MSP है और MSP रहेगा। इसको लेकर कोई भ्रम नहीं फैलाना चाहिए। उन्होंने मंडियों को और अधिक आधुनिक बनाने का आश्वासन भी दिया।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग लगातार कोशिश कर रहे हैं कि भारत अस्थिर और अशांत रहे। ऐसे लोग हर तरह के आंदोलन में नजर आते हैं। ऐसे में इन आंदोलनजीवियों से बचें। यही आंदोलनजीवी एक तरह से परजीवी होते हैं। इनको समझना जरूरी है।
बयान
हम सरकार से साथ वार्ता के लिए तैयार हैं- कक्का
इसके बाद TOI के अनुसार, संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य और आंदोलन के अगुवा शिव कुमार कक्का ने कहा, "हमने कभी भी सरकार के साथ बातचीत करने से इनकार नहीं किया। जब भी सरकार ने हमें बातचीत के लिए बुलाया है, हमने केंद्रीय मंत्रियों के साथ विचार-विमर्श किया। हम उनके (सरकार) साथ बातचीत के लिए तैयार हैं।"
उन्होंने कहा कि सरकार को अगले दौर की वार्ता के लिए तारीख और समय निर्धारित कर उन्हें बताना चाहिए।
बयान
कक्का ने प्रधानमंत्री की आंदोलनजीवी वाली टिप्पणी पर जताई नाराजगी
किसान नेता कक्का ने प्रधानमंत्री की आंदोलनजीवी वाली टिप्पणी पर नाराजगी जताते हुए कहा, "लोकतंत्र में आंदोलन की महत्वपूर्ण भूमिका है। लोगों को सरकार की गलत नीतियों का विरोध करने का अधिकार है। ऐसे में आंदोलनकारियों को परजीवी कहना सही नहीं है।"
सवाल
MSP पर कानूनी गारंटी क्यों नहीं दे रही सरकार?- कोहाड़
संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य और किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा, "सरकार पहले ही सैकड़ों बार कह चुकी है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) कहीं नहीं जाएगी और यह यथावत रहेगी। अगर सरकार दावा कर रही है कि MSP लागू रहेगी तो फिर वह इस पर कानूनी गारंटी क्यों नहीं दे रही है।"
उन्होंने आगे कहा कि किसान यूनियन बातचीत फिर से शुरू करने के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार को औपचारिक निमंत्रण भेजना होगा।
आरोप
सरकार पर लगाया कि मुद्दों को भटकाने का आरोप
भारतीय किसान यूनियन एकता उत्थान के पंजाब महासचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि यदि सरकार किसानों के साथ है तो वह फसलों के लिए MSP पर कानूनी गारंटी क्यों नहीं दे रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस मुद्दे को भटकाने की कोशिश कर रही है। किसान नेता बलदेव सिंह ने कहा कि सरकार को इन कृषि कानूनों को निरस्त करना चाहिए और किसानों की फसलों के लिए MSP पर कानूनी गारंटी प्रदान करनी चाहिए।
प्रतिक्रिया
देश में भूख पर व्यापार नहीं करने देंगे- टिकैत
प्रधानमंत्री के भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, "हमने कब कहा कि MSP खत्म हो रहा है। हमने कहा कि MSP पर एक कानून बनना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो सभी किसानों को फायदा होगा।"
उन्होंने आगे कहा, "देश में भूख पर व्यापार नहीं होगा। भूख जितनी लगेगी अनाज की कीमत उतनी होगी। फसलों की कीमत को निर्धारित नहीं किया जा सकता है। देश में भूख का व्यापार करने वालों को बाहर निकाला जाएगा।"
मुद्दा
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।