लोकसभा में प्रधानमंत्री ने किया कृषि कानूनों का समर्थन, कहा- जारी रहेगी मंडी व्यवस्था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब देते हुए कृषि कानूनों पर खुलकर बात की। उन्होंने एक बार फिर कहा कि किसानों को कृषि कानूनों से भ्रमित होने की जरूरत नहीं है। कानूनों के लागू होने के बाद भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और मंडी व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी। किसी भी कानूनों में इन महत्वपूर्ण व्यवस्थाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
कृषि कानून में अगर खामियां तो बदलाव के लिए तैयार- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा अगर कृषि कानून में खामियां हैं तो सरकार इसमें बदलाव के लिए तैयार हैं। कृषि क्षेत्र को कठिन चुनौतियों से बाहर लाने के लिए हमें प्रयास करना होगा ही। इसके लिए सरकार ने ईमानदारी से प्रयास किया है। उन्होंने आगे कहा, "मैं देख रहा था कि कांग्रेस ने कृषि कानूनों के रंग पर बहुत अधिक चर्चा की थी। अच्छा होता कि उसके कंटेट और इंटेट पर चर्चा करते। ताकि देश के किसानों तक सही चीजें पहुंचती।"
नए कानून ने किसानों के कौन से हक छीन लिए?- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "किसानों से मैं पूछना चाहता हूं कि पहले जो हक और व्यवस्थाएं उनके पास थी, उनमें से कुछ भी इस नए कानून ने छीन लिया है क्या? इसका जवाब कोई देता नहीं है, क्योंकि सबकुछ वैसा ही है।" उन्होंने कहा, "किसानों को गुमराह किया जा रहा है। छोटे किसानों के लिए व्यवस्था में बदलाव जरूरी है। खेती को आधुनिक बनाने के लिए बड़े निवेश की जरूरत है। हमारा किसान दुनिया के हिसाब से खेती करना चाहिए।"
कांग्रेस सांसदों ने किया वॉक आउट
प्रधानमंत्री के विपक्ष पर निशाना साधते ही कांग्रेस सांसदों ने जोरदार हंगामा कर दिया। इसके बाद सभी सांसदों ने वॉक आउट कर दिया। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन ने कहा कि प्रधानमंत्री सवालों के जवाब नहीं दे रहे थे तो वॉक आउट कर दिया।
सिर्फ गेहूं-चावल ही नहीं उगाएं किसान- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश का किसान बाजार बनाने के लिए सामुहिक शक्ति बनेगा। किसान सिर्फ गेहूं-चावल उगाने तक सीमित न रहें। दुनिया के हिसाब से खेती करें। पुरानी सोच और मानदंडों से किसानों का भला नहीं होगा। किसानों को प्रशिक्षण दिया जाना जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि देश में खेली समाज की संस्कृति का अहम हिस्सा रहा है। सभी पर्व, त्योहार आदि फसल के उगाने और काटने के साथ जुड़ी रही हैं।
तीन तलाक पर कानून बनाने की भी नहीं की थी मांग- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "मैं हैरान हूं कि नया तर्क आया है हमने मांगा नहीं तो आपने दिया क्यों? बताना चाहता हूं दहेज और तीन तलाक कानूनों की भी किसी ने मांग नहीं की थी, लेकिन प्रगतिशील समाज की जरूरत के लिए कानून बनाए गए।"
आंदोलनजीवी ने अपवित्र किया किसानों का आंदोलन- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह किसान आंदोलन पवित्र मानते हैं। देश के लोकतंत्र में आंदोलन का महत्व है, लेकिन जब आंदोलनजीवी पवित्र आंदोलन को अपने लाभ के लिए अपवित्र करने निकल पड़ते हैं तो क्या होता है? उन्होंने आगे कहा कि देश की जेलों में बंद दंगा करने वालों, सम्प्रदायवादी, आतंकवादियों की फोटो लेकर उनकी रिहाई की मांग करना ही किसानों के आंदोलन को अपवित्र करना है। किसानों से इससे बचाना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस को बताया एक भ्रमित पार्टी
भाषण के बीच हंगामा होने पर प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कांग्रेस पूरी तरह से भ्रमित पार्टी है। लोकसभा और राज्यसभा में पार्टी का अलग-अलग रुख है। ऐसी भ्रमित पार्टी ना खुद का भला सकती है और ना ही देश का। उन्होंने कहा कि एक कहावत है 'न खेलब, न खेले देब, खेलिए बिगाड़ब'। कांग्रेस पा्रटी भी इसी कहावत के आधार पर चल रही है और किसानों को विकास की ओर बढ़ने से रोक रही है।
"दादा, अब ज्यादा हो रहा है"
भाषण के बीच हंगामा करने पर प्रधानमंत्री मोदी ने सांसद अधीर रंजन चौधरी से कहा, "दादा, अब ज्यादा हो रहा है। आपको भी मौका मिलेगा, घबराइए मत TMC से भी ज्यादा आपको बंगाल में पब्लिसिटी मिल जाएगी। इसके बाद कांग्रेस ने वॉक आउट कर दिया।"
कोरोना के बाद उभरेगी नई विश्व व्यवस्था- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "कोरोना महामारी के बाद एक नई विश्व व्यवस्था उभरकर सामने आएगी। तय करना होगा कि हमें दर्शक बनना है, या विश्व नेता के रूप में उभरना है। यदि भारत को एक नेता के रूप में उभरना है तो भारत को आत्मनिर्भर, सशक्त और सक्षम बनना होगा।" उन्होंने आगे कहा, "हम आजादी के 75 साल के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं। ऐसे में अब हर भारतीय को आगे बढ़ने के लिए संकल्प लेने की आवश्यकता है।"
राष्ट्रपति का भाषण सभी भारतीयों की संकल्प शक्ति को करता है प्रदर्शित- मोदी
राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का भाषण भारत के 130 करोड़ भारतीयों की संकल्प शक्ति को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा विकट और विपरीत काल में भी ये देश किस प्रकार से अपना रास्ता चुनता है, रास्ता तय करता है और रास्ते पर चलते हुए सफलता प्राप्त करता है, ये सब राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कही। भारत किसी भी कीमत पर विश्व से कट कर नहीं रह सकता है।