बिहार: चुनावी सभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बोले- ये मेरा आखिरी चुनाव
क्या है खबर?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि इस साल के विधानसभा चुनाव उनके आखिरी चुनाव हैं। पूर्णिया में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही।
उन्होंने कहा, "जान लिजिए, आज चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है। परसों चुनाव है और यह मेरा अंतिम चुनाव है। अंत भला तो सब भला।"
हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं है कि यह उनका रिटायरमेंट का ऐलान था या उनका मतलब इस चुनाव प्रचार की आखिरी बैठक से था।
जानकारी
बिहार में 7 नवंबर को होनी है अंतिम चरण की वोटिंग
नीतीश ने यह घोषणा चुनाव प्रचार के अंतिम दिन की है। अभी बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव चल रहे हैं। दो चरण की वोटिंग हो चुकी है और तीसरे और अंतिम चरण की वोटिंग 7 नवंबर को होगी। नतीजे 10 नवंबर को आएंगे।
चुनावी सफर
नीतीश ने 1977 में पहली बार लड़ा था विधानसभा चुनाव
नीतीश कुमार ने 1977 में पहली बार बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा था।
हरनौत विधानसभा सीट से उम्मीदवार बने नीतीश कुमार को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।
सात साल बाद 1985 में वो पहली बार चुनाव जीतकर विधायक बने। यह उनका आखिरी विधानसभा चुनाव था।
उसके बाद से लेकर आज तक यानी पिछले 35 सालों में नीतीश कुमार विधानसभा चुनावों में बतौर उम्मीदवार नहीं उतरे हैं। हालांकि, इस दौरान वो लोकसभा चुनाव लड़ते रहे हैं।
चुनावी सफर
2004 में लड़ा था आखिरी लोकसभा चुनाव
नीतीश कुमार अब तक छह बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। उन्होंने अपना आखिरी लोकसभा 2004 में लड़ा था।
उन चुनावों में वो नालंदा से सांसद बनकर लोकसभा आए थे, लेकिन 2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
कुछ महीनों को निकाल दें तो वो 2005 से लेकर अब तक बिहार के मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहे हैं। 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ा था।
गठबंधन
2015 में लालू के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरे थे नीतीश
प्रधानमंत्री मोदी के साथ वैचारिक मतभेदों के चलते मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद उन्होंने जीतनराम मांझी को बिहार की कमान सौंपी थी, लेकिन वो थोड़े ही दिन इस पद पर रहे।
2015 में बिहार चुनाव से पहले वो फिर से मुख्यमंत्री बने।
इस चुनाव में उन्होंने लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और साफ बहुमत से अपनी सरकार बनाई।
2017 में लालू का साथ छोड़कर वो वापस भाजपा के साथ NDA में आ गए।
सवाल
बिना विधानसभा चुनाव लड़े मुख्यमंत्री कैसे बने नीतीश कुमार?
बिना विधानसभा चुनाव लड़े नीतीश कुमार मुख्यमंत्री इस वजह से बन पाए क्योंकि वो विधान परिषद के सदस्य हैं।
विधान परिषद के सदस्य भी छह साल के लिए चुने जाते हैं। नीतीश 2108 में लगातार तीसरी बार विधान परिषद के सदस्य चुने गए थे और उनका कार्यकाल 2024 तक है।
ऐसे में इस बार भी अगर उनकी पार्टी को बहुमत मिलता है तो वो बिना किसी परेशानी के मुख्यमंत्री बन सकेंगे।
शिक्षा
राजनीति में आने से पहले बिजली बोर्ड में इंजीनियर थे नीतीश
1 मार्च, 1951 को पटना के बख्तियारपुर में जन्मे नीतीश कुमार ने इंजिनियरिंग की पढ़ाई की है।
कुछ समय तक उन्होंने राज्य के बिजली बोर्ड में भी नौकरी की थी।
आपातकाल के दिनों में जयप्रकाश नारायण और राममनोहर लोहिया जैसे नेताओं के संपर्क में आने के बाद वो नौकरी छोड़कर राजनीति में शामिल हो गए।
बिहार के मुख्यमंत्री रहने के अलावा वो रेलवे के अतिरिक्त प्रभार के साथ केंद्र के दूसरे मंत्रालय भी संभाल चुके हैं।