कौन हैं किसान आंदोलन में नई जान फूंकने वाले राकेश टिकैत?
किसान नेता राकेश टिकैत की एक अपील ने किसान आंदोलन में नई जान फूंक दी है। गाजियाबाद प्रशासन ने गुरुवार को गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे प्रदर्शन को खत्म कराने की पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन टिकैत अपनी जगह डटे रहे। प्रशासन को उनकी जिद के आगे पीछे हटना पड़ा और उनकी एक अपील पर हजारों किसान रातों-रात गाजीपुर बॉर्डर पहुंच गए, लेकिन क्या आप जानते हैं कि टिकैत इतने बड़े किसान नेता कैसे बने? आइये, हम बताते हैं।
महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे हैं राकेश टिकैत
राकेश टिकैत देश में किसानों के सबसे बड़े नेताओं में शुमार माने जाने वाले महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे हैं। महेंद्र सिंह टिकैत के आह्वान पर राज्यों से लेकर केंद्र तक की सरकारें हिल जाती थीं। लंबे समय तक भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे महेंद्र सिंह टिकैत ने कई बार सरकारों को अपनी मांग मानने पर मजबूर किया। उनके चार बेटे हैं। इनके नाम नरेश टिकैत, राकेश टिकैत, सुरेंद्र टिकैत और नरेंद्र टिकैत हैं।
LLB की पढ़ाई के बाद दिल्ली पुलिस में हुए भर्ती
राकेश टिकैत का जन्म 4 जून, 1969 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव में हुआ था। उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से मास्टर्स और बाद में LLB की पढ़ाई पूरी की। 1985 में उनकी शादी हुई और इसी साल वो दिल्ली पुलिस में बतौर सिपाही भर्ती हो गए। बाद में पदोन्नत होकर वो सब इंस्पेक्टर बन चुके थे। नौकरी के कारण राकेश किसान संगठन में सक्रिय नहीं थे और उनके बड़े भाई नरेश टिकैत इसका काम संभालते थे।
इस वजह से छोड़ी पुलिस की नौकरी
बताया जाता है कि 90 के दशक में दिल्ली में महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का बड़ा आंदोलन चल रहा था। इसे खत्म कराने के लिए सरकार की तरफ से राकेश टिकैत को अपने पिता को मनाकर आंदोलन खत्म करने का दबाव बनाया जाने लगा। इस वजह से राकेश टिकैत ने तुरंत नौकरी से इस्तीफा दे दिया और किसान संगठन की राजनीति में सक्रिय हो गए। जल्द ही वो किसान संगठन का अहम हिस्सा बन गए।
नरेश टिकैत बने भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष
साल 2011 में महेंद्र टिकैत की मौत के बाद उनके सबसे बड़े बेटे नरेश टिकैत को भारतीय किसान यूनियन की कमान सौंपी गई और राकेश टिकैत संगठन के प्रवक्ता पद पर रहे। हालांकि, संगठन पर करीबी नजर रखने वालों का कहना है कि संगठन की असली ताकत राकेश टिकैत के हाथों में ही है और इससे जुड़े सभी फैसले वो खुद लेते हैं। किसान आंदोलन की रुपरेखा तय करने में नरेश से ज्यादा हाथ राकेश टिकैत का बताया जाता है।
40 से अधिक बार जा चुके हैं जेल
किसानों के हकों की लड़ाई लड़ने के दौरान राकेश टिकैत 40 से अधिक बार जेल जा चुके हैं। मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान समेत कई राज्यों में किसानों के मुद्दे उठाने के कारण उन्हें जेल की हवा खानी पड़ी है। अब भी उन पर कई मुकदमे चल रहे हैं। गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के मामले में भी दिल्ली पुलिस की FIR में अन्य किसान नेताओं के साथ उनका नाम भी शामिल है।
दो बार लड़ चुके हैं चुनाव
राकेश टिकैत अब तक दो बार चुनाव लड़ चुके हैं और दोनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। पहली बार उन्होंने 2007 में मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, लेकिन इसमें वह जीत हासिल नहीं कर सके। दूसरी बार उन्होंने लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाई और 2014 में अमरोहा से राष्ट्रीय लोकदल (RLD) की टिकट पर चुनाव लड़ा। इस बार भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।