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किसान आंदोलन: राकेश टिकैत का सरकार को 26 नवंबर तक का अल्टीमेटम, नहीं तो...
राकेश टिकैत की सरकार को चेतावनी

किसान आंदोलन: राकेश टिकैत का सरकार को 26 नवंबर तक का अल्टीमेटम, नहीं तो...

Nov 01, 2021
01:05 pm

क्या है खबर?

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर से सरकार को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि अगर केंद्र सरकार 26 नवंबर तक विवादित कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती तो दिल्ली के बॉर्डर पर पक्की किलेबंदी के साथ आंदोलन को और मजबूत किया जाएगा। यह दो दिन में उनकी दूसरी चेतावनी है और इससे पहले वह सरकार को किसानों को जबरन हटाने की कोशिश करने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी दे चुके हैं।

बयान

टिकैत ने क्या कहा?

किसान आंदोलन का सबसे जाना-पहचाना चेहरा बन चुके राकेश टिकैत ने आज सुबह ट्वीट करते हुए कहा, 'केंद्र सरकार को 26 नवंबर तक का समय है, उसके बाद 27 नवंबर से किसान गांवों से ट्रैक्टरों से दिल्ली के चारों तरफ आंदोलन स्थलों पर बॉर्डर पर पहुंचेगा और पक्की किलेबंदी के साथ आंदोलन और आन्दोलन स्थल पर तंबूओं को मजबूत करेगा।' बता दें कि किसान दिल्ली के आसपास गाजीपुर, टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर धरने पर बैठे हुए हैं।

अन्य चेतावनी

कल सरकारी दफ्तरों को गल्ला मंडी बनाने की चेतावनी दे चुके हैं टिकैत

इससे पहले कल टिकैत ने सरकारी दफ्तरों को गल्ला मंडी बनाने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि अगर किसानों को जबरन बॉर्डरों से हटाने की कोशिश की गई तो वे देशभर में सरकारी दफ्तरों को गल्ला मंडी बना देंगे। प्रशासन पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा था, "हमें पता चला है कि प्रशासन तंबुओं को हटाने की कोशिश कर रहा है। अगर उन्होंने ऐसा किया तो किसान पुलिस थानों और जिलाधिकारियों के दफ्तरों पर अपने तंबू लगाएंगे।"

तारीख का अहम

25 नवंबर को किसान आंदोलन को हो रहा है एक साल

बता दें कि टिकैत द्वारा सरकार को दिया गया 26 नवंबर तक का समय इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि 25 नवंबर को किसान आंदोलन को एक साल पूरा हो रहा है। किसान 25 नवंबर, 2020 को पहली बार दिल्ली पहुंचे थे और तभी से यहां बॉर्डर पर धरने पर बैठे हुए हैं। इस दौरान उन्होंने सरकार की बेरुखी के साथ-साथ दिल्ली की कड़क ठंड, भीषण गर्मी और बेमौसम बरसात सबका सामना किया।

घटनाक्रम

असफल रही है कई दौर की वार्ता, सुप्रीम कोर्ट ने लगा रखी है कानूनों पर रोक

इस एक साल के दौरान सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई है, लेकिन इस बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है। मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है जिसने तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने सड़कों पर धरने को लेकर किसान आंदोलन की आलोचना भी की है और कहा है कि किसानों को प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन सड़कों पर आवाजाही को नहीं रोका जा सकता।