किसान आंदोलन: गाजीपुर, सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर अभी क्या स्थिति है?
क्या है खबर?
26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के बाद से किसान आंदोलन के आसपास का माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। हिंसा के बाद बने मौके को भुनाते हुए सरकार किसानों को धरने से उठाने की कोशिश में लगी हुई है, हालांकि किसान आंदोलन को खत्म करने को तैयार नहीं है।
इस बीच तथाकथित स्थानीय लोगों के किसानों पर हमले ने मामले को और बिगाड़ दिया है।
आइए जानते हैं कि अभी कहां क्या स्थिति है।
गाजीपुर बॉर्डर
गाजीपुर बॉर्डर पर क्या स्थिति है?
सबसे पहले बात उत्तर प्रदेश-दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर की। यहां भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में आंदोलन चल रहा है और ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस इस धरने को हटाने की पूरी तैयारी में थी।
हालांकि गुरूवार को टिकैत के कैमरे पर रोने और उनकी भावुक अपील ने सारा माहौल बदल लिया और अभी यहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के हजारों किसान पहुंच गए हैं।
जानकारी
टिकैत के समर्थन में मुजफ्फनगर में हुई महापंचायत
टिकैत के समर्थन में आज मुजफ्फरनगर में किसानों की एक बड़ी महापंचायत भी हुई जिसे उनके भाई और BKU (टिकैत) के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने बुलाया था। इस महापंचायत में हजारों किसान शामिल हुए और इसमें किसानों से गाजीपुर पहुंचने का आह्वान किया गया है।
सिंघु बॉर्डर
सिंघु बॉर्डर पर क्या स्थिति?
अब तक किसान आंदोलन के सबसे बड़े केंद्र रहे दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और आज यहां स्थानीय होने का दावा करने वाले लगभग 200 लोगों ने किसानों पर हमला कर दिया।
इन लोगों ने न केवल किसानों की तरफ पत्थरबाजी की, बल्कि उनके तंबू भी उखाड़ फेंके। इस दौरान पुलिस तमाशबीन बनकर देखती रही और इन उपद्रवियों से कुछ नहीं कहा।
हालांकि किसान पीछे हटने को तैयार नहीं है और आंदोलन जारी है।
टिकरी बॉर्डर
टिकरी बॉर्डर पर क्या हो रहा है?
टिकरी बॉर्डर पर भी आज खुद को स्थानीय बताने वाले कई लोगों ने किसानों के खिलाफ प्रदर्शन किया और उनसे सड़क को खाली करने को कहा। तख्तियां और बैनर लेकर आए इन लोगों ने कहा कि कोई भी किसान तिरंगे का अपमान नहीं करेगा और ये प्रदर्शनकारी किसान नहीं बल्कि गुंडे हैं।
इस हंगामे के बावजूद यहां आंदोलन पहले की तरह शांतिपूर्ण तरीके से जारी है और गुरूवार को यहां किसानों ने देशभक्ति दर्शाते हुए तिरंगा यात्रा निकाली।
पूरी तस्वीर
पूरे किसान आंदोलन की समग्र स्थिति क्या है?
किसान आंदोलन की समग्र स्थिति की बात करें तो 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद ये थोड़ा कमजोर पड़ा था और केंद्र सरकार के सामने किसान नेताओं का पक्ष पहले के मुकाबले कमजोर हुआ था।
हालांकि टिकैत के आंसुओं ने पूरे माहौल को बदल दिया है और आंदोलन पहले की तरह एक बार फिर से पूरी रफ्तार में है। तथाकथित स्थानीय लोगों के हमले भी किसानों के पक्ष में सहानभूति पैदा कर रहे हैं।
मुद्दा
क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
गतिरोध
11 दौर की बातचीत से भी नहीं निकला कोई समाधान
मुद्दे पर बने गतिरोध को तोड़ने के लिए किसानों और केंद्र सरकार के बीच 11 दौर की बैठक भी हो चुकी है, हालांकि इनमें कोई समाधान नहीं निकला है।
अंतिम दौर की बैठक में सरकार ने साफ कर दिया था कि वह कानूनों को दो साल के लिए निलंबित करने के लिए तैयार है और अगर किसान इस पर तैयार है, तभी आगे बातचीत होगी।
हालांकि किसान कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं।