स्वतंत्रता दिवस: आंदोलनकारी किसानों ने सिंघु बॉर्डर पर फहराया तिरंगा, पूर्व सैनिक भी हुए शामिल
क्या है खबर?
केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने दिल्ली बॉर्डर पर 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाया। किसानों ने इस मौके पर सिंघु बॉर्डर पर तिरंगा फहराया और इसे सलामी दी।
कई रिटायर्ड फौजी भी किसानों के इस कार्यक्रम में पहुंचे और तिरंगे को सलामी दी। गाजीपुर बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर भी किसानों ने स्वतंत्रता दिवस का जश्म मनाया। कई जगहों पर जिला स्तर पर भी आंदोलनकारी किसानों ने तिरंगा फहराया।
ऐलान
किसानों ने किया था 15 अगस्त पर कोई रैली न निकालने का ऐलान
बता दें कि किसानों ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वे 15 अगस्त को दिल्ली बॉर्डर पर ही स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे। उन्होंने दिल्ली में प्रवेश करने या किसी तरह की रैली निकालने से भी इनकार किया था।
किसान नेता राकेश टिकैत ने इस संबंध में NDTV से कहा था, " हम कहीं कूच नहीं करेंगे। किसान अपने ट्रैक्टरों पर गांवों और तहसीलों में झंडे फहराएंगे। दिल्ली की तीनों सीमाओं पर बैठे किसान स्टेज पर झंडा फहराएंगे।"
हिंसा
26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर हुई थी हिंसा
बता दें कि आंदोलनकारियों ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकाली थी, हालांकि इसमें हिंसा हो गई थी और किसानों का एक धड़ा तय रास्ते से हटकर ITO होते हुए लाल किले पहुंच गया था।
इस दौरान उनकी ITO और लाल किले आदि पर पुलिस के साथ जबरदस्त भिडंत हुई और उन्होंने कई बसों और वाहनों को निशाना बनाया था। कुछ किसानों ने लाल किले पर सिख धर्म का झंडा भी फहराया था।
जानकारी
26 जनवरी जैसी स्थिति से बचने के लिए किए गए थे सुरक्षा के खास इंतजाम
इसी हिंसा को देखते हुए इस बार स्वतंत्रता दिवस पर सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए थे और लाल किले के बाहर दीवार की तरह बड़े-बड़े कंटेनर लगा दिए गए थे। इनसे लाल किले का मुख्य दरवाजा पूरी तरह से ढक गया था।
किसान आंदोलन
नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं किसान
गौरतलब है कि देशभर में किसान केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं और पिछले साल नवबंर से दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे हुए हैं।
इस दौरान सरकार और उनके बीच कई दौर की बातचीत भी हुई है, लेकिन इनमें कोई नतीजा नहीं निकला।
किसानों का कहना है कि सरकार कानूनों को वापस ले और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देेने वाला कानून बनाए, वहीं सरकार केवल संशोधन को तैयार है।
विवादित कानून
क्या हैं विवादित कृषि कानून?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल सितंबर में तीन कानून लाई थी।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।