कृषि कानून: आंदोलनकारी किसानों ने प्रधानमंत्री को भेजा पत्र, बातचीत बहाल कराने की मांग
केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लाए गए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने सरकार से बातचीत बहाल करने की मांग की है। संयुक्त किसान मोर्चा ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी को ईमेल भेजकर दोबारा बातचीत शुरू कराने के लिए दखल देने को कहा है। किसान संगठन का कहना है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मुखिया होने के नाते किसानों और सरकार के बीच बातचीत बहाल कराने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री की है।
विरोध क्यों कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल सितंबर में तीन कानून लाई थी। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
किसानों की चेतावनी- 25 मई तक जवाब नहीं मिला तो आंदोलन होगा तेज
इन तीनों कानूनों के खिलाफ किसान नवंबर से ही दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। अब तक सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। आखिरी बार दोनों पक्षों के बीच 22 जनवरी को बैठक हुई थी। आखिरी बैठक के चार महीने बाद लिखे ईमेल में किसानों ने कहा है कि अगर 25 मई तक सकारात्मक जवाब नहीं मिलता है तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
किसानों ने दोहराई कानून रद्द करने की मांग
प्रधानमंत्री मोदी को भेजे गए पत्र पर बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शनपाल, गुरनाम सिंह चढूनी और योगेंद्र यादव समेत किसान संयुक्त मोर्चा के सभी नौ सदस्यों के हस्ताक्षर है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल, और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश को भी इस पत्र की कॉपी भेजी गई है। इन तीनों मंत्रियों ने किसानों के साथ हुई बातचीत में हिस्सा लिया था। किसानों ने पत्र में एक बार फिर कानून रद्द कराने की मांग दोहराई है।
किसानों को 25 मई तक सरकार से जवाब की उम्मीद
संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने पत्र में लिखा, 'भले ही हमारी मुश्किल प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, पर हम इस मोड़ पर सरकार का ध्यान भंग नहीं करना चाहते। लेकिन अगर सरकार की तरफ से हमें 25 मई तक रचानात्मक और सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली तो हमें हमारे संघर्ष को तेज कर अगले चरण में ले जाना पर मजबूर होना पड़ेगा, जिसकी शुरुआत 26 मई को राष्ट्रीय स्तर पर विरोध के साथ होगी।'
मोर्चे का दावा- अब तक 470 से अधिक किसानों की मौत
पत्र में संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया है कि 'सरकार के हठ के चलते' 470 से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। बता दें कि मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसान दिल्ली के बॉर्डर पर डेरा जमाए बैठे हैं और कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। दूसरी तरफ सरकार का कहना है कि वह संशोधन को तैयार है, लेकिन कानून किसी भी कीमत पर वापस नहीं होंगे।