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किसान आंदोलन: सड़क जाम करने पर सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती, कहा- समाधान निकाले सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन के कारण अवरुद्ध सड़कों का हल निकालने के लिए केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को दिया दो सप्ताह का समय।

किसान आंदोलन: सड़क जाम करने पर सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती, कहा- समाधान निकाले सरकार

Aug 23, 2021
06:18 pm

क्या है खबर?

कृषि कानूनों के विरोध में पिछले नौ महीने से चल रहे किसान आंदोलन में दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर किसानों के धरने के कारण बंद सड़क को लेकर दायर की गई एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों पर फिर से सवाल उठाते हुए कहा कि सड़क पर ट्रैफिक को इस तरह रोका नहीं जा सकता है। ऐसे में केंद्र सरकार को दो सप्ताह में इसका कोई हल निकालना होगा।

पृष्ठभूमि

क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?

मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल सितंबर में तीन कानून लाई थी। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।

परेशानी

पिछले नौ महीनों से राजमार्गों पर डेरा डाले हुए हैं किसान

बता दें कि किसान 25 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे है। इससे गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, शाहजहांपुर बॉर्डर, दिल्ली-नोएडा मार्ग सहित अन्य कई मार्गों पर वाहनों की आवाहाजी बंद है। नोएडा मार्ग के बंद होने से लोगों को 20 मिनट का सफर करने में दो घंटे का समय लग रहा है। इसी तरह शाहजहांपुर बॉर्डर पर एक तरफ का रास्ता बंद होने से दिल्ली जाने वाले लोगों को सफर लंबा हो गया है।

याचिका

नोएडा निवासी महिला ने दायर की थी जनहित याचिका

किसान आंदोलन के कारण सड़क बंद होने को लेकर नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल ने पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि नोएडा से दिल्ली तक उनका सफर सड़क जाम के कारण सामान्य 20 मिनट के बजाय दो घंटे का समय ले रहा है। इससे उन्हें खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर हलफनामा दायर करने को कहा था।

हलफनामा

उत्तर प्रदेश सरकार ने शनिवार को दायर किया था हलफनामा

मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने शनिवार को हलफनामा दाखिल कर कहा था कि सरकार सड़क जाम के मामले में किसानों को समझाने का प्रयास कर रही है। प्रदर्शनकारियों में अधिकतर बड़ी उम्र के और वृद्ध किसान हैं। सरकार ने कहा है कि महाराजपुर और हिंडन सड़कों के माध्यम से सुचारू ट्रैफिक के लिए डायवर्सन बनाया गया है। इसी तरह केंद्र सरकार ने कहा कि इस मुद्दे को हल करने का प्रयास जारी है और दो सप्ताह का समय चाहिए।

सुनवाई

किसानों को प्रदर्शन का अधिकार, लेकिन नहीं रोक सकते हैं सड़क- सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस एसके कौल और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों से पूछा कि अभी तक सड़कें बंद क्यों हैं? सड़क पर ट्रैफिक को इस तरह नहीं रोका जा सकता है। सरकार को कोई हल निकालना होगा। पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस संबंध में कई फैसले हैं कि सड़क इस तरह बंद नहीं हो सकती है। किसानों को प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन सड़कों पर आवाजाही को नहीं रोका जा सकता है।

समय

सुप्रीम कोर्ट ने मामले का हल निकालने के लिए दिया दो सप्ताह का समय

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि प्रदर्शनकारी नीति को स्वीकार नहीं करते तो दूसरों को नुकसान नहीं होना चाहिए। वह एक गांव में अपना विरोध स्थल बना सकते हैं, लेकिन दूसरों के जीवन में बाधा नहीं डाल सकते हैं। कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को मामले का हल निकालने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। ऐसे में अब मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी, तब तक सरकार को समाधान के लिए कदम उठाना होगा।

वार्ता

किसान संगठनों की सरकार के साथ विफल रही सभी 11 वार्ताएं

इस मामले में सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की वार्ताएं भी हुई है, लेकिन किसानों के कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहने के कारण कोई सामाधान नहीं निकला। खास बात यह रही कि सरकार ने किसानों को कानूनों को 18 महीने तक लागू नहीं करने का भी प्रस्ताव दिया था, लेकिन किसानों ने 22 जनवरी को आखिरी वार्ता में कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग करते हुए उसे खारिज कर दिया।