पंजाब: 21 अप्रैल को दिल्ली कूच करेंगे किसान, नेता बोले- हक मिलने तक जारी रहेगा प्रदर्शन
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं ने ऐलान किया है कि किसान, सामाजिक कार्यकर्ता और महिलाएं 21 अप्रैल को दिल्ली कूच करेंगे। मंगलवार को भठिंडा के तलवंडी साबो में भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) की तरफ से बुलाई गई बैसाखी सभा में यह ऐलान किया गया। पंजाब में बीते दिन 35 से ज्यादा ऐसी सभाएं हुई थीं। इससे पहले पिछले साल नवंबर में हरियाणा-पंजाब के हजारों किसानों ने दिल्ली कूच किया था।
हक मिलने तक जारी रहेगा किसानों का प्रदर्शन- उगराहां
तलवंडी साबो में किसानों में संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के राज्य प्रमुख जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि 21 अप्रैल को दिल्ली कूच का नेतृत्व संगठन के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां और कोषाध्यक्ष झंडा सिंह करेंगे। उगराहां ने कहा कि जब तक किसानों को उनका हक नहीं मिल जाता, तब तक केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी रहेंगे। गौरतलब है कि किसान केंद्र सरकार से तीन नए कृषि कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
मई में एक बार फिर दिल्ली कूच करेंगे लोग- उगराहां
जलियांवाला बाग के शहीदों की याद में बुलाए गए इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए उगराहां ने कहा कि जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार के बाद लोगों ने जाति और धर्म से ऊपर उठकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। इसी तरह किसान, महिलाएं, मजदूर और देश के दूसरे नागरिक साथ मिलकर मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट होंगे। उन्होंने कहा कि मई में जब किसान संसद की तरफ मार्च करेंगे, तब भी बड़ी संख्या में लोग पंजाब से दिल्ली जाएंगे।
पूरे देश का आंदोलन बन गया है किसानों का प्रदर्शन- राजेवाल
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि पंजाब के किसानों द्वारा शुरू किया गया प्रदर्शन बड़ा आंदोलन बन गया है और पूरे देश के लोग इसका समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के दृढ़ प्रदर्शन ने किसान विरोधी मोदी सरकार का पर्दाफाश कर दिया है। वहीं संगठन की महिला विंग की नेता परमजीत कौर ने कहा कि महिलाएं चट्टान बनकर इस लड़ाई में खड़ी हैं।
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए सितंबर, 2020 में तीन कानून लेकर लाई थी। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
मई में संसद मार्च निकालेंगे किसान
पिछले साल नवंबर से दिल्ली के बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने मई के पहले पखवाड़े में शांतिपूर्ण तरीके से संसद मार्च निकालने का फैसला किया है। मार्च में इसका ऐलान करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के नेता डॉ दर्शनपाल ने कहा था कि संसद मार्च में किसानों के साथ महिला, मजदूर, आदिवासी, बेेरोजगार युवा और सभी समाजों के लोग शामिल होंगे। यह मार्च पूरी तरह से शांतिपूर्ण होगा। इसमें किसी भी तरह की हिंसा नहीं होगी।