रेलवे का स्पष्टीकरण- प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए वहन किया 20 करोड़ का खर्च
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों के चलाई जा रही स्पेशल ट्रेनों में मजदूरों से किराया लिए जाने को लेकर जमकर राजनीति हो रही है। कांग्रेस ने सोमवार को सरकार द्वारा मजदूरों से किराया लिए जाने पर दुख जताते हुए उनके किराये का खर्च उठाने की घोषणा की थी। इसके बाद मंगलवार को रेलवे ने स्पेशल ट्रेनों पर आए खर्च का ब्यौरा देकर स्पष्टीकरण दिया है।
रेलवे ने दी 20 करोड़ रुपये का खर्च वहन करने की जानकारी
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए रेलवे ने सोमवार तक 34 स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया है। इनके संचालन पर करीब 24 करोड़ रुपये का खर्च आया है। उन्होंने बताया कि इस राशि में से महज 15 प्रतिशत यानी 3.6 करोड़ रुपये ही राज्य सरकारों से लिए गए हैं। शेष 20.40 करोड़ रुपए का खर्च रेलवे की ओर से वहन किया गया है।
रेलवे ने जताई और अधिक खर्चा होने की संभावना
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 34 ट्रेनों का संचालन करने के बाद भी अभी सभी प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्यों तक नहीं पहुंचे हैं। ऐसे में अभी रेलवे और स्पेशल ट्रेनों का संचालन करेगा। इससे रेलवे पर सैकड़ों करोड़ों रुपये का भार पड़ेगा। उन्होंने बताया कि रेलवे की ओर से श्रमिकों को यात्रा के दौरान खाना-पानी सहित उनकी सुरक्षा के लिए मास्क और सैनिटाइजर आदि का भी प्रबंध किया जा रहा है।
एक मई को चलाई गई थी पहली स्पेशन ट्रेन
बता दें कि केंद्र सरकार की अनुमति के बाद प्रवासी मजदूरों के लिए पहली स्पेशल ट्रेन मजदूर दिवस यानी एक मई को चलाई गई थी। इस ट्रेन का संचालन तेलंगाना के लिंगमपल्ली रेलवे स्टेशन से झारखंड के हटिया तक किया गया था।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने तीन राज्य सरकारों पर लगाया आरोप
केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को ट्वीट किया, 'मजदूरों से रेल किराये की सच्चाई- सभी राज्य सरकारें मजदूरों के रेल के किराये का पैसा भर रही हैं। केवल महाराष्ट्र, केरल और राजस्थान सरकारें नहीं दे रही। वह किराया मजदूरों से ले रही हैं।' उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा, 'मजदूरों से किराया लेने वाले राज्यों में सरकार शिवसेना गठबंधन, कम्युनिस्ट और कांग्रेस की है। यही चिल्ला रहे हैं। इसे कहते है 'उल्टा चोर कोतवाल को डाटें'।'
स्पेशल ट्रेनों के किराए को लेकर देश में हो रही राजनीति
प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई जा रही स्पेशल ट्रेनों में किराया लिए जाने को लेकर राजनीति हो रही है। सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस पर नाराजगी जताते हुए मजदूरों के किराए का खर्च कांग्रेस द्वारा उठाने की घोषणा की थीं। उन्होंने सरकार से सवाल किया था कि जब गुजरात के केवल एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये खर्च कर सकते हैं तो फिर मजदूरों को मुफ्त रेल यात्रा क्यों नहीं दी जा सकती?
कांग्रेस अध्यक्ष की घोषणा के बाद सरकार ने दिया था यह जवाब
प्रवासी मजदूरों के किराए को लेकर राजनीति गरमाने के बाद केंद्र सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा गया था कि प्रवासी मजदूरों से कोई किराया वसूल नहीं किया जा रहा है। ट्रेनों के संचालन पर होने वाले कुल खर्च का 85 प्रतिशत रेलवे वहन कर रहा है, जबकि राज्य सरकारों से 15 प्रतिशत खर्च लिया जा रहा है। इसमें मजदूरों से कोई पैसा नहीं लिया जा रहा है। उसके बाद मामले में नए-नए बयान सामने आ रहे हैं।
राज्य सरकारों ने की थी स्पेशल ट्रेनें चलाने की मांग
गौरतलब है कि 30 अप्रैल को गृह मंत्रालय की ओर से बसों से प्रवासियों को लाने की अनुमति देने के बावजूद राज्यों ने कोई उत्साह नहीं दिखाया था। बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, तेलंगाना और केरल जैसे राज्यों की ओर से लंबी दूरी को देखते हुए स्पेशन ट्रेन चलाने की मांग की गई थी। इसके बाद गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को मजदूर दिवस पर सभी सभी प्रवासी कामगारों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, छात्रों के लिए 'श्रमिक स्पेशल ट्रेनें' ट्रेन चलाने के आदेश दिए थे।