चुनाव से पहले RTE कानून का दायरा बढ़ाकर गरीबों को खुश कर सकती है सरकार
लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार एक और गरीब हितैषी कदम उठाते हुए शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून का लाभ 12वीं तक के आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को दे सकती है। इस कदम को चुनाव से पहले भाजपा की गरीबों में पैठ बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। यह मामला लंबे समय से ठंडे बस्ते में था। लेकिन चुनाव से पहले इसमें बदलाव की यह खबर राजनीतिक तापमान को बढ़ाने के लिए काफी है।
सरकार कर रही है मांग पर विचार
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शिक्षा कार्यकर्ता अशोक अग्रवाल को लिखे पत्र में कहा है, "शिक्षा के अधिकार कानून, 2009 को विस्तार देने के एक प्रस्ताव पर विचार हो रहा है। अच्छी तरह विचार के बाद मामले पर फैसला बता दिया जाएगा।" दिल्ली हाई कोर्ट में वकील अशोक ने पिछले साल नवंबर में ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन की ओर से मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावडेकर को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने RTE कानून का दायरा बढ़ाने की मांग की थी।
'इसलिए बढ़ाया जाना चाहिए दायरा'
अशोक ने पत्र में लिखा था कि कक्षा 8 पूरी होते ही RTE कोटे से पढ़ने वाले छात्रों से स्कूल फीस जमा करने या छोड़ने को कहते हैं। अंग्रेजी माध्यम से पढ़े इन छात्रों के पास हिंदी और स्थानीय भाषाओं के सरकारी स्कूल में पढ़ने का ही रास्ता बचता है। उन्होंने आगे लिखा कि इन छात्रों के लिए सरकारी स्कूल के वातावरण से सामंज्यस बैठाने में समस्याएं आती हैं। इसलिए उन्हें वहीं से शिक्षा पूरी करने का मौका देना चाहिए।
क्या है RTE कानून?
बता दें कि अभी शिक्षा का कानून कक्षा 1-8 के 6 से 14 साल तक के बच्चों पर लागू होता है। कानून के मुताबिक, अल्पसंख्यक संस्थानों को छोड़कर बाकी सभी निजी विद्यालयों को आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को 25 प्रतिशत सीटें देनी होती हैं। साल 2012 में यूपीए सरकार के समय केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की एक उप-समिति ने कानून का दायरा बढ़ाने की सिफारिश की थी। लेकिन तब इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया था।
उच्च जातियों के गरीबों पर नजर
पिछले साल मार्च में मानव संसाधन राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने संसद में जानकारी दी थी कि अभी RTE कानून का दायरा बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। हाल ही में सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े उच्च जाति के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया है। इस फैसले से उच्च जाति के गरीबों के उसके पाले में आने की उम्मीद है। RTE कानून में विस्तार के इस प्रस्ताव को भी इसी कड़ी में देखा जा रहा है।