कोरोना वायरस: क्या है पूल टेस्टिंग जिसकी ICMR ने दी मंजूरी और क्या हैं इसके फायदे?
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने देश में कोरोना वायरस की पूल टेस्टिंग को मंजूरी दे दी है और सोमवार को इस संबंध में एक एडवाइजरी जारी की। एडवाइजरी के अनुसार, "लैबों द्वारा किए जा रहे टेस्ट की संख्या बढ़ाना बेहद महत्वपूर्ण है। कुल मामलों में संक्रमित मामलों की दर अभी भी कम है। इससे पूल टेस्टिंग में मदद मिल सकती है।" पूल टेस्टिंग आखिर क्या होती है और इससे क्या फायदा होगा, आइए जानते हैं।
क्या है पूल टेस्टिंग?
पूल टेस्टिंग में कई लोगों का सैंपल एक ट्यूब में डाला जाता है और उनका एक साथ PCR टेस्ट होता है। अगर पूल टेस्ट पॉजिटिव आता है तो फिर इसमें शामिल रहे सभी व्यक्तियों के सैंपल की एक-एक करके जांच की जाती है और पता लगाया जाता है कि किसमें संक्रमण है। इस प्रक्रिया को पूल डि-कॉन्वोल्यूशन कहा जाता है। अगर पूल टेस्ट का नतीजा पॉजिटिव नहीं आता तो इसमें शामिल सभी लोगों को नेगेटिव माना जाता है।
क्या हैं ICMR की गाइडलाइंस?
ICMR ने अपनी गाइडलाइंस में कहा है कि पूल टेस्टिंग के लिए दो से अधिक सैंपल को एक साथ मिलाया जा सकता है, लेकिन इनकी संख्या पांच से अधिक नहीं होनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने पर गलत नेगेटिव नतीजे आ सकते हैं। जहां कोरोना के मामले कम हैं और संक्रमित मामलों की दर दो प्रतिशत से कम है, वहां पूल टेस्टिंग की जा सकती है। दो-पांच प्रतिशत दर वाले इलाकों में बिना लक्षणों वाले लोगों में पूल टेस्टिंग की जाएगी।
पांच प्रतिशत से अधिक दर वाले इलाकों में नहीं होनी चाहिए पूल टेस्टिंग- ICMR
जिन इलाकों में कोरोना वायरस से संक्रमित मामलों की दर पांच प्रतिशत से अधिक है, ICMR ने वहां पूल टेस्टिंग न करने का सुझाव दिया है। वहीं संक्रमित मरीजों और स्वास्थ्यकर्मियों के संपर्क में आने वाले लोगों का सैंपल पूल टेस्टिंग में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार, जिन इलाकों में पॉजिटिव मामला मिलने की संभावना बेहद कम होती है, वहां पूल टेस्टिंग सबसे अधिक प्रभावी साबित होती है।
क्या हैं पूल टेस्टिंग के फायदे?
पूल टेस्टिंग के जरिए बड़ी संख्या में टेस्ट किट और पैसा बचाया जा सकता है। अगर पांच लोगों का पूल टेस्ट किया जाता है और इसका नतीजा नेगेटिव आता है तो ऐसा करने से चार टेस्ट किट बचती हैं। इसके अलावा पूल टेस्टिंग बिना लक्षणों वाले मरीजों की पहचान करने में भी कारगर सिद्ध होता है। ये कम्युनिटी ट्रांसमिशन के बारे में पता लगाने में भी सहायक है। घर-घर जाकर टेस्टिंग की प्रक्रिया में भी ये बेहद सहायक है।
भारत में अब तक हुए 2.31 लाख टेस्ट
गौरतलब है कि देशभर में 160 से अधिक सरकारी लैबों और लगभग 70 प्राइवेट लैबों में कोरोना वायरस की टेस्टिंग चल रही है। ICMR के अनुसार, सोमवार तक 2.31 लाख सैंपल की जांच की जा चुकी है। उसने देश में पर्याप्त मात्रा में टेस्ट किट का स्टॉक होने की बात कही है। भारत की जनसंख्या को देखते हुए टेस्टों की संख्या को कम माना जा रहा है और बड़े पैमाने पर टेस्टिंग किए जाने की सिफारिश की जा रही है।
भारत में क्या है कोरोना वायरस की स्थिति?
भारत में मंगलवार शाम पांच बजे तक कोरोना वायरस से संक्रमण के 10,815 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें से 353 को अपनी जान गंवानी पड़ी है। वहीं 1,190 मरीजों को सफल इलाज के बाद घर वापस भेजा जा चुका है। महाराष्ट्र सबसे अधिक प्रभावित राज्य बना हुआ है और यहां संक्रमण के 2,337 मामले सामने आए हैं। इनमें से 149 की मौत हो चुकी है। वहीं दूसरे स्थान पर काबिज दिल्ली में 1,510 मामले सामने आए हैं।