
ईरान-इजरायल के बीच युद्ध का भारत पर क्या असर हो सकता है?
क्या है खबर?
ईरान के मिसाइल हमले के बाद इजरायल भी जवाबी कार्रवाई की तैयारी में है।
खबर है कि इजरायल ईरान के तेल डिपो या परमाणु सुविधाओं को निशाना बना सकता है। अगर ऐसा होता है तो मध्य-पूर्व में संकट और बढ़ जाएगा, जिसका वैश्विक व्यापार समेत तेल की कीमतों पर भी असर पड़ना तय है। इस उथल-पुथल से भारत भी अछूता नहीं रहेगा।
आइए जानते हैं दोनों देशों के बीच युद्ध का भारत पर क्या असर हो सकता है।
लाल सागर
लाल सागर में बाधित होगा व्यापार
इजरायल-ईरान के बीच युद्ध का लाल सागर से होने वाले व्यापार पर असर पड़ना तय है। लेबनान के ईरान समर्थित संगठन हिज्बुल्लाह के यमन के हूती विद्रोहियों के साथ अच्छे संबंध हैं।
ऐसे में तनाव बढ़ने से हूती लाल सागर के व्यापार मार्ग को बाधित कर सकते हैं।
इजरायल-हमास युद्ध के बाद से ही हूती लाल सागर में व्यापारिक जहाजों को निशाना बना रहे हैं। इस वजह से भारत का पेट्रोलियम निर्यात सालाना आधार पर 37.56 प्रतिशत घट गया है।
व्यापार
लाल सागर से भारत का कितना व्यापार होता है?
क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में भारत ने 18 लाख करोड़ रुपये का सामान निर्यात किया था। इनमें से 50 प्रतिशत लाल सागर से होकर गुजरा था। वहीं, 17 लाख करोड़ रुपये के आयात में से 30 प्रतिशत इसी रास्ते से हुआ था।
वित्त वर्ष 2023 में कुल निर्यात और आयात 94 लाख करोड़ रुपये का था, जिसमें से मूल्य के हिसाब से 68 प्रतिशत और मात्रा के हिसाब से 95 प्रतिशत समुद्री मार्ग से हुआ था।
कच्चा तेल
कच्चे तेल की कीमतें बढ़ना तय
युद्ध की आशंकाओं के बीच ब्रेंट क्रूड में एक अक्टूबर को 5 प्रतिशत से ज्यादा का उछाल दर्ज किया गया है।
ईरान दुनिया का 9वां सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। ऐसे में ईरान में किसी तरह की उथल-पुथल की सीधा असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ेगा।
जानकारों का कहना है कि दबावपूर्ण माहौल में कच्चे तेल की कीमतें 90 डॉलर प्रति बैरल से भी ज्यादा हो सकती है, जो अभी 74 डॉलर के आसपास है।
तेल का आयात
85 प्रतिशत तेल आयात करता है भारत
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है और अपनी जरूरत का करीब 85 प्रतिशत कच्चा तेल दूसरे देशों से लेता है।
भारत भले ही ईरान से तेल न खरीदता हो, लेकिन युद्ध का असर अफगानिस्तान, इराक, सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) तक पड़ना तय है, जिनसे भारत भारी तादाद में तेल खरीदता है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमतों का असर भारत पर पड़ना तय है।
विदेशी मुद्रा भंडार
विदेशी मुद्रा भंडार पर भी होगा असर
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, सऊदी अरब, UAE, ओमान, बहरीन, कतर और कुवैत में करीब 90 लाख भारतीय रहते हैं। ईरान में भी 10,000 और इजरायल में 20,000 भारतीय रहते हैं।
BBC से बात करते हुए इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स से जुड़े डॉक्टर फज्जुर्रहमान ने कहा, "खाड़ी देशों में रहने वाले भारतीय करीब लाखों डॉलर की राशि भारत भेजते हैं, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होता है। अगर युद्ध हुआ तो सीधा असर विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ेगा।"