G-20 बैठक में प्रधानमंत्री मोदी बोले- अफगानिस्तान को आतंकवाद का स्त्रोत बनने से रोकना होगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को G-20 सम्मेलन में वर्चुअली हिस्सा लिया और अफगानिस्तान को आतंकवाद का स्त्रोत बनने से रोकने की बात कही। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि दुनिया के कंधों पर अफगानिस्तान को आतंकवाद और कट्टरता का स्त्रोत बनने से रोकने जिम्मेदारी है। साथ ही वहां के लोगों के मानवाधिकारों और रक्षा के लिए भी प्रयास करने होंगे। G-20 देशों की यह बैठक खास तौर पर अफगानिस्तान में बनी स्थितियों पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी।
मोदी ने अफगानिस्तान में बताई समावेशी प्रशासन की जरूरत
मोदी ने अफगान नागरिकों की मदद के लिए मानवीय सहयोग पर जोर दिया और अफगानिस्तान में समावेशी प्रशासन की जरूरत बताई। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के संकल्प 2593 को अफगानिस्तान के लिए जरूरी बताते हुए वैश्विक समुदाय से साथ आने की बात कही। भारत के UNSC के अध्यक्ष रहते हुए यह संकल्प पास हुआ था, जिसमें अफगान नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा और उसकी जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए नहीं होने देने का संकल्प लिया गया था।
भारत और अफगानिस्तान के सदियों पुराने रिश्तों का किया जिक्र
प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी बयान में बताया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति पर चर्चा के लिए G-20 देशों की बैठक बुलाने का स्वागत किया। अपने संबोधन में उन्होंने भारत और अफगानिस्तान के बीच सदियों पुराने रिश्तों पर जोर दिया और पिछले कुछ सालों में वहां के आर्थिक और सामाजिक विकास में भारत के योगदान का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि भारत ने अफगानिस्तान की करीब 500 विकास योजनाओं में सहायता की है।
आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त मोर्चे की जरूरत को किया रेखांकित
प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त मोर्चे की जरूरत को रेखांकित किया। साथ ही उन्होंने ड्रग्स और हथियारों की तस्करी पर चिंता व्यक्त करते हुए वैश्विक समुदाय से इसके खिलाफ संयुक्त प्रयासों की अपील की है।
G-20 क्या है?
G-20 में भारत, अर्जेंटीना, चीन, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, इंडोनेशिया, इटली, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं। इन देशों में दुनिया की दो तिहाई आबादी रहती है और ये दुनिया की GDP का 85 फीसदी हिस्सा बनाते हैं। इसे G-7 के विस्तार के रूप में देखा जाता है और दिसंबर, 1999 में बर्लिन में पहली बार G-20 समूह के लिए बैठक हुई।
कैसे हैं अफगानिस्तान के मौजूदा हालात?
अगस्त मध्य में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था और कुछ दिनों बाद अपनी कार्यवाहक सरकार की घोषणा की थी। आपसी मतभेद के बीच उसकी सरकार मान्यता पाने की कोशिशों में लगी है, लेकिन वैश्विक समुदाय का कहना है कि पहले उसे अफगान नागरिकों के मानवाधिकारों का सम्मान करते हुए भरोसेमंद कदम उठाने होंगे। आर्थिक हालात की बात करें तो इस मोर्चे पर अफगानिस्तान की स्थिति काफी खराब है और अर्थव्यवस्था के ढहने का खतरा बना हुआ है।