तालिबान ने किया पंजशीर घाटी पर हमला, जवाबी कार्रवाई ढेर हुए आठ लड़ाके
अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद भी तालिबान अभी तक उनके विरोधियों की गढ़ मानी जाने वाली पंजशीर घाटी पर कब्जा नहीं कर सका है। इस घाटी में कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह और अहमद मसूद के नेतृत्व में नॉर्दर्न अलांयस की सेना तालिबान के लिए सबसे बड़ी मुश्किल बनी हुई है। इसी बीच तालिबान ने मंगलवार को पंजशीर घाटी पर हमला कर लिया, लेकिन जवाबी कार्रवाई में उसके आठ लड़ाके मारे गए। इससे उसे निराश लौटना पड़ा।
पंजशीर पर कब्जा नहीं कर पाया है तालिबान
बता दें कि तालिबान अभी तक भी पंजशीर पर कब्जा नहीं कर पाया है। कार्यवाहक राष्ट्रपति सालेह ने अहमद मसूद के नेतृत्व में नॉर्दर्न अलांयस की सेना की मदद से तालिबान का विरोध शुरू कर दिया। मसूद तालिबान के खिलाफ लंबे समय से लड़ाई में शामिल हैं। उनके पिता अहमद शाह मसूद ने 1990 के दशक में तालिबान के खिलाफ नॉर्दर्न अलांयस का नेतृत्व किया था। यही कारण है कि पंजशीर अभी भी तालिबान की पहुंच से दूर है।
तालिबान ने किया पंजशीर के पश्चिमी प्रवेश द्वार पर हमला
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, नॉर्दर्न अलांयस के प्रवक्ता फहीम दश्ती ने बताया कि तालिबानी लड़ाकों ने मंगलवार को पंजशीर के पश्चिमी प्रवेश द्वारा पर धावा बोला था। हालांकि, इसमें उन्हें मुंह की खानी पड़ी। उनकी जवाबी कार्रवाई में आठ तालिबानी लड़ाके मारे गए और करीब इतने ही घायल हो गए। ऐसे में उन्हें पीछे हटना पड़ा। उन्होंने कहा कि तालिबानी हमले में नॉर्दर्न अलांयस की सेना के दो जवान घायल हुए हैं और उनका उपचार जारी है।
पंजशीर पर कब्जा करने में लगातार असफल हो रहा है तालिबान
तालिबान काबुल पर कब्जा करने के बाद से कई बार पंजशीर पर कब्जा करने का प्रयास कर चुका है, लेकिन इसमें उसे हर बार मुंह की खानी पड़ी है। गत दिनों भी उसने पंजशीर का घेराव कर हमला करने का प्रयास किया था, लेकिन नॉर्दर्न अलांयस की सेना के उसे करारा जवाब देते हुए उसके दर्जनों लड़ाकों को मार गिराया था। अब तालिबान द्वारा पंजशीर नेताओं से बातचीत के जरिए मामले का हल निकालने का प्रयास किया जा रहा है।
अफगानिस्तान से अमेरिका की हुई पूर्ण वापसी
गौरतलब है कि सोमवार की रात को ही अमेरिका के आखिरी विमान ने काबुल एयरपोर्ट से उड़ान भरी है। इसी के साथ अफगानिस्तान में अमेरिका की 20 साल लंबी मौजूदगी भी खत्म हुई है। अमेरिका ने पहले 31 अगस्त, 2021 की तारीख तय की थी, लेकिन 24 घंटे पहले ही उसने अफगानिस्तान छोड़ दिया। अब काबुल हवाई अड्डा पूरी तरह से तालिबान के कब्जे में है। तालिबान ने हवाई फायरिंग कर, पटाखे जला अपनी जीत का जश्न मनाया।
तालिबान ने 15 अगस्त को किया अफगानिस्तान पर कब्जा
तालिबान ने अमेरिकी सेना की वापसी के साथ ही अफगानिस्तान पर हमले तेज कर दिए थे और गत 15 अगस्त को राजधानी काबुल पर कब्जा जमा लिया था। उसके बाद से ही तालिबान नई सरकार के गठन में लगा हुआ है। तालिबान के शासन के कारण हजारों अफगानी लोग देश छोड़कर जाने की जुगत में जुटे हैं और काबुल हवाई अड्डे के बाहर डेरा जमाए हुए हैं। तालिबान लगातार देशों से खुद का मान्यता देने की कहा रहा है।